RSS के विजयादशमी कार्यक्रम में पहली बार महिला चीफ गेस्ट, मोहन भागवत ने अपने भाषण में कहा-'शक्ति ही शांति का आधार'

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रेनू तिवारी । Oct 5 2022 9:32AM

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर के रेशमबाग में वार्षिक विजयादशमी कार्यक्रम को संबोधित किया। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पर्वतारोही संतोष यादव शामिल हुई।

नागपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर के रेशमबाग में वार्षिक विजयादशमी कार्यक्रम को संबोधित किया। इस कार्यक्रम में  मुख्य अतिथि के रूप में पर्वतारोही संतोष यादव शामिल हुई। स्मृति मंदिर में प्रमुख सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत जी और मुख्य अतिथि पद्मश्री सन्तोष यादव जी ने संघ संस्थापक डॉ हेडगेवार जी को श्रद्धांजलि अर्पित की। मोहन भागवत ने इस दौरान कहा संघ के कार्यक्रमों में अतिथि के नाते समाज की महिलाओं की उपस्थिति की परम्परा पुरानी है। व्यक्ति निर्माण की शाखा पद्धति पुरुष व महिला के लिए संघ तथा समिति पृथक् चलती है। बाकी सभी कार्यों में महिला पुरुष साथ में मिलकर ही कार्य संपन्न करते हैं। भागवत ने आगे कहा कि आत्मानबीर पथ पर आगे बढ़ने के लिए, उन मूलभूत सिद्धांतों और विचारों को समझना महत्वपूर्ण है जो हमें एक राष्ट्र के रूप में परिभाषित करते हैं। यह एक आवश्यक पूर्व शर्त है कि इन सिद्धांतों को सरकार, प्रशासन और समाज द्वारा स्पष्ट रूप से अवशोषित और समान रूप से समझा जाता है।

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मोहन भागवत ने महिलाओं की समाज में भागीदारी को लेकर भी बड़ी बातें कहीं। समाजा में महिलाओं की स्थिति को और बेहतर करने की बात कहीं। आपको बता दे कि ऐसा पहली बार हुआ हैं कि विजयदशमी कार्यक्रम में महिला चीफ गेस्ट बनीं। डॉ मोहन भागवत ने इस बार बात करते हुए कहा 2017 में विभिन्न संगठनों में काम करने वाली महिला कार्यकर्ताओं ने भारत की महिलाओं का सर्वांगीण सर्वेक्षण किया, सर्वेक्षण के निष्कर्षों से भी मातृशक्ति के प्रबोधन, सशक्तिकरण तथा उनकी समान सहभागिता की आवश्यकता अधोरेखित होती है। उन्होंने कहा कि  संघ में, अपने कार्यक्रमों में बौद्धिक और कुशल महिला मेहमानों का स्वागत करने की एक पुरानी परंपरा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और राष्ट्र सेविका समिति द्वारा 'व्यक्तित्व निर्माण' की शाखा पद्धति अलग-अलग संचालित की जा रही है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने बुधवार को कहा कि भारत में जनसंख्या पर एक समग्र नीति बने जो सब पर समान रूप से लागू हो और किसी को छूट नहीं मिले। विजयादशमी उत्सव पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नागपुर स्थित मुख्यालय में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सरसंघचालक ने कहा, ‘‘जनसंख्या नियंत्रण के साथ साथ पांथिक आधार पर जनसंख्या संतुलन भी महत्व का विषय है जिसकी अनदेखी नहीं की जा सकती।’’ उन्होंने कहा कि जनसंख्या असंतुलन भौगोलिक सीमाओं में बदलाव का कारण बनती है, ऐसे में नयी जनसंख्या नीति सब पर समान रूप से लागू हो और किसी को छूट नहीं मिलनी चाहिए।

चीन की एक परिवार एक संतान की नीति का उल्लेख करते हुए भागवत ने कहा, ‘‘ जहां हम जनसंख्या पर नियंत्रण का प्रयास कर रहे हैं, वहीं हमें देखना चाहिए कि चीन में क्या हो रहा है। उस देश ने एक परिवार, एक संतान नीति अपनाया और अब वह बूढ़ा हो रहा है।’’ उन्होंने कहा कि भारत में 57 करोड़ युवा आबादी के साथ यह राष्ट्र अगले 30 वर्षों तक युवा बना रहेगा।

भागवत ने कहा कि दो प्रकार की बाधाएं सनातन धर्म के समक्ष रूकावट बन रही हैं जो भारत की एकता एवं प्रगति के प्रति शत्रुता रखने वाली ताकतों द्वारा सृजित की गई हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी ताकतें गलत बातें एवं धारणाएं फैलाती हैं, अराजकता को बढ़ावा देती हैं, आपराधिक कार्यों में संलग्न होती हैं, आतंक तथा संघर्ष एवं सामाजिक अशांति को बढ़ावा देती हैं।

भागवत ने कहा, ‘‘ केवल समाज के मजबूत एवं सक्रिय सहयोग से ही हमारी समग्र सुरक्षा एवं एकता सुनिश्चित की जा सकती है। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘ शासन व प्रशासन के इन शक्तियों के नियंत्रण व निर्मूलन के प्रयासों में हमको सहायक बनना चाहिए। समाज का सबल व सफल सहयोग ही देश की सुरक्षा व एकात्मता को पूर्णत: निश्चित कर सकता है।’’

उन्होंने कहा कि संविधान के कारण राजनीतिक तथा आर्थिक समता का पथ प्रशस्त हो गया, परन्तु सामाजिक समता को लाये बिना वास्तविक व टिकाऊ परिवर्तन नहीं आयेगा ऐसी चेतावनी बाबा साहब आंबेडकर जी ने सभी को दी थी। उन्होंने कहा, ‘‘ हमें कोशिश करनी चाहिए कि हमारे मित्रों में सभी जातियों एवं आर्थिक समूहों के लोग हों ताकि समाज में और समानता लाई जा सके।’’

सरसंघचालक ने कहा कि समाज के विभिन्न वर्गों में स्वार्थ व द्वेष के आधार पर दूरियां और दुश्मनी बनाने का काम स्वतन्त्र भारत में भी चल रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसे तत्वों के बहकावे में न फंसते हुए, उनके प्रति निर्मोही होकर निर्भयतापूर्वक उनका निषेध व प्रतिकार करना चाहिए।

देश के विकास के संदर्भ में सरसंघचालक ने कहा कि भारत के बल में, शील में तथा जगत प्रतिष्ठता में वृद्धि का निरंतर क्रम देखकरसभी आनंदित हैं और इस राष्ट्रीय नवोत्थान की प्रक्रिया को अब सामान्य व्यक्ति भी अनुभव कर रहा है। भागवत ने कहा कि सभी क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता की ओर ले जाने वाली नीतियों का अनुसरण शासन द्वारा हो रहा है तथा विश्व के राष्ट्रों में अब भारत का महत्व और विश्वसनीयता बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि सुरक्षा के क्षेत्र में हम अधिकाधिक स्वावलंबी होते जा रहे हैं।

शिक्षा के महत्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि मातृमें शिक्षा को बढ़ावा देने वाली नीति बननी चाहिए यह अत्यंत उचित विचार है और नयी शिक्षा नीति के तहत उस ओर शासन/ प्रशासन पर्याप्त ध्यान भी दे रहा है। आरएसएस के विजयादशमी उत्सव में इस वर्ष प्रसिद्ध पर्वतारोही संतोष यादव मुख्य अतिथि थीं। संघ प्रमुख ने कहा कि संघ के कार्यक्रमों में अतिथि के रूप में महिलाओं की उपस्थिति की परम्परा पुरानी रही है। 

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मोहन भागवत ने आगे कहा सनातन संस्कृति–मेरे भारत की पवित्र भूमि पर जन्मी है। हिमालय से लेकर सागर तक। इसलिए हम सब भारतीयों की जिम्मेदारी है कि सनातन संस्कृति उदघोष। इसका प्रचार पूरे विश्व में,पूरी जागृत अवस्था के साथ स्वयं अपनाएं और मानवकल्याण के लिए इसके प्रचार-प्रसार में जुटना चाहिए। भागवत ने कहा राष्ट्रों के समूह में भारत का महत्व और कद बढ़ गया है। सुरक्षा के क्षेत्र में हम अधिकाधिक आत्मनिर्भर होते जा रहे हैं। सामान्य लोग भी अब हमारे राष्ट्रीय पुनरुत्थान की प्रक्रिया का अनुभव कर रहे हैं। जब हम अपने प्यारे देश भारत को ताकत, चरित्र और अंतरराष्ट्रीय ख्याति में उल्लेखनीय प्रगति करते देखते हैं, तो हम सभी एक उत्साह की भावना महसूस करते हैं। राष्ट्रीय उत्थान की प्रक्रिया में बाधाओं पर काबू पाने की जरूरत है। एक बाधा रूढ़िवाद है! वर्तमान समय और राष्ट्र के साथ तालमेल बिठाने वाली नई परंपराओं को तैयार करना होगा, साथ ही हमें अपने सनातन (सनातन) मूल्यों के प्रति सचेत रहना होगा। 

रेशमबाग कार्यक्रम के ‘पथ संचालन’, स्वयंसेवकों द्वारा मार्च, और दीक्षाभूमि स्मारक पर भारी भीड़ के मद्देनज़र पुलिस ने शहर भर में सुरक्षा व्यवस्था के कड़े इंतजाम किए हैं। शहर में इस दौरान चार हज़ार पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। वहीं, भीमराव आंबेडकर के लाखों अनुयायियों के 14 अक्टूबर, 1956 को संविधान निर्माता द्वारा बौद्ध धर्म को अपनाने के लिए दीक्षाभूमि में धम्म चक्र प्रवर्तन दिवस कार्यक्रम में भाग लेने की उम्मीद है। पुलिस के एक शीर्ष अधिकारी ने  बताया कि पुलिस ने सुरक्षा के तीन स्तरीय इंतजाम किए हैं। आरएसएस के स्वयंसेवकों द्वारा सुबह निकाले जाने वाली दो विजयादशमी रैलियों के मार्गों पर कम से कम एक हज़ार पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है।

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