कर्नाटक में सरकार गठन पर असमंजस कायम, सबकी नजरें विधानसभाध्यक्ष के निर्णय पर

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[email protected] । Jul 25 2019 8:17PM

भाजपा नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने वित्त विधेयक पर चर्चा के लिये बुधवार को विधानसभा अध्यक्ष से मुलाकात की। इसे 31 जुलाई से पहले विधानसभा से पारित होना है।

बेंगलुरू। कर्नाटक में कांग्रेस-जनता दल (एस) गठबंधन की सरकार गिरने के दो दिन बाद भी भाजपा द्वारा सरकार गठन को लेकर संशय बरकरार है। सबकी नजरें अब बागी विधायकों के इस्तीफे और उन्हें अयोग्य ठहराने संबंधी याचिका पर विधानसभाध्यक्ष के फैसले पर टिकी हैं। सरकार गठन के लिए केंद्रीय नेतृत्व के संकेत का इंतजार कर रहे भाजपा खेमे ने यहां सिवाए आंतरिक बैठकें आयोजित करने के और कोई कदम नहीं उठाया है। इस तरह, भाजपा के प्रदेश प्रमुख बीएस येदियुरप्पा चौथी बार मुख्यमंत्री बनने के लिए अगले कदम की प्रतीक्षा में है। कर्नाटक के भाजपा नेताओं के एक समूह ने राज्य में कांग्रेस-जद (एस) सरकार के गिरने के बाद विकल्प पर चर्चा के लिए बृहस्पतिवार को नयी दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात की। पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा के नेतृत्व में प्रदेश भाजपा इकाई अगली सरकार बनाने के लिए दावा करना चाहती है, लेकिन अगले कदम के लिए केंद्रीय नेतृत्व की अनुमति का इंतजार है।

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जगदीश शेट्टार, अरविंद लिंबावली, मधुस्वामी, बसावराज बोम्मई और येदियुरप्पा के बेटे विजयेंद्र समेत प्रदेश भाजपा के नेताओं ने शाह से मिलकर राज्य में घटनाक्रम तथा पार्टी के सामने मौजूद विकल्पों के बारे में चर्चा की। विधानसभा अध्यक्ष के. आर. रमेश कुमार को बागी विधायकों के इस्तीफे और अयोग्यता संबंधी याचिका पर फैसला करना है। उन्होंने कहा है कि बागी विधायकों को उनके समक्ष उपस्थित होने का अब और मौका नहीं मिलेगा और अब यह अध्याय बंद हो चुका है। उन्होंने कहा, ‘‘कानून सबके लिये समान है। चाहे वह मजदूर हो या भारत का राष्ट्रपति।’’ कुमार ने कहा, ‘‘हां--अदालत ने (इस्तीफे पर फैसला करने को) मेरे विवेक पर छोड़ा है। मेरे पास विवेकाधिकार है। मैं उसी अनुसार काम करूंगा और उच्चतम न्यायालय ने मुझमें जो भरोसा दिखाया है, उसे बरकरार रखूंगा।’’

उन्होंने कहा कि बागी विधायकों के पास उनके समक्ष उपस्थित होने के लिये अब और विकल्प नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। भाजपा कर्नाटक में सरकार बनाने का दावा पेश करने की हड़बड़ी में नहीं है क्योंकि 15 बागी विधायकों की किस्मत अधर में लटक रही है। विधानसभा अध्यक्ष को उनके इस्तीफों या दो पार्टियों की ओर से उन्हें अयोग्य ठहराने के लिये दी गई याचिका पर फैसला करना है। उन्होंने अपने अगले कदम के बारे में कुछ भी स्पष्ट तौर पर नहीं बताया। उन्होंने कहा कि जब विधायक संविधान के अनुच्छेद 190 (3) और 35 वें संशोधन के अनुसार फैसला करते हैं तो विधानसभा अध्यक्ष जांच के लिये उन्हें बुला सकता है।

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कुमार ने कहा, ‘‘मैंने उन्हें बुलाया था, लेकिन वे नहीं आए। बात खत्म।’’ यह पूछे जाने पर कि क्या वह विधायकों को एक और नोटिस जारी करेंगे तो उन्होंने कहा, ‘‘क्या मेरे पास कोई काम नहीं है। मैंने एक बार उन्हें मौका दिया था, वे नहीं आए, मामला वहीं खत्म होता है। कानून मजदूर से लेकर राष्ट्रपति तक सबके लिये समान है। सबके लिये अलग-अलग संविधान नहीं है।’’ भाजपा नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने वित्त विधेयक पर चर्चा के लिये बुधवार को विधानसभा अध्यक्ष से मुलाकात की। इसे 31 जुलाई से पहले विधानसभा से पारित होना है। बहरहाल, मुंबई से आए कांग्रेस के बागी विधायक शिवराम हेब्बर ने विश्वास जताया कि विधानसभाध्यक्ष वरिष्ठ और अनुभवी व्यक्ति हैं और वह उनके इस्तीफे पर उचित फैसला लेंगे। उधर, कर्नाटक के कार्यवाहक मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने कहा कि मौजूदा राजनीतिक हालात में कोई भी स्थिर सरकार नहीं दे सकता है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस-जद (एस) गठबंधन के बागी विधायकों के इस्तीफे ने राज्य को चुनाव की तरफ धकेल दिया है। जबकि, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने उन खबरों से इनकार किया जिनमें दावा किया गया है कि बागी विधायकों को इस्तीफा देने तथा एच डी कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार को गिराने के लिए उन्होंने उकसाया था। 

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