इंदौर में कर्फ्यू के बावजूद बढ़ रहे कोरोना के मामले, जांच रिपोर्ट आने में देरी बरकरार

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अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि पिछले 24 घंटे के दौरान 94 नये मामले मिलने के बाद जिले में कोविड-19 के मरीजों की तादाद 1,372 से बढ़कर 1,466 पर पहुंच गयी है।

इंदौर। देश में कोरोना वायरस के प्रकोप से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में शामिल इंदौर के शहरी इलाके में एक महीने से ज्यादा वक्त से कर्फ्यू लगा है। इसके बावजूद बड़ी तादाद में इस महामारी के नये मरीज सामने आ रहे हैं। इससे महामारी के फैलने की हकीकत के साथ ही कर्फ्यू के पालन को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि पिछले 24 घंटे के दौरान 94 नये मामले मिलने के बाद जिले में कोविड-19 के मरीजों की तादाद 1,372 से बढ़कर 1,466 पर पहुंच गयी है। जिले में इस महामारी के अधिकतर मामले इंदौर शहर से सामने आये हैं जहां कोरोना वायरस का पहला मरीज मिलने के बाद से प्रशासन ने 25 मार्च से कर्फ्यू लगा रखा है। 

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उन्होंने बताया कि पिछले 24 घंटे में जो जांच रिपोर्ट आयी हैं, उनमें दो मरीजों की मौत से पहले लिये गये नमूने भी कोविड-19 से संक्रमित पाये गये हैं। इनमें शामिल 70 वर्षीय पुरुष ने 17 अप्रैल को शहर के एक निजी अस्पताल में दम तोड़ा था। वह मधुमेह से भी पीड़ित थे। दूसरे मामले में 45 वर्षीय पुरुष ने 23 अप्रैल को इसी अस्पताल में आखिरी सांस ली थी। वह किडनी संबंधी बीमारी से पहले ही जूझ रहे थे। अधिकारियों ने बताया कि दोनों मामलों को मिलाकर जिले में कोविड-19 संक्रमण के बाद मरने वाले मरीजों की तादाद 63 से बढ़कर 65 पर पहुंच गयी है। कर्फ्यू लगा होने के बाद भी शहर में बड़ी तादाद में कोविड-19 के नये मरीज सामने आने के बारे में पूछे जाने पर स्वास्थ्य विभाग रटा-रटाया जवाब दोहरा रहा है।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) प्रवीण जड़िया ने कहा कि शहर में कोविड-19 के जो नये मरीज मिल रहे हैं, उनमें से ज्यादातर लोग इस महामारी के पुराने मरीजों के सगे-संबंधी या परिचित हैं। मरीजों के संपर्क में आये ऐसे सभी लोगों को सावधानी के तौर पर पहले ही अलग किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि शहर में कोविड-19 के ज्यादातर नये मरीज उन्हीं इलाकों में मिल रहे हैं, जिन्हें कई दिन पहले ही रोकथाम क्षेत्र (कंटेनमेंट जोन) घोषित कर सील किया जा चुका है। बहरहाल, शहर में कोविड-19 की रोकथाम के सरकारी अभियान से जुड़े सूत्रों का कहना है कि प्रयोगशालाओं से नमूनों की जांच रिपोर्ट आने में देरी बरकरार है जिससे इस मुहिम पर स्वाभाविक रूप से असर पड़ रहा है। कोविड-19 को लेकर शहर में स्थिति नियंत्रण में होने का दावा करने वाले स्थानीय प्रशासन का कहना है कि वह नमूनों की जांच की रफ्तार बढ़ाने का हरसंभव प्रयास कर रहा है। 

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इंदौर संभाग के आयुक्त (राजस्व) आकाश त्रिपाठी ने बताया कि फिलहाल शहर की एक सरकारी प्रयोगशाला में हर दिन 400 से अधिक नमूनों की कोविड-19 की जांच हो रही है। प्रयोगशाला में कुछ स्वचालित जांच मशीनें जल्द ही शुरू होने वाली हैं जिससे यह क्षमता बढ़कर 650 से 800 नमूनों तक हो जायेगी। उन्होंने बताया कि दूसरे शहरों की सरकारी प्रयोगशालाओं के साथ ही निजी क्षेत्र की कुछ मान्यताप्राप्त प्रयोगशालाओं से भी नमूनों की जांच करायी जा रही है ताकि इनकी कोविड-19 की रिपोर्ट जल्द से जल्द आ सके। इस बीच, सरकारी तंत्र के लिये राहत की बात यह है कि जिले में कोविड-19 के मरीजों की मृत्यु दर में पिछले 20 दिन के दौरान बड़ी गिरावट दर्ज की गयी है।

प्रदेश सरकार के आंकड़ों के मुताबिक नौ अप्रैल की सुबह की स्थिति के अनुसार जिले में कोविड-19 के मरीजों की मृत्यु दर 10.33 प्रतिशत थी। ताजा आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि 29 अप्रैल (बुधवार) की सुबह की स्थिति में जिले में कोविड-19 के मरीजों की मृत्यु दर प्रतिशत घटकर 4.43 प्रतिशत रह गयी है।

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डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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