Karnataka Elections में जीत से उत्साहित कांग्रेस का ध्यान अब विधानसभा चुनावों के अगले दौर पर, Kharge ने 24 मई को बैठक बुलाई

Kharge
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छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और राज्य के शीर्ष पद पर दावा ठोक रहे राज्य के मंत्री टीएस सिंहदेव के बीच भी खुली लड़ाई है। तेलंगाना में भी, इसके राज्य इकाई के प्रमुख रेवंत रेड्डी को राज्य के नेताओं से अंदरूनी कलह का सामना करना पड़ रहा है, जो उन्हें बाहरी मानते हैं।

नयी दिल्ली। कर्नाटक में शानदार जीत दर्ज करने के तुरंतबाद ही कांग्रेस अगले मिशन की तैयारियों में जुटने जा रही है। अगले कुछ महीनों में कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं जहां कुछ राज्यों में उसका भारतीय जनता पार्टी के साथ सीधा मुकाबला होने की संभावना है। और इसी के मद्देनजर पार्टी ने 24 मई को एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है। मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में अगले कुछ महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं। कांग्रेस इन राज्यों में चुनावी रणनीति पर काम कर रही है और 24 मई को राज्य के नेताओं की एक बैठक बुलाई है।

सूत्रों ने बताया कि राजस्थान और छत्तीसगढ़ कांग्रेस द्वारा शासित दो राज्य हैं जहां वह ‘कर्नाटक की रणनीति’ को दोहराते हुए सत्ता विरोधी लहर और गुटबाजी को दूर रखने की उम्मीद कर रही है। सूत्रों ने बताया कि पार्टी मध्य प्रदेश में वापसी के लिए प्रयासरत है, जहां ज्योतिरादित्य सिंधिया और कुछ विधायकों के पार्टी छोड़ने के बाद उसे सत्ता गंवानी पड़ी थी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने आगामी विधानसभा चुनावों पर रणनीति बनाने के लिए 24 मई को तेलंगाना, मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के अपने नेताओं की बैठक बुलाई है। खरगे राज्य के नेताओं के साथ अलग-अलग बैठक भी करेंगे।

पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी का विचार जमीनी स्तर तक पहुंचने के लिए एक प्रारंभिक रणनीति तैयार करना है। इन राज्यों में से एक के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘तेलंगाना, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों से होकर गुजरी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ से पार्टी को फायदा मिलेगा क्योंकि कार्यकर्ता पहले से ही सक्रिय हैं और पार्टी को यात्रा का लाभ मिलेगा, जैसा कि उसे कर्नाटक में मिला है।’’ एक अन्य नेता ने कहा कि राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकारों द्वारा शुरू की गई बेहतरीन योजनाओं और कार्यों के बारे में व्यापक पैमाने पर बताया जायेगा और कर्नाटक में पार्टी नेतृत्व द्वारा अपनाई गई चुनावी रणनीति को इन चुनावी राज्यों में दोहराया जायेगा। इनमें से कुछ राज्यों में कांग्रेस को विशेष रूप से अंदरूनी कलह और गुटबाजी के कारण अजीबोगरीब चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

राजस्थान में, कांग्रेस को सचिन पायलट और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बीच जारी विवाद से निपटना है। मई के अंत तक उनकी मांगों को नहीं माने जाने पर पायलट ने आंदोलन शुरू करने की चेतावनी दी है। जयपुर में अपनी पांच दिवसीय ‘जन संघर्ष यात्रा’ का समापन करते हुए उन्होंने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर गहलोत सरकार पर निशाना साधा था। पायलट ने हाल में तीन मांगों को सामने रखा था जिनमें राजस्थान लोक सेवा आयोग (आरपीएससी) को भंग करना और इसका पुनर्गठन, सरकारी परीक्षा के पेपर लीक से प्रभावित युवाओं को मुआवजा और पिछली वसुंधरा राजे सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की उच्च स्तरीय जांच कराना शामिल है।

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और राज्य के शीर्ष पद पर दावा ठोक रहे राज्य के मंत्री टीएस सिंहदेव के बीच भी खुली लड़ाई है। तेलंगाना में भी, इसके राज्य इकाई के प्रमुख रेवंत रेड्डी को राज्य के नेताओं से अंदरूनी कलह का सामना करना पड़ रहा है, जो उन्हें बाहरी मानते हैं। एक अन्य वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी को अब भाजपा के खिलाफ एकजुट चेहरा पेश करने की जरूरत है, जैसा कि हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक और कुछ अन्य राज्यों में किया गया है। छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश में पार्टी का सीधा मुकाबला भाजपा से है, जबकि तेलंगाना में कांग्रेस, भाजपा और सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है।

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