'जज़्बातों ने खामोशी से बात की', अखिलेश-आजम मुलाकात: क्या सुलझ गए सपा के अंदरूनी मतभेद?

Akhilesh Azam
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अंकित सिंह । Oct 8 2025 3:58PM

अखिलेश यादव ने आज़म खान से मिलकर 2027 विधानसभा चुनावों से पहले सपा की पारंपरिक मुस्लिम-यादव एकता को पुनर्जीवित करने का संकेत दिया है। अखिलेश ने आज़म खान को 'पार्टी की धड़कन' बताते हुए आंतरिक मतभेदों को पाटने और 'पीडीए' की आवाज़ मज़बूत करने की बात कही, जो यूपी में पार्टी की चुनावी रणनीति का अहम हिस्सा है। यह मुलाकात राजनीतिक सुलह और भविष्य की रणनीति के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने बुधवार को पार्टी के वरिष्ठ नेता आज़म खान से रामपुर स्थित उनके आवास पर मुलाकात की। पिछले महीने के अंत में खान के जेल से रिहा होने के बाद यह उनकी पहली आमने-सामने की मुलाकात थी। दो घंटे से ज़्यादा समय तक चली इस मुलाकात को सपा की पारंपरिक मुस्लिम-यादव एकता को पुनर्जीवित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, जिसने कभी उत्तर प्रदेश में सपा के राजनीतिक प्रभुत्व को मज़बूत किया था।

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इस मुलाकात के बाद अखिलेश यादव ने कहा कि मैं उनसे (आज़म खान से) मिलने आया हूँ...आज़म खान साहब बहुत वरिष्ठ नेता हैं। उनका गहरा प्रभाव हमेशा हम पर रहा है। यह एक बड़ी लड़ाई है, और हम सब मिलकर इसे लड़ेंगे। उन्होंने आगे कहा कि 2027 में हमारी सरकार बनने जा रही है, और पीडीए की आवाज़ मज़बूत होगी। उन्होंने यह भी कहा कि आजम खान पार्टी की धड़कन, पुराने लोगों की बात ही अलग है। अखिलेश ने मुलाकात की तस्वीरें साझा करते हुए एक्स पर लिखा कि क्या कहें भला उस मुलाक़ात की दास्तान, जहाँ बस जज़्बातों ने खामोशी से बात की। 

अखिलेश का यह दौरा सपा नेतृत्व के साथ आज़म खान के तनावपूर्ण संबंधों को लेकर महीनों से चल रही अटकलों के बाद हो रहा है। पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक और सबसे प्रभावशाली मुस्लिम नेताओं में से एक, खान ने कई आपराधिक मामलों में लंबे समय तक जेल में रहने के बाद खुद को सक्रिय राजनीति से दूर कर लिया था। उनके समर्थकों ने अक्सर इस बात पर नाराजगी जताई थी कि उनकी कानूनी परेशानियों के दौरान पार्टी ने उन्हें समर्थन नहीं दिया।

इसलिए, बुधवार की बैठक दिखावे से कहीं आगे जाती है। यह इस बात का संकेत है कि अखिलेश 2027 के विधानसभा चुनावों से पहले आंतरिक मतभेदों को पाटने और वरिष्ठ नेताओं को फिर से जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि आज़म खान ने इस बैठक के लिए स्पष्ट शर्तें तय की थीं—वह केवल अखिलेश से मिलेंगे, अन्य सपा नेताओं से नहीं—यह इस बात का संकेत है कि विश्वास तो फिर से बन रहा है, लेकिन यह अभी भी कमज़ोर है।

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