कांग्रेस को मिला दो युवा लड़कों का साथ, क्या मजबूत हो पाएगा हाथ

Congress
अंकित सिंह । Sep 29 2021 5:55PM

कन्हैया जहां बिहार से आते हैं तो वहीं जिग्नेश मेवानी गुजरात से। गुजरात में अगले साल विधानसभा के चुनाव होने है। ऐसे में पार्टी वहां पर खुद को मजबूत करने की कोशिश में है। तो वहीं दूसरी ओर बिहार में पार्टी अपना खोया जनाधार वापस पाने के लिए संघर्ष कर रही है।

एक ओर जहां पिछले एक साल में कांग्रेस के कई युवा नेता पार्टी का दामन छोड़ चुके हैं तो वहीं दूसरी ओर उन्हें दो युवा लड़कों का साथ मिल गया है। जहां एक ओर कन्हैया कुमार पूर्णत कांग्रेस में शामिल हो गए तो वहीं जिग्नेश मेवानी वैचारिक रूप से पार्टी के साथ हैं। दोनों ने पहले राहुल गांधी से मुलाकात की, फिर औपचारिक तौर पर मीडिया के सामने आकर अपना-अपना पक्ष रखा। कन्हैया कुमार और जिग्नेश मेवानी दोनों ने ही भाजपा पर जबरदस्त तरीके से हमला किया और दावा किया कि देश को बचाना है तो कांग्रेस को मजबूत करना होगा। कन्हैया जहां बिहार से आते हैं तो वहीं जिग्नेश मेवानी गुजरात से। गुजरात में अगले साल विधानसभा के चुनाव होने है। ऐसे में पार्टी वहां पर खुद को मजबूत करने की कोशिश में है। तो वहीं दूसरी ओर बिहार में पार्टी अपना खोया जनाधार वापस पाने के लिए संघर्ष कर रही है। 

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कांग्रेस को क्यों पड़ी जिग्नेश और कन्हैया की जरूरत

कन्हैया कुमार जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष रहे हैं। वह उस समय सुर्खियों में थे जब उन पर जेएनयू कैंपस में देशद्रोही नारे लगाने का आरोप लगा था। भाजपा कन्हैया कुमार पर जबरदस्त तरीके से हमलावर रही है। कन्हैया कुमार की एक अच्छी खासी फैन फॉलोइंग है। इसके अलावा वह अपनी बातों को धारदार तरीके से पेश करते हैं। उनके पास तर्क-वितर्क करने की अपनी अलग शैली है और सबसे बड़ी खासियत है कि उनकी पहचान अब देशभर में हो चुकी है। जिग्नेश मेवानी की बात करें तो वह गुजरात में लगातार भाजपा शासन के विरोध संघर्ष करते रहे हैं। गुजरात में उन्होंने दलितों की लगातार आवाज उठाई है। इसके अलावा पाटीदार आंदोलन में भी उनकी खास भूमिका रही। ऐसे में माना जा रहा है कि दोनों नेताओं के आने से पार्टी को एक मजबूती मिल सकती है। 

युवा नेताओं की होगी भरपाई

पिछले कुछ वर्षों में हमने देखा कि कांग्रेस पार्टी के कई युवा नेता पार्टी का साथ छोड़ भाजपा या अन्य दलों में शामिल हो गए हैं। उदाहरण के तौर पर ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद और सुष्मिता देव जैसे कुछ युवा नेता है जो राहुल गांधी के किचन केबिनेट का हिस्सा माने जाते रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस पार्टी पर यह भी आरोप लग रहा था कि वह राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के समकक्ष कोई और युवा नेता को आगे बढ़ाना नहीं चाहती। ऐसे में पार्टी ने अब दो युवा नेताओं को शामिल करके एक नया संदेश देने की कोशिश की है। 

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कन्हैया और जिग्नेश की भूमिका

कन्हैया कुमार के ऊपर जहां हिंदी भाषी क्षेत्रों में कांग्रेस को मजबूत करने की जिम्मेदारी होगी तो वहीं जिग्नेश को गुजरात, महाराष्ट्र में दलितों को पार्टी की विचारधारा से जोड़ना होगा। कन्हैया कुमार बिहार से आते हैं और बिहार में कांग्रेस कभी शीर्ष रही थी। लेकिन अब वह लालू यादव की पार्टी आरजेडी के सहारे ही वहां कुछ जीत हासिल कर पाती है। ऐसे में पार्टी वहां अपना जनाधार मजबूत करने की कोशिश कर रही है। बिहार कांग्रेस में भी जबरदस्त तरीके से सिर फुटव्वल है। ऐसे में कन्हैया कुमार जैसे नेताओं को आगे कर पार्टी आंतरिक कलह को दूर करने की कोशिश करेंगे। 

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