उत्तराखंड में कांग्रेस को लगा बड़ा झटका, नहीं रहीं कांग्रेस की कद्दावर नेता इंदिरा हृदयेश

Indira Hridayesh
रेनू तिवारी । Jun 13 2021 2:16PM

कांग्रेस की वरिष्ठ नेता एवं उत्तराखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश का रविवार को नई दिल्ली में निधन हो गया।

कांग्रेस की वरिष्ठ नेता एवं उत्तराखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश का रविवार को नई दिल्ली में निधन हो गया। वह 80 वर्ष की थीं। कांग्रेस सूत्रों ने यहां बताया कि वह शनिवार को नई दिल्ली में प्रदेश कांग्रेस प्रभारी देवेंद्र यादव की अध्यक्षता में हुई बैठक में शामिल हुई थीं। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने उत्तराखंड विधानसभा में कांग्रेस नेता और विपक्ष की नेता (एलओपी) इंदिरा हृदयेश के निधन पर शोक व्यक्त किया।

 

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इंदिरा हृदयेश (7 अप्रैल 1941 - 13 जून 2021) एक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस नेता, विधायक और साथ ही भारत में उत्तराखंड विधानसभा में विपक्ष की नेता थीं। वह 2012 के उत्तराखंड विधान सभा चुनाव में हल्द्वानी निर्वाचन क्षेत्र से चुनी गई थीं। वह उत्तराखंड 2012 से 2017 तक उत्तराखंड सरकार में हरीश रावत के तहत संसदीय कार्य, उच्च शिक्षा और योजना मंत्री थीं। इंदिरा हृदयेश का निधन 13 जून को दिल्ली के उत्तराखंड भवन में कार्डियक अरेस्ट के कारण हुआ।

 

खबर की विस्तार से जानकारी-

कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और उत्तराखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश का रविवार को नयी दिल्ली में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह 80 वर्ष की थीं। उनके परिवार में तीन पुत्र हैं, जिनमें से एक बेटे सुमित राजनीति के क्षेत्र में हैं। प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने बताया कि दिल्ली में उत्तराखंड सदन में दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। वह शनिवार को दिल्ली में प्रदेश कांग्रेस प्रभारी देवेंद्र यादव की अध्यक्षता में राज्य में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों की रणनीति पर चर्चा को लेकर हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में शामिल हुई थीं।

हृदयेश के ओएसडी अभिनव मिश्रा ने बताया कि उनका अंतिम संस्कार सोमवार को उनके गृह नगर हल्द्वानी में होगा। उनके निधन का समाचार सुनते ही दिल्ली में मौजूद प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस महासचिव हरीश रावत, उत्तराखंड कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह राज्य सभा सदस्य प्रदीप टम्टा, और केसी वेणुगोपाल सहित पार्टी के कई वरिष्ठ नेता उत्तराखंड सदन पहुंचे और उन्हें श्रद्धांजलि दी। शनिवार की बैठक में उनके साथ मौजूद रहे हरीश रावत ने कहा कि कल ही उनके साथ बैठकर अगले चुनावों की रणनीति पर चर्चा की थी और एक दिन बाद ही वह सबको छोडकर चली गयीं। उन्होंने कहा, ‘ हमने राज्य में परिवर्तन यात्रा निकालने पर चर्चा की और क्या पता था कि अगले ही दिन वह एक अंतहीन यात्रा पर निकल जाएंगी। ’ राजनीतिक गलियारों में दीदी के नाम से प्रसिद्ध हृदयेश के निधन की खबर फैलते ही राज्य में शोक की लहर दौड़ गई।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हृदयेश के निधन पर शोक व्यक्त किया और कहा कि वह कई सामुदायिक सेवाओं के प्रयासों में अग्रिम मोर्चे पर रहीं और एक प्रभावशाली विधायक के रूप में अपनी पहचान बनाई। एक ट्वीट में उन्होंने कहा कि उनके निधन से वह दुखी हैं और उनके परिजनों और समर्थकों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने हृदयेश के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए दिवंगत आत्मा की शांति व शोक संतप्त परिजनों को धैर्य प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की। पिछले चार दशकों में उत्तर प्रदेश से लेकर उत्तराखंड की राजनीति में उनकी बङ़ी भूमिका को याद करते हुए रावत ने कहा कि वह एक कुशल प्रशासक, वरिष्ठ राजनीतिज्ञ व संसदीय मामलों की जानकार थीं और अपनी बात को सदैव बेबाकी से सभी के समक्ष रखती थीं।उन्होंने कहा, ‘ इंदिराजी से मेरा परिचय दशकों पुराना रहा है। उनसे सदा मुझे बड़ी बहन जैसी आत्मीयता मिली। ’

हृदयेश के निधन को राज्य के साथ ही अपनी निजी क्षति बताते हुए प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक ने कहा कि वह मां गंगा से दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान कर उनके परिजनों को असहनीय दुख को सहने की शक्ति देने की प्रार्थना करते हैं। दिग्गज कांग्रेसी नेता दिवंगत हेमवती नंदन बहुगुणा और नारायण दत्त तिवारी की करीबी रहीं हृदयेश ने अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत 1974 में एक शिक्षक नेता के रूप में की थीं और उसी साल वह उत्तर प्रदेश में एमएलसी बनी थीं। उत्तराखंड गठन के बाद अस्तित्व में आई प्रदेश की अंतरिम विधानसभा में भी हृदयेश शामिल थीं। बाद में प्रदेश में 2002 में बनी नारायण दत्त तिवारी नीत सरकार में उन्होंने संसदीय कार्यमंत्री, सूचना और लोक निर्माण विभाग की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभाली। उसके बाद उन्होंने विजय बहुगुणा तथा हरीश रावत नीत सरकार में वित्त मंत्री का पद संभाला।

हल़्द्वानी विधानसभा क्षेत्र से उन्होंने 2002, 2012 और 2017 का विधानसभा चुनाव जीता। हालांकि, वर्ष 2007 में वह हल्द्वानी से विधानसभा चुनाव हार गयी थीं। पिछले साल कोविड 19 की पहली लहर में वह कोरोना वायरस से संक्रमित हो गई थीं, लेकिन उससे उबरने के बाद वह फिर सक्रिय हो गयीं और अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी को सत्ता में वापस लाने के लिये तैयारी में जुट गई थीं। प्रदेश कांग्रेस में दमदार नेता की छवि रखने वाली हृदयेश एक ऐसा मजबूत स्तंभ थीं जिनकी राय और सहमति के बिना पार्टी की कोई रणनीति नहीं बनती थी।

 

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