आपदाओं के प्रकोप को न्यूनतम करने के लिए पूर्व तैयारी जरूरी : Dhami

Dhami
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यहां ‘आपदा प्रबंधन के लिए आधुनिक तकनीक के उपयोग पर आयोजित एक अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन’को संबोधित करते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमालयी राज्य आपदाओं की दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील है, जहां भूकंप, भूस्खलन, बादल फटना, वनाग्नि आदि प्राकृतिक आपदाएं घटित होती रहती हैं।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव को न्यूनतम करने के लिए ‘प्रोएक्टिव अप्रोच’ (पूर्व तैयारी)पर जोर देते हुए कहा कि इसके लिए आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल पर विशेष ध्यान देना होगा। यहां ‘आपदा प्रबंधन के लिए आधुनिक तकनीक के उपयोग पर आयोजित एक अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन’को संबोधित करते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमालयी राज्य आपदाओं की दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील है, जहां भूकंप, भूस्खलन, बादल फटना, वनाग्नि आदि प्राकृतिक आपदाएं घटित होती रहती हैं।

उन्होंने कहा, इनमें अत्यधिक जन-धन की हानि होना स्वाभाविक है। इन आपदाओं से निपटने का एक ही उपाय है - प्रोएक्टिव अप्रोच। इसके द्वारा आपदाओं के प्रकोप को न्यूनतम किया जा सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले भूकंप के अलावा ज्यादातर आपदायें बरसात के मौसम में ही घटित होती थीं, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में आपदायें हर मौसम में आ रही हैं और इसे देखते हुए हर समय राज्य को तैयार रहने की जरूरत है।

इस संबंध में उन्होंने याद दिलाया कि अक्टूबर 2021 में मौसम विभाग द्वारा भारी वर्षा की पूर्व चेतावनी जारी कर दी गयी थी जिसके कारण संभावित क्षति को काफी कम किया जा सका। धामी ने इस संबंध में 2013 की केदारनाथ आपदा तथा उसके बाद भी राज्य में आई अन्य आपदाओं का जिक्र किया तथा आशा व्यक्त की कि इस दो दिवसीय सम्मेलन से निकलने वाले निष्कर्ष केवल सैद्धांतिक स्तर पर ही नहीं बल्कि प्रायोगिक स्तर पर भी आत्मसात करने योग्य होंगे। उन्होंने आशा जतायी कि इस कार्यशाला से निकलने वाले निष्कर्ष हमारे राज्य के लिए ही नहीं बल्कि सभी हिमालयी राज्यों के लिए लाभप्रद होंगे।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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