भारतबोध के प्रखर प्रवक्ता थे दीनदयाल उपाध्याय, देश की समस्याओं का खोजते थे हल: प्रो. संजय द्विवेदी

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प्रो. द्विवेदी ने कहा कि दीनदयाल जी देश की समस्याओं का देसी अंदाज में हल खोजते थे। उनका मानना था कि विदेशों से ली गई विचार प्रणालियों में हमारे राष्ट्र की सभ्यता एवं संस्कृति प्रकट नहीं हो सकती है।

नई दिल्ली/धर्मशाला। भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने दीनदयाल उपाध्याय को भारतबोध का प्रखर प्रवक्ता बताते हुए कहा है कि वे ऐसे राजनीतिक विचारक थे, जिन्होंने भारत को समझा और उसकी समस्याओं के हल तलाशने के प्रयास किए। उन्होंने कहा कि दीनदयाल जी का लेखन और जीवन भारतबोध को प्रकट करता है। 'सादा जीवन और उच्च विचार' का मंत्र उनके जीवन में साकार होता नजर आता है। प्रो. द्विवेदी शुक्रवार को पं. दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि के अवसर पर हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय, धर्मशाला द्वारा आयोजित सात दिवसीय कार्यक्रम 'दीनदयाल प्रसंग' के शुभारंभ समारोह को संबोधित कर रहे थे।

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'दीनदयाल उपाध्याय का भारतबोध' विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए आईआईएमसी के महानिदेशक ने कहा दीनदयाल जी राजनीतिक लोकतंत्र की सार्थकता के लिए आर्थिक लोकतंत्र के समर्थक थे। उनका मानना था कि जिस तरह 'प्रत्येक व्यक्ति को वोट का अधिकार' राजनीतिक प्रजातंत्र का आधार है, वैसे ही 'प्रत्येक व्यक्ति को काम का अधिकार' आर्थिक प्रजातंत्र का मापदंड है। 

प्रो. द्विवेदी के अनुसार भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान दीनदयाल उपाध्याय के अंत्योदय के विचार से ही प्रेरित है। अंत्योदय की मूल भावना को अगर आपको समझना है, तो आपको भारतीयता और सुशासन को समझना होगा। अंत्योदय का मंतव्य है कि समाज की अंतिम सीढ़ी पर खड़ा व्यक्ति भी सब के साथ आना चाहिये, तभी देश का समान आर्थिक विकास संभव हो पाएगा।

प्रो. द्विवेदी ने कहा कि दीनदयाल जी देश की समस्याओं का देसी अंदाज में हल खोजते थे। उनका मानना था कि विदेशों से ली गई विचार प्रणालियों में हमारे राष्ट्र की सभ्यता एवं संस्कृति प्रकट नहीं हो सकती है। इसलिए राष्ट्रमानस को छूने में वे असफल रही हैं। उनके विचारों में हमेशा राष्ट्रप्रेम और भारतीय जनमानस की समृद्धि की भावना प्रमुख रही है। प्रो. द्विवेदी के अनुसार यह हमारे लिए गर्व का विषय है कि आज पूरी दुनिया में दीनदयाल उपाध्याय जी के एकात्म मानवदर्शन की स्वीकार्यता बढ़ी है।

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कार्यक्रम का संचालन डॉ. जयप्रकाश सिंह ने किया एवं स्वागत भाषण पं. दीनदयाल उपाध्याय पीठ के चेयर प्रोफेसर डॉ. अरुण कुमार ने दिया। धन्यवाद ज्ञापन दीनदयाल उपाध्याय अध्ययन केंद्र के मानद निदेशक डॉ. मलकीत सिंह ने किया। समारोह में बीएचयू से प्रो. कौशल किशोर मिश्रा, आईआईएमसी के डीन (अकादमिक) प्रो. गोविंद सिंह, प्रो. प्रमोद कुमार, प्रो. संगीता प्रणवेन्द्र एवं प्रो. अनिल सौमित्र भी उपस्थित थे।  ​

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