राकेश टिकैत का बड़ा ऐलान, 26 मई को क्या करेंगे किसान?

Farmers Protest
अभिनय आकाश । May 22 2021 9:00PM

कृषि कानून का विरोध कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार से बातचीत के लिए आग्रह किया। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार कहती थी कि एक क़ॉल की दूरी पर है, लेकिन हमने पत्र लिखा फिर भी बातचीत के लिए कोई जवाब नहीं मिला है।

देश की राजधानी दिल्ली की सरहदों पर डटे किसान आंदोलन को 6 महीने का वक्त होने वाला है। एक बार फिर से किसान आंदलन तेजी पकड़ सकता है। किसान संगठन की तरफ से पीएम मोदी को चिट्ठी लिखी गई। जिसमें कहा गया है कि 26 मई को मोदी सरकार के खिलाफ काला दिवस मनाएंगे। कृषि कानून का विरोध कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार से बातचीत के लिए आग्रह किया। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार कहती थी कि एक क़ॉल की दूरी पर है, लेकिन हमने पत्र लिखा फिर भी बातचीत के लिए कोई जवाब नहीं मिला है। 

इसे भी पढ़ें: किसान संगठन ने सरकार से कहा- हमारे धैर्य की परीक्षा नहीं लें, वार्ता करें और हमारी मांगें मानें

किसान खेत में भी काम कर रहा और आंदोलन में भी ले रहा हिस्सा

राकेश टिकैत ने कहा कि बारिश हुई है। आंधी-तूफान से बचने के लिए भी इंतजाम किए जा रहे हैं। हम कहीं नहीं जाने वाले हैं। किसान खेत में भी काम कर रहा है और आंदोलन में भी हिस्सा ले रहा है।  

 26 मई को मनाएंगे काला दिवस

किसानों के संगठन ने हाल ही में दिल्ली की सीमाओं पर उनके प्रदर्शन के छह महीने पूरे होने के मौके पर 26 मई को काला दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की है। किसान संगठन की ओर से विवादास्पद कृषि कानूनों के विरोध में लोगों से 26 मई को अपने घरों, वाहनों और दुकानों पर काले झंडे लगाने की अपील की गई है।

6 महीने से कर रहे आंदोलन

किसान पिछले साल नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं। किसानों और सरकार के बीच कई दौर की वार्ता हो चुकी है लेकिन वे तीन केंद्रीय कानूनों पर गतिरोध को तोड़ने में विफल रही है। एसकेएम में किसानों के 40 संघ शामिल हैं। 

पीएम मोदी को लिखा पत्र

किसान संगठन की ओर से पीएम मोदी को लिखे पत्र में कहा गया है, “कोई भी लोकतांत्रिक सरकार उन तीन कानूनों को निरस्त कर देती, जिन्हें किसानों ने खारिज कर दिया है, जिनके नाम पर ये बनाए गए हैं और मौके का इस्तेमाल सभी किसानों को एमएसपी पर कानूनी गारंटी देने के लिए करती… दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की सरकार के मुखिया के रूप में, किसानों के साथ एक गंभीर और ईमानदार बातचीत को फिर से शुरू करने की जिम्मेदारी आप पर है।” 

 

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