क्षेत्रीय पहलों को बाधित करना अब नहीं चलेगाः जयशंकर

सार्क में हर संभावित क्षेत्रीय पहल को ‘‘बाधित’’ करने के पाकिस्तान के ‘‘भारी नुकसान पहुंचाने वाले’’ रवैये को आड़े हाथों लेते हुए भारत ने आज कहा कि वह क्षेत्र के अन्य देशों पर बिम्सटेक जैसे अन्य विकल्पों को आजमाने का दबाव बनाएगा। सार्क के प्रति इस्लामाबाद के रवैये की कड़ी आलोचना करते हुए विदेश सचिव एस जयशंकर ने पाकिस्तान का नाम लिए बगैर कहा कि क्षेत्रीय सहयोग के कुछ मूलभूत मानकों का पालन किया जाना चाहिए और ज्यादातर सदस्य देश चाहते हैं कि क्षेत्रीय पहलों को आगे बढ़ाया जाए।
चीन-पाकिस्तान संबंधों के संदर्भ में उन्होंने कहा कि इस संबंध के चलते कुछ ऐसे मुद्दे सामने आ रहे हैं जो भारत के लिए चिंता खड़ी कर रहे हैं, इसमें आर्थिक गलियारे का मुद्दा भी शामिल है जिसका निर्माण बीजिंग पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के रास्ते कर रहा है। ‘भारत और महान ताकतें: निरंतरता और बदलाव’ विषय पर संबोधन देते वक्त विदेश सचिव ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच के मसलों को हल करने के लिए किसी तीसरे देश के दखल की जरूरत नहीं है और इससे भ्रम और अपेक्षाएं बढ़ेंगी। उन्होंने कहा कि अंपायर होने की स्थिति में खेल अपना प्राकृतिक संतुलन खो देता है।
हाल ही में वॉशिंगटन से लौटे जयशंकर ने विभिन्न समसामयिक मुद्दों पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की विदेश नीति क्या होगी यह देखना दिलचस्प होगा। जयशंकर ने कहा कि किसी बदलाव की उम्मीद नहीं करना अनुचित होगा। सार्क के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि समूहीकरण, क्षेत्रीय सहयोग और कनेक्टिविटी में सुधार लाने में भारत की खास दिलचस्पी है और यह एशिया समेत पूरे क्षेत्र के लिए लाभदायक है। उन्होंने कहा कि पहलों को बाधित करने का रवैया ‘‘बेहद हानिकारक’’ है।
काठमांडू में हुए सार्क के पिछले सम्मेलन में पाकिस्तान ने कुछ अन्य पहलों समेत महत्वपूर्ण क्षेत्रीय कनेक्टिविटी समझौते को बाधित किया था। जयशंकर ने कहा, ‘‘समस्या यह है कि सार्क में क्षेत्रीय सहयोग के कुछ मूलभूत किस्म के मानकों का पालन करना होता है। अगर आप कहते हैं कि मैं क्षेत्रीय सदस्य बनूंगा लेकिन क्षेत्रीय कारोबार की इजाजत नहीं दूंगा, क्षेत्रीय कनेक्टिविटी की मंजूरी नहीं दूंगा, क्षेत्रीय जल परिवहन और क्षेत्रीय रेलवे की अनुमति नहीं दूंगा तो फिर इसका मतलब ही क्या है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘आप किसी क्षेत्र के सदस्य नहीं हो सकते और हर संभावित क्षेत्रीय पहल को रोक कर यह नहीं कह सकते कि मैं एक अच्छा सदस्य हूं। रवैये को बदलना होगा।’’ जयशंकर ने कहा कि सार्क के ज्यादातर सदस्य क्षेत्रीय पहलों पर आगे बढ़ना चाहते हैं और ‘‘अगर सार्क उन्हें इस पर जवाब नहीं देता है तो वे उप क्षेत्रीय पहलों को अपनाएंगे और बिम्सटेक (बहुक्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी पहल) जैसी अन्य पहलों पहलों को आजमाएंगे।
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