SAD के लिए किसान हित सर्वोपरि, संसद में विधेयकों के खिलाफ मतदान करेगी पार्टी: सुखबीर बादल

Sukhbir Badal

बादल ने पीटीआई से कहा कि शिअद केंद्र से अनुरोध करता रहा है कि कृषि से संबंधित इन तीनों विधेयकों पर जबतक कृषक संगठनों, किसानों और कृषि मजदूरों की सभी आपत्तियों का निराकरण नहीं हो जाता तब तक वह इन्हें संसद की मंजूरी के लिए पेश नहीं करे।

नयी दिल्ली। अपनी सहयोगी भारतीय जनता पार्टी को परोक्ष चेतावनी देते हुए शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने बुधवार को कहा कि उनकी पार्टी किसानों के हित के लिए कुछ भी कुर्बान कर सकती है। उन्होंने सरकार द्वारा संसद में पेश किये गये कृषि क्षेत्र से संबंधित तीन विधेयकों का जबर्दस्त विरोध किया एवं केंद्र से कृषकों की चिंताएं दूर करने का आह्वान किया। बादल ने पीटीआई से कहा कि शिअद केंद्र से अनुरोध करता रहा है कि कृषि से संबंधित इन तीनों विधेयकों पर जबतक कृषक संगठनों, किसानों और कृषि मजदूरों की सभी आपत्तियों का निराकरण नहीं हो जाता तब तक वह इन्हें संसद की मंजूरी के लिए पेश नहीं करे। मंगलवार को पंजाब के फिरोजपुर से सांसद बादल ने लोकसभा में आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020 के खिलाफ यह कहते हुए वोट डाला कि यह प्रस्तावित कानून किसानों के हितों के विरूद्ध है। सरकार ने सोमवार को कृषि उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सरलीकरण) विधेयक, किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) मूल्य आश्वासन समझौता विधेयक और कृषि सेवा अध्यादेश और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक पेश किये। ये विधेयक अध्यादेशों का स्थान लेने के लिए पेश किए गए हैं। बादल ने कहा,‘‘इन विधेयकों को पेश करने से पहले उन्हें अपने सहयोगियों एवं कम से कम उन दलों से संवाद कर लेना चाहिए था जो निश्चित तौर पर किसानों की पार्टी है। जब मंत्रिमंडल की बैठक में यह विषय उठा था तब हमारी मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने अपनी आपत्ति प्रकट की थी। ’’ प्रस्तावित कानूनों पर अपनी चिंता प्रकट करतते हुए उन्होंने कहा कि यह पूरे कृषि क्षेत्र एवं खरीद प्रणाली पर असर डालेंगे। 

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पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘ यदि बुधवार को बाकी दो विधेयक संसद के विचारार्थ रखे जाते हैं तो शिअद उनका विरोध करेगा और वह किसानों के हितों के लिए कोई भी बलिदान देने को तैयार हैक्योंकि यह हमारी राजनीति के केंद्र में है। ’’ बादल ने कहा कि इस विषय पर आगे बढ़ने से पहले सरकार को किसानों के साथ बैठक करनी चाहिए और उनकी चिंताओं का निराकरण करना चाहिए। देश के कुछ हिस्सों में किसान संगठन इन विधेयकों का विरोध कर रहे हैं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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