मायका कांग्रेसी और ससुराल पक्ष भाजपाई, ऐसा है शहडोल सांसद हिमाद्री सिंह का परिवार, गर्भावस्था में जीता था लोकसभा चुनाव

Himadri Singh
प्रतिरूप फोटो

हिमाद्री सिंह सितंबर 2017 में नरेंद्र मरावी के साथ सात जन्मों के अटूट बंधन में बंध गईं। उस वक्त कयास लगाए जाने लगे थे कि हिमाद्री सिंह जल्द ही भाजपा में शामिल हो जाएंगी। तब उन्होंने कहा था कि चाहे कुछ भी हो जाए वो कांग्रेस नहीं छोड़ने वाली हैं। लेकिन लोकसभा चुनाव के समय भाजपा में शामिल हो गईं।

मध्य प्रदेश के शहडोल से सांसद हिमाद्री सिंह को अपने पिता से विरासत में राजनीति मिली है। उनके पिता दलवीर सिंह तो केंद्र सरकार में दो बार मंत्री रहे हैं और उनकी माता राजेश नंदिनी भी कांग्रेस की सांसद रह चुकी हैं। साल 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले हिमाद्री सिंह भी कांग्रेस पार्टी में ही थीं लेकिन शादी के बाद उन्होंने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली क्योंकि उनके पति नरेंद्र मरावी भाजपा नेता हैं। 

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कौन हैं हिमाद्री सिंह ? 

हिमाद्री सिंह का जन्म 9 अप्रैल, 1988 को नयी दिल्ली में हुआ। उनके पिता कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में से एक रहे हैं। उन्होंने मोनाद विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में बीए की डिग्री हासिल की है। 

हिमाद्री सिंह सितंबर 2017 में नरेंद्र मरावी के साथ सात जन्मों के अटूट बंधन में बंध गईं। उस वक्त कयास लगाए जाने लगे थे कि हिमाद्री सिंह जल्द ही भाजपा में शामिल हो जाएंगी। तब उन्होंने एक बयान में कहा था कि चाहे कुछ भी हो जाए वो कांग्रेस पार्टी नहीं छोड़ने वाली हैं। लेकिन साल 2019 के लोकसभा चुनाव के समय उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया और भाजपा की टिकट पर शहडोल से चुनाव लड़ा।

हिमाद्री सिंह लोकसभा चुनाव जीतने के महज 28 दिन बाद मां बन गईं। उन्होंने गृभावस्था में पूरा चुनाव प्रचार संभाला और कांग्रेस उम्मीदवार प्रमिला सिंह को करीब 4 लाख वोट से परास्त भी किया। 

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कांग्रेस ने रखी थी एक शर्त

माना जाता है कि लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने हिमाद्री सिंह के सामने एक शर्त रखी थी। हिमाद्री सिंह को शहडोल से टिकट देने का मन बना चुकी कांग्रेस ने उनसे कहा था कि वह अपने पति नरेंद्र मरावी को पार्टी में शामिल कराएं लेकिन हिमाद्री सिंह ऐसा करने के लिए तैयार नहीं थीं और अंतत: उन्होंने कांग्रेस को छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया। जिसके तुंरत बाद ही भाजपा ने उन्हें गृभावस्था में होने के बावजूद शहडोल से टिकट देते हुए महिला सशक्तिकरण का नायाब उदाहरण पेश किया।

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