सौरभ भारद्वाज पर ED की बड़ी कार्रवाई, AAP नेता मनीष सिसोदिया बोले 'ध्यान भटकाने की साजिश'

Manish Sisodia
ANI
रेनू तिवारी । Aug 26 2025 10:13AM

ईडी ने दिल्ली के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज के आवास सहित लगभग एक दर्जन ठिकानों पर छापेमारी की। यह कार्रवाई 5,590 करोड़ रुपये के अस्पताल निर्माण घोटाले में कथित मनी लॉन्ड्रिंग और अनियमितताओं की जांच से संबंधित है। 2018-19 की ये परियोजनाएं तीन साल बाद भी अधूरी हैं, जबकि उनकी लागत में भारी वृद्धि हुई है, जो भ्रष्टाचार की ओर इशारा करती है।

आम आदमी पार्टी (आप) ने पार्टी की दिल्ली इकाई के प्रमुख सौरभ भारद्वाज के परिसर पर मंगलवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की छापेमारी को ‘‘ध्यान भटकाने की रणनीति’’ बताया और दावा किया कि उनके खिलाफ मामला पूरी तरह झूठा है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, ईडी धन शोधन की जांच के तहत दिल्ली के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज (45) और अन्य से जुड़े कई ठिकानों पर छापेमारी कर रही है।

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उन्होंने बताया कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत राष्ट्रीय राजधानी में लगभग एक दर्जन स्थानों पर तलाशी ली जा रही है। पार्टी के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया ने कहा, ‘‘यह छापेमारी केवल ध्यान भटकाने की कोशिश है। मामला उस समय का है जब भारद्वाज किसी मंत्री पद पर नहीं थे। यह मामला झूठा और बेबुनियाद है।’’ सूत्रों के अनुसार, यह जांच दिल्ली की पिछली ‘आप’ सरकार के दौरान स्वास्थ्य अवसंरचना परियोजनाओं में कथित भ्रष्टाचार से संबंधित एक मामले से जुड़ी है।

प्रवर्तन निदेशालय ने ₹5,590 करोड़ की अस्पताल परियोजनाओं से जुड़े मामले की जाँच के सिलसिले में आप नेता सौरभ भारद्वाज के आवास पर छापा मारा है। यह छापेमारी पिछली सरकार में दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान राष्ट्रीय राजधानी में अस्पतालों के निर्माण में कथित अनियमितताओं के सिलसिले में की गई थी। कथित तौर पर केंद्रीय एजेंसी इस सिलसिले में दिल्ली में 12 जगहों पर तलाशी ले रही है।

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अस्पताल निर्माण घोटाला क्या है?

2018-19 में, दिल्ली सरकार ने 24 अस्पतालों के निर्माण के लिए 5,590 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को मंजूरी दी थी। आईसीयू सहित इन अस्पतालों का निर्माण छह महीने के भीतर पूरा होना था, लेकिन तीन साल बाद भी काम अधूरा है।

कई परियोजनाएँ अब गंभीर अनियमितताओं के लिए जाँच के दायरे में हैं, जैसे:

परियोजनाएँ छह महीने में पूरी होनी थीं, लेकिन अधिकांश तीन साल बाद भी अधूरी हैं। 800 करोड़ रुपये खर्च करने के बावजूद, केवल 50 प्रतिशत ही काम पूरा हुआ है।

एलएनजेपी अस्पताल की लागत 488 करोड़ रुपये से बढ़कर 1,135 करोड़ रुपये हो गई, जबकि इसमें कोई खास प्रगति नहीं हुई। कई जगहों पर निर्माण कार्य बिना उचित मंजूरी के शुरू हो गया और ठेकेदारों की भूमिका संदेह के घेरे में आ गई।

2016 से लंबित अस्पताल सूचना प्रबंधन प्रणाली (एचआईएमएस) में जानबूझकर देरी किए जाने का आरोप है। इस मामले में पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज और सत्येंद्र जैन की जाँच चल रही है। ईडी ने इस मामले में अपनी ईसीआईआर (प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट) दर्ज की है। 

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