फुटबॉलर ने पांचवीं बार लगाई जीत की किक, हिंगांग बना बीरेन सिंह का अमेज्ञ दुर्ग

Biren Singh
अभिनय आकाश । Mar 10 2022 8:20PM

सूबे के मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह ने कांग्रेस के शरत चंद्र सिंह को पराजित कर दिया। विरेन सिंह को जहां 24268 वोट प्राप्त हुए वहीं शरत चंद्र को 6486 मिले। जबकि नोटा को 239 वोट मिले है।

मणिपुर में विधानसभा की 60 सीटें हैं। यहां भी भाजपा निर्दलीयों के साथ मिलकर सरकार बनाने की स्थिति में है। वहीं सूबे के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कांग्रेस के शरत चंद्र सिंह को पराजित कर दिया। बीरेन सिंह को जहां 24268 वोट प्राप्त हुए वहीं शरत चंद्र को 6486 मिले। जबकि नोटा को 239 वोट मिले है। सीएम बीरेन जब से रूझान आना शुरू हुए तभी से कांग्रेस नेता पर भारी बढ़त बना रखी थी। 

फुटबॉलर से राजनीति का सफर 

नोंगथोम्बम बीरेन सिंह किसी जमाने में मणिपुर राज्य से फुटबाल खिलाड़ी के तौर पर उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर नाम कमाया। एन बीरेन सिंह ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत वर्ष 2002 में क्षेत्रीय पार्टी डेमोक्रेटिक पीपुल्स पार्टी से जुड़कर की। वे राज्य की हेनगांग विधानसभा सीट से विधायक चुने गए। वर्ष 2004 के चुनाव से पूर्व इस पार्टी का विलय कांग्रेस में हो गया था। वे कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार में सतर्कता राज्य मंत्री बनाये गये। 2007 में वे इसी विधानसभा क्षेत्र से पुनः चुने गए और उन्हें सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण, युवा मामले और खेल मंत्री बनाया गया। वर्ष 2012 में वे तीसरी बार अपनी सीट बचाने में सफल रहे लेकिन मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किए जाने के कारण इबोबी सिंह से उनके संबंध खराब हो गए। साल 2017 में वो बीजेपी में शामिल होकर चुनावी मैदान में उतरे। 2017 में, उन्होंने फिर से हेनिंग विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से अपनी सीट बरकरार रखी और उन्हें मणिपुर का 12वां मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया। 

हिंगांग बना अमेज्ञ दुर्ग

2007 में कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने वाले एन बिरेन सिंह लगातार चार बार के चुनाव में यहां से जीत हासिल की है। साल 2002 के विधानसभा चुनाव में डेमोक्रेटिक रिवॉल्यूशनरी पीपल्स पार्टी के उम्मीदवार बीरेन सिंह विधायक चुने गए। साल 2012 के विधानसभा चुनाव में एन बीरेन सिंह को दोबारा इस सीट से सफलता मिली। साल 2017 में वीरेन सिंह ने इस सीट से जीत की हैट्रिक लगाई लेकिन इस बार बीजेपी के टिकट पर उन्हें जीत हासिल हुई। उन्होंने इस चुनाव में तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार शरत चंद्र सिंह को 9 हजार से अधिक मतों से पराजित किया। वहीं साल 2022 के चुनाव में भी उन्हें पांचवी बार हासिल हुई।  

मणिपुर का चुनावी सफरनामा

साठ सीटों वाली विधान सभा को समेटे इस प्रदेश के पहाड़ी हिस्से में ज्यादातर नगा आबादी रहती है।  नगा जनजाति ईसाई धर्म को मानती है, तो घाटी में रहने वाले अधिकांश लोग हिंदू धर्म के अनुयायी हैं। कुछ लोग मणिपुर को सोने की नगरी भी कहते हैं। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने मणिपुर को ‘ज्वेल ऑफ इंडिया’ कहा था। साल 2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 42 सीटें मिली थीं, जबकि 2017 के चुनाव में ये घटकर 28 हो गई। वहीं बीजेपी ने साल 2012 विधानसभा चुनाव में एक भी सीट जीतने में कामयाब नहीं हो पाई थी। साल 2017 में जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए 21 सीटें जीतीं थी। इन सीटों की तुलना साल 2019 में हुए लोकसभा चुनावों से करें तो बीजेपी ने 26 सीटों पर कब्जा किया तो कांग्रेस ने 20 सीटें अपने नाम की। वहीं एनपीएफ को 11 और अन्य को तीन सीटें मिलीं। इस बार मणिपुर में दो चरणों 28 फरवरी और 5 मार्च को मतदान हुआ था।  

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