मोदी के साथ ट्विटर वार्तालाप के बाद उठे अटकलों के दौर को देवड़ा ने बताया निराधार

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[email protected] । Sep 24 2019 5:46PM

देवड़ा ने कहा, “मेरे दिवंगत पिता ने भारतीय प्रधानमंत्रियों और अमेरिकी राष्ट्रपतियों के साथ मिलकर दलगत भावना से ऊपर उठकर काम किया।’’उन्होंने कहा कि उन्हें विरासत में मिले अनुभव और रिश्तों का बहुत मतलब नहीं है, अगर उनसे भारत को लाभ नहीं हो। उन्होंने कहा, ‘‘अंत में, मैं अपना पिता का पुत्र हूं। मित्रता उनकी राजनीति का आधार थी। इसने हमें भुवनेश्वर से बोस्टन और वाल्केश्वर से वाशिंगटन तक मित्र और शुभचिंतक मिले। मैं अपने मूल विश्वासों से समझौता नहीं करूंगा...’’

मुंबई। कांग्रेस नेता मिलिंद देवड़ा ने मंगलवार को कहा कि उनके भविष्य के राजनीतिक कदम के बारे में जो अटकलें लगायी जा रही हैं वे निराधार हैं। देवड़ा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा की सराहना करते हुए ट्वीट किया था और इस पर प्रधानमंत्री ने जवाबी ट्वीट किया था।देवड़ा ने टेक्सास में मोदी के भाषण की प्रशंसा की थी। प्रधानमंत्री ने उनके ट्वीट का जवाब देते हुए मिलिंद के पिता और अपने दिवंगत मित्र मुरली देवड़ा की अमेरिका के साथ मजबूत संबंधों की प्रतिबद्धता को याद किया था।प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सचिन सावंत ने यहां संवाददाताओं से कहा कि देवड़ा की टिप्पणी पर एआईसीसी जवाब देगी।देवड़ा ने एक बयान में कहा कि उन्हें भारत-अमेरिका संबंधों की विरासत अपने पिता मुरली देवड़ा से मिली है।उन्होंने कहा, ‘‘मेरे पिता पहली बार 1968 में आदान-प्रदान (एक्सचेंज) छात्र के रूप में अमेरिका गए थे और रॉबर्ट एफ कैनेडी से मिलने के बाद सार्वजनिक जीवन में आने और दोनों लोकतंत्रों के बीच मजबूत संबंध बनाने का फैसला किया।

संस्थानों, राजनीतिक दलों और नेताओं के साथ मेरे परिवार के रिश्ते भारत के हितों को ध्यान में रखते हुए बनाए गए थे।’’देवड़ा ने कहा कि उनके पिता के प्रयासों और रिश्तों ने भारत के राष्ट्रीय हितों को मजबूत बनाने में मदद की।  उन्होंने कहा, “मेरे दिवंगत पिता ने भारतीय प्रधानमंत्रियों और अमेरिकी राष्ट्रपतियों के साथ मिलकर दलगत भावना से ऊपर उठकर काम किया।’’उन्होंने कहा कि उन्हें विरासत में मिले अनुभव और रिश्तों का बहुत मतलब नहीं है, अगर उनसे भारत को लाभ नहीं हो।  उन्होंने कहा, ‘‘अंत में, मैं अपना पिता का पुत्र हूं। मित्रता उनकी राजनीति का आधार थी। इसने हमें भुवनेश्वर से बोस्टन और वाल्केश्वर से वाशिंगटन तक मित्र और शुभचिंतक मिले। मैं अपने मूल विश्वासों से समझौता नहीं करूंगा...’’

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