गहलोत मंत्रिमंडल में खाली पड़े हैं 9 पद, पायलट भरना चाहते हैं उड़ान मगर पेंच फंसा !

Sachin Pilot
प्रतिरूप फोटो

अशोक गहलोत के मंत्रिमंडल में 9 पद खाली पड़े हुए हैं। जिनमें से कुछ पद तो पायलट खेमे के विधायकों द्वारा इस्तीफा दिए जाने से खाली हुए और अब वह अपने खेमे के 6 से 7 विधायकों को वापस मंत्रिमंडल में देखना चाहते हैं।

जयपुर। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी के खेमे के ज्योतिरादित्य सिंधिया और जितिन प्रसाद के भाजपा में शामिल हो जाने के बाद पार्टी अब सचिन पायलट की समस्याओं को सुलझाने का विचार कर रही है। बता दें कि पिछले दो दिन से सचिन पायलट दिल्ली में हैं। 

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गहलोत मंत्रिमंडल में 9 पद खाली

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राजस्थान के अशोक गहलोत के मंत्रिमंडल में 9 पद खाली पड़े हुए हैं। जिनमें से कुछ पद तो पायलट खेमे के विधायकों द्वारा इस्तीफा दिए जाने से खाली हुए और अब वह अपने खेमे के 6 से 7 विधायकों को वापस मंत्रिमंडल में देखना चाहते हैं लेकिन यह इतना आसान नहीं होने वाला है क्योंकि 18 निर्दलीय और बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए विधायक भी टकटकी लगाए हुए बैठे हुए हैं। ऐसे में सभी विधायकों को संतुष्ठ कर पाना आसान बात नहीं है और इसके लिए पार्टी नया सूत्र तैयार कर रही है।

गंवाना पड़ा था डिप्टी सीएम का पद

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कमलनाथ सरकार को गिराकर मध्य प्रदेश में चौथी बार शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्री बनने में मदद की थी। जिसका उन्हें तोहफा भी मिला। सिंधिया को राज्यसभा भेजा गया और माना जा रहा है कि उन्हें केंद्र में मंत्री भी बनाया जा सकता है। हालांकि सिंधिया की भांति पायलट भी राजस्थान में नंबर गेम खेलना चाहते थे लेकिन जादूगर गहलोत के सामने उनकी चाल बेअसर हो गई और उन्हें डिप्टी सीएम पद से भी हाथ धोना पड़ा था।

पायलट ने कांग्रेस आलाकमान से सुलह करना ही मुनासिब समझा और अपनी मांगों को भी दोहराते रहे। कहा तो यह भी जा रहा है कि जल्द ही 2024 के लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्षा बूथलेवल तक पार्टी को मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम उठाने वाली हैं। इसके साथ ही वह कई राज्यों के अध्यक्षों के साथ-साथ महासचिवों को भी बदल सकती हैं। जबकि नाराज नेताओं को अहम जिम्मेदारियां देने का भी विचार कर रही हैं। 

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रिपोर्ट्स के मुताबिक कांग्रेस आलाकमान पायलट को राष्ट्रीय संगठन में कोई बड़ा पद दे सकती है या फिर उनको महासचिव भी बनाया जा सकता है। कांग्रेस का मानना है कि अगर पायलट केंद्र की राजनीति में सक्रिय होते हैं तो गहलोत-पायलट के बीच का टकराव समाप्त हो सकता है।

केंद्र की राजनीति मंजूर नहीं !

प्राप्त जानकारी के मुताबिक पायलट महासचिव का पद नहीं लेना चाहते हैं। उनके खेमे के नेताओं के मुताबिक वह केंद्र की राजनीति में एक्टिव होकर प्रदेश सरकार से अपना दावा नहीं खत्म करना चाहते हैं और अगर ऐसा होता है तो उनके साथ कोई भी विधायक नहीं रह पाएगा।

पायलट से चिंतित नहीं है कांग्रेस

जानकार बताते हैं कि कांग्रेस आलाकमान को प्रदेश की सारी जानकारियां हैं और उन्हें पायलट से कोई खतरा भी दिखाई नहीं देता है। ऊपर से गहलोत ने विधायकों को अपने पाले में कर रखा है। ऐसे में सरकार गिराना पायलट के बस में नहीं है तभी तो पार्टी उन्हें लटकाए हुए हैं।

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