बिजली विभाग की कमान संभालने वाले Omar Abdullah की रैली में ही कट गयी बिजली, माइक हुआ बंद तो गुस्से में मंच छोड़कर चले गये CM

लोकतंत्र में वैसे तो नेता जनता के बीच वादों की रोशनी फैलाने आते हैं, लेकिन नगरोटा की यह घटना बताती है कि शब्दों की चमक तब तक प्रभावी नहीं हो सकती, जब तक व्यवस्था की नींव में स्थिरता की रोशनी न हो।
नगरोटा विधानसभा उपचुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रत्याशी शमीम बेगम के लिए प्रचार करने पहुंचे जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को तब असहज स्थिति का सामना करना पड़ा जब उनके भाषण के दौरान ही बिजली कट गयी। खास बात यह है कि जम्मू कश्मीर में विद्युत मंत्रालय का कामकाज उमर अब्दुल्ला ही देखते हैं। यानि बिजली मंत्री की जनसभा में ही बिजली कट गयी। इस दौरान मंच पर उमर अब्दुल्ला ने लगभग तीन मिनट तक इंतजार किया ताकि माइक चालू हो जाये और वह भाषण दे सकें लेकिन जब ऐसा नहीं हुआ तो वह असहज होकर मंच से उतर कर चले गये और रैली के आयोजकों को फटकार भी लगाई।
देखा जाये तो राजनीति में कभी-कभी ऐसे क्षण आ जाते हैं जो शब्दों से ज़्यादा प्रतीकात्मक होते हैं। नगरोटा की इस घटना ने न सिर्फ़ तकनीकी विफलता, बल्कि प्रशासनिक तंत्र की सच्चाई भी उजागर कर दी। जब खुद मुख्यमंत्री जो विद्युत विभाग भी संभालते हैं, अपने भाषण के दौरान बिजली कट जाने से असहज हो जाते हैं, तो यह जनता को यह सोचने पर मजबूर करता है कि आम लोगों के हालात क्या होंगे। यह घटना एक मज़ाक़िया संयोग लग सकती है, लेकिन इसके भीतर शासन की विश्वसनीयता और व्यवस्था की तैयारी पर गंभीर प्रश्न छिपे हैं। चुनावी मंच पर भाषण से ज़्यादा प्रभावशाली दृश्य यही था कि एक मुख्यमंत्री, अपने ही विभाग की विफलता के प्रतीक रूप में बंद माइक को पकड़े हुए खड़ा है। यह सत्ता के ‘कनेक्शन’ और जनता के ‘डिसकनेक्शन’ का भी एक बेजोड़ उदाहरण था।
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लोकतंत्र में वैसे तो नेता जनता के बीच वादों की रोशनी फैलाने आते हैं, लेकिन नगरोटा की यह घटना बताती है कि शब्दों की चमक तब तक प्रभावी नहीं हो सकती, जब तक व्यवस्था की नींव में स्थिरता की रोशनी न हो। बिजली का जाना एक क्षणिक घटना थी, पर इसने यह सच्चाई उजागर कर दी कि जनसेवा का सबसे बड़ा आधार है— भरोसे की निरंतरता। नगरोटा की रैली ने दिखाया कि राजनीति की चमकदार रोशनी के पीछे अंधेरा अब भी मौजूद है। अब यह मुख्यमंत्री और उनके प्रशासन पर है कि वे इस प्रतीकात्मक अंधेरे को वास्तविक सुधार की रोशनी में कब बदलते हैं।
बहरहाल, अब उमर अब्दुल्ला अपना चुनावी वादा पूरा करने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं। यह वादा था 200 यूनिट बिजली मुफ्त देने का। उन्होंने कहा है कि लेकिन इसके लिए हम लोगों के घर में मीटर लगाएंगे और जिन लोगों के यहां मीटर नहीं होगा उन्हें इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा।
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