ज्वाइनिंग कमेटी के अध्यक्ष बने डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी,एक बार फिर पार्टी में मिली बड़ी जिम्मेदारी
डॉ. लक्ष्मीकांत को भाजपा की ज्वाइनिंग कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया है। चुनाव को लेकर भाजपा में किसे शामिल करना है, किसे नहीं, यह फैसला वाजपेयी की अध्यक्षता वाली कमेटी करेगी। अब अन्य दलों से भाजपा में आने वाले चेहरों को बाजपेयी की स्क्रीनिंग से गुजरना होगा। तेज तर्रार नेता और स्पष्टवादी छवि वाले बाजपेई की मुहर के बाद ही बाहरी नेताओं को भाजपा में शामिल किया जाएगा।
मेरठ,सूबे की सियासत में लंबे समय से हाशिये पर चल रहे भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी को पार्टी नेतृत्व ने बड़ी जिम्मेदारी दी है। डॉ. लक्ष्मीकांत को भाजपा की ज्वाइनिंग कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया है। चुनाव को लेकर भाजपा में किसे शामिल करना है, किसे नहीं, यह फैसला वाजपेयी की अध्यक्षता वाली कमेटी करेगी। अब अन्य दलों से भाजपा में आने वाले चेहरों को बाजपेयी की स्क्रीनिंग से गुजरना होगा। तेज तर्रार नेता और स्पष्टवादी छवि वाले बाजपेई की मुहर के बाद ही बाहरी नेताओं को भाजपा में शामिल किया जाएगा। ज्वाइनिंग कमेटी का महत्व इस बात से लगाया जा सकता है कि कमेटी में डॉ बाजपेई के साथ दोनों उप-मुख्यमंत्री डिप्टी सीएम केशव मौर्य, डा. दिनेश शर्मा के साथ प्रदेश उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह कमेटी के सदस्य के रूप में होंगे।
2017 विधानसभा चुनाव के बाद से डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी के पास कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं है। कई बार उनका नाम राज्यपाल, राज्यसभा सांसद, विधान परिषद के लिए चर्चा में आया। अब मिशन-2022 में जुटी भाजपा ने वाजपेयी को बड़ी जिम्मेदारी दी है। इसके तहत उन्हें भाजपा की ज्वाइनिंग कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया है। प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने शुक्रवार को प्रदेश की ज्वाइनिंग कमेटी घोषित की, जिसमें डॉ लक्ष्मीकांत बाजपेयी, केशव मौर्य, दिनेश शर्मा और दयाशंकर सिंह सदस्य बनाए गए हैं। बताया गया है कि बाजपेई को केंद्रीय टीम के इशारे पर उन्हें यह जिम्मेदारी दी गयी है।
मेरठ में जन्मे डॉ लक्ष्मीकांत बाजपेयी 1977 में जनता पार्टी के युवा मोर्चा मेरठ के अध्यक्ष बने। 1980-87 के दौरान जिला भाजपा के महासचिव था। 1984-86 प्रदेश भाजपा युवा मोर्चा के उपाध्यक्ष थे। शहर विस से तीन बार विधायक चुने गए। 1997 में मायावती की अगुवाई वाली मिलीजुली सरकार में पशुधन विकास मंत्री भी बनाए गए। दिसंबर 2012 में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बनाये गए। 2014 लोकसभा चुनावों में मोदी लहर और बाजपेयी की मेहनत से भाजपा ने सूबे की 80 में से 73 सीटों पर जीत दर्ज की। वो अप्रैल 2016 तक यूपी के अध्यक्ष रहे हैं। अप्रैल 2016 में प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटने बाद बाजपेई का सियासी ग्राफ नीचे आने लगा। वो शहर सीट से 2017 विस चुनाव हार गए, और बाद में पार्टी ने राज्यसभा और विधानपरिषद में भी वरीयता नहीं दी। हालांकि इन सबसे इतर डॉ बाजपेई अपने क्षेत्र में लगातार काम करते रहे।
भाजपा द्वारा ज्वाइनिंग कमेटी की घोषणा के बाद यह स्पष्ट हो गया है की चुनावी मोड में चल रही भाजपा 2022 विस चुनावों में फूंक-फूंक कर कदम रखेगी। ऐसे में बाहरी चेहरों को पार्टी में लेने से पहले विशेष एहतियात बरतेगी। बाजपेयी को इस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया है। अब चुनाव को लेकर भाजपा में किसे शामिल करना है और किसे नहीं, यह फैसला वाजपेयी की अध्यक्षता वाली कमेटी करेगी। वाजपेयी की टीम में डिप्टी सीएम केशव मौर्य, डॉ. दिनेश शर्मा और प्रदेश उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह सदस्य बनाए गए हैं। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. वाजपेयी की अध्यक्षता वाली कमेटी के गठन की सूचना जारी की। सूचना जारी होने के बाद वाजपेयी समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई।
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