पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्तों ने ईवीएम पर जताया भरोसा

[email protected] । Mar 17 2017 3:05PM

कुछ राजनीतिक दलों द्वारा ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए जाने के बीच चुनाव आयोग के पूर्व प्रमुखों ने इस बात पर जोर दिया है कि मशीनों से छेड़छाड़ नहीं हो सकती।

कुछ राजनीतिक दलों द्वारा ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए जाने के बीच चुनाव आयोग के पूर्व प्रमुखों ने इस बात पर जोर दिया है कि मशीनों से छेड़छाड़ नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि ईवीएम ने पिछले 19 वर्षों में अपनी उपयोगिता साबित की है। उन्होंने चुनाव में हारने वाले दलों से अपील की कि वे अपनी ‘‘हार की नाखुशी’’ मशीनों पर नहीं उतारें। पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्तों एमएस गिल, वीएस संपत और एचएस ब्रह्मा ने कहा कि मशीनें ‘‘विश्वसनीय हैं, इनसे छेड़छाड़ नहीं हो सकती’’ और राजनीतिक दलों को चुनाव हारने पर इनकी विश्वसनीयता पर सवाल नहीं उठाने चाहिए।

निर्वाचन आयोग ने ईवीएम के साथ छेड़छाड़ होने के आरोपों को ‘‘निराधार एवं अजीब’’ करार देते हुए गुरुवार को कड़ा बयान देकर खारिज कर दिया था। नवंबर 1998 में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों के इस्तेमाल पर जोर देने वाले गिल ने कहा, ‘‘लोगों को ईवीएम पर भरोसा है। दुर्भाग्य की बात है कि कुछ राजनीतिक दल इस भरोसे को नष्ट कर रहे हैं.. हारने वाले दलों को अपनी हार की नाखुशी ईवीएम पर नहीं उतारनी चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि ये मशीनें पिछले 19 वर्षों से देश की लोकतांत्रिक प्रणाली की अपेक्षाओं पर खरी उतरी हैं।

गिल ने कहा, ‘‘इन मशीनों ने भारत को एक शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक प्रणाली दी है। मतपत्रों के दिनों को याद कीजिए और उस समय लगाए गए आरोपों को याद कीजिए।’’ उन्होंने कहा कि वर्ष 2004 में लोकसभा चुनाव में सभी निर्वाचन क्षेत्रों में मशीनों का इस्तेमाल किया गया था। ‘‘13 लाख मशीनें और 75 करोड़ मतदाता, लेकिन कोई त्रुटि नहीं हुई।’’ उन्होंने कहा कि जे जयललिता ने मद्रास उच्च न्यायालय में ईवीएम के इस्तेमाल को चुनौती दी थी और बाद में पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह भी इसमें एक पक्ष बने थे। ‘‘ईवीएम के इस्तेमाल के खिलाफ इस मामले और कई अन्य मामलों को अदालतों ने खारिज किया है।’’

एक अन्य पूर्व सीईसी संपत ने कहा कि ईवीएम की विश्वसनीयता को लेकर आपत्तियां नई नहीं हैं। ‘‘वे (नेता) मन ही मन जानते हैं कि ईवीएम से छेड़छाड़ नहीं हो सकती।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हारने वाले दल यह मामला उठाते हैं।.. जब तक मशीनों की सुरक्षा निर्वाचन आयोग के हाथ में है, इनसे छेड़छाड़ नहीं हो सकती। चुनाव से पहले उम्मीदवार या उनके एजेंट इनकी जांच करते हैं।’’ संपत ने कहा, ‘‘चुनाव के बाद वे ईवीएम (कंटेनर) पर अपनी खुद की सील लगा सकते हैं। इसके बाद इसे सशस्त्र गार्ड की पहरेदारी में सुरक्षित कक्ष में रखा जाता है। आप इनके साथ तब तक कुछ नहीं कर सकते, जब तक ये निगरानी में हैं।’’ निर्वाचन सदन में संपत के बाद कार्यभार संभालने वाले ब्रह्मा ने कहा कि ईवीएम की ‘‘विश्वसनीयता की 100 प्रतिशत गारंटी है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इन्होंने अपनी उपयोगिता साबित की है। आप इनकी विश्वसनीयता पर सवाल नहीं उठा सकते।’'

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