Shaurya Path: G-20, Quad, India-Italy, Indian Air Force, Indian Navy, US-Taiwan और Galwan से जुड़े मुद्दों पर Brigadier (R) DS Tripathi से बातचीत

neeraj dubey and ds tripathi
prabhasakshi

ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) श्री डीएस त्रिपाठी ने कहा कि जी-20 के विदेश मंत्रियों की बैठक में यूक्रेन संघर्ष को लेकर पश्चिमी देशों और रूस के बीच तीखे मतभेदों के कारण संयुक्त वक्तव्य जारी नहीं किया जा सका जबकि मेजबान देश भारत ने आम-सहमति बनाने के लिए सतत प्रयास किये।

नमस्कार, प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में आप सभी का स्वागत है। आज के कार्यक्रम में बात करेंगे जी-20 देशों के विदेश मंत्रियों और क्वाड समूह की दिल्ली में हुई बैठकों की, भारतीय रक्षा बलों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में तेज किये जा रहे प्रयासों की, ताइवान और अमेरिका के बीच हुए रक्षा सौदों की, भारत और इटली के बीच गहराते संबंधों की और सैन्यकर्मियों की अपमान की हालिया घटनाओं की। इन मुद्दों पर बातचीत के लिए हमारे साथ हमेशा की तरह मौजूद हैं ब्रिगेडियर सेवानिवृत्त श्री डीएस त्रिपाठी जी।

प्रश्न-1. जी20 के विदेश मंत्रियों की बैठक में संयुक्त बयान जारी करने पर सहमति नहीं बनी। इस दौरान कई द्विपक्षीय मुलाकातें भी हुईं। दिल्ली में क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक भी हुई। इस सब को कैसे देखते हैं आप? भारत को क्या हासिल हुआ?

उत्तर- जी-20 के विदेश मंत्रियों की बैठक में यूक्रेन संघर्ष को लेकर पश्चिमी देशों और रूस के बीच तीखे मतभेदों के कारण संयुक्त वक्तव्य जारी नहीं किया जा सका जबकि मेजबान देश भारत ने आम-सहमति बनाने के लिए सतत प्रयास किये। हमें यह भी देखना चाहिए कि भले संयुक्त वक्तव्य नहीं जारी हो सका लेकिन भारत ने वो मुलाकात करा दी जोकि एक साल से नहीं हुई थी। जबसे रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण किया है तबसे अमेरिका और रूस के विदेश मंत्री नहीं मिले थे लेकिन भारत की पहल पर दोनों के बीच मुलाकात हुई, बातचीत हुई, इसलिए उम्मीद की जानी चाहिए कि आगे आने वाले समय में संबंध भी बेहतर होंगे। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस के प्रवक्ता ने भी कहा है कि संयुक्त वक्तव्य जारी नहीं हो पाना मेजबान के रूप में भारत के प्रयासों की कमी नहीं है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देशों के बीच बढ़ते ‘मतभेद’ का नतीजा है। भारत की अध्यक्षता में हुई बैठक में अध्यक्षता सारांश और परिणाम दस्तावेज स्वीकार किये गये जिनमें समूह की कई अहम प्राथमिकताएं, जैसे.. भोजन/खाद्य पदार्थ, ऊर्जा और उर्वरक आदि सूचीबद्ध हैं। संयुक्त वक्तव्य के जारी नहीं हो पाने के बारे में कई राजनयिकों ने भी कहा है कि यूक्रेन संघर्ष को लेकर अमेरिका के नेतृत्व वाले पश्चिमी जगत और रूस-चीन के बीच गहरा विभाजन देखा गया। वैसे जी-20 का परिणाम दस्तावेज मौजूदा वैश्विक चुनौतियों से निपटने के जी-20 के संकल्प को प्रदर्शित करता है। इस बैठक में अनेक मुद्दों पर सहमति बनी है जोकि बड़ी सफलता है।

इसके अलावा, क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों ने एक स्वतंत्र एवं खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए इस चार सदस्यीय समूह की प्रतिबद्धता जताई और कहा कि यह ‘‘कानून के शासन, संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और विवादों के शांतिपूर्ण समाधान का पुरजोर समर्थन करता है। उल्लेखनीय है कि क्वाड, चार देशों- भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान का समूह है। चारों देश लोकतांत्रिक हैं और निर्बाध समुद्री व्यापार तथा सुरक्षा के साझा हित का समर्थन करते हैं। विदेश मंत्री एस जयशंकर, अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन, उनके जापानी समकक्ष योशिमासा हयाशी और आस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री पेनी वॉन्ग की मुलाकात के बाद यह घोषणा की गई कि आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए एक क्वाड कार्यकारी समूह गठित किया जाएगा। इसका उद्देश्य आतंकवाद के नये व उभरते स्वरूपों, कट्टरपंथ और हिंसक चरमपंथ का मुकाबला करने के लिए उपाय तलाशना है। मंत्रियों ने जी7 की जापान की अध्यक्षता, जी20 की भारत की अध्यक्षता और 2023 में एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (एपेक) की अमेरिकी मेजबानी के दौरान क्वाड के उद्देश्यों पर करीब से काम करने की प्रतिबद्धता भी जताई। यही नहीं, बैठक के बाद, चारों मंत्रियों ने ‘रायसीना डायलॉग’ के एक सत्र में हिस्सा लिया और क्वाड सदस्य देशों के हितों के समन्वय के बारे में बातचीत की। क्वाड के संयुक्त बयान में चारों सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों ने कहा कि क्वाड क्षेत्रीय और वैश्विक भलाई के लिए एक ताकत के रूप में काम कर रहा है और यह अपने सकारात्मक और रचनात्मक एजेंडे के माध्यम से हिंद-प्रशांत क्षेत्र की प्राथमिकताओं द्वारा निर्देशित होगा।

प्रश्न-2 भारत और इटली ने रक्षा सहयोग पर नया अध्याय शुरू किया है। इससे भारत को क्या लाभ होगा?

उत्तर- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इटली की प्रधानमंत्री ज्यॉर्जिया मेलोनी के साथ व्यापक वार्ता के बाद घोषणा की है कि भारत और इटली ने अपने द्विपक्षीय संबंधों को रणनीतिक साझेदारी तक ले जाने का फैसला किया है। पिछले साल प्रधानमंत्री चुने जाने के बाद अपनी पहली दो दिवसीय राजकीय यात्रा पर भारत पहुंची मेलोनी ने यह भी घोषणा की है कि इटली हिंद-प्रशांत महासागर पहल में शामिल हो रहा है क्योंकि दोनों देश द्विपक्षीय संबंधों की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। इटली की प्रधानमंत्री के साथ व्यापक बातचीत के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए मोदी ने भी कहा कि भारत में सह-उत्पादन और सह-विकास के क्षेत्र में नए अवसर खुल रहे हैं, जो दोनों देशों के लिए फायदेमंद हो सकते हैं। मोदी ने इतालवी रक्षा कंपनियों को ‘‘मेक इन इंडिया’’ पहल में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए आमंत्रित भी किया। मोदी ने कहा कि भारत और इटली ने नियमित आधार पर दोनों देशों के सशस्त्र बलों के बीच संयुक्त अभ्यास और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने का भी फैसला किया है। दोनों पक्षों ने अनियमित आव्रजन और मानव तस्करी का मुकाबला करने के लिए काम करने पर भी सहमति व्यक्त की। इसके अलावा भारत और इटली आतंकवाद और अलगाववाद जैसे मुद्दों पर कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे हैं। मोदी और मेलोनी ने भारत और इटली के बीच ‘स्टार्ट-अप ब्रिज’ स्थापित करने की भी घोषणा की है। इसके अलावा दोनों देशों ने अक्षय ऊर्जा, हरित हाइड्रोजन, सूचना और प्रौद्योगिकी, सेमीकंडक्टर, दूरसंचार, अंतरिक्ष जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर विशेष जोर दिया। दोनों नेता अंतरिक्ष के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर सहमत हुए और द्विपक्षीय आदान-प्रदान का स्वागत किया। दोनों नेताओं ने रिमोट सेंसिंग, उपग्रह संचार, चंद्र अन्वेषण, गुरुत्वाकर्षण तरंग का पता लगाने और इसरो और एएसआई इटली के बीच अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के व्यावहारिक अनुप्रयोगों जैसे क्षेत्रों में संभावित संयुक्त अनुसंधान परियोजनाओं की व्यापक क्षमता का जायजा लिया। वर्ष 2012 में दक्षिण भारतीय तट के पास निहत्थे मछुआरों की कथित तौर पर हत्या के लिए दो इतालवी नौसैनिकों को जेल भेजने के नई दिल्ली के कदम और वीवीआईपी के लिए अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर खरीदने के विवादास्पद सौदे के बाद इटली और भारत के बीच संबंधों में खटास आ गई थी। लेकिन इस मुलाकात ने संबंधों को नई गर्माहट दी है। भारत और इटली ने प्रवासन और गतिशीलता पर एक आशय पत्र पर भी हस्ताक्षर किए, एक स्टार्ट-अप ब्रिज की स्थापना की घोषणा की और रवींद्र भारती विश्वविद्यालय, कोलकाता और इतालवी महावाणिज्य दूतावास के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।

प्रश्न-3. केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में भारतीय वायुसेना के लिए 6,828.36 करोड़ रुपये की लागत से हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड से 70 एचटीटी-40 बेसिक ट्रेनर विमान और नौसेना के लिए तीन कैडेट प्रशिक्षण पोतों की खरीद की मंजूरी दी है। इसे कैसे देखते हैं आप?

उत्तर- यह बहुत महत्वपूर्ण फैसला है। यह रक्षा क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने के लिए जारी प्रयासों को बल देगा। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारतीय वायुसेना के लिए 6,828.36 करोड़ रुपये की लागत से हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) से 70 एचटीटी-40 बेसिक ट्रेनर विमान की खरीद को जो मंजूरी दी है उसकी आपूर्ति छह वर्ष की अवधि में की जाएगी। यह फैसला हमारे रक्षा क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने के लिए जारी प्रयासों को बल देगा और जीवंत एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम) क्षेत्र को भी लाभान्वित करेगा। इसके अलावा नौसेना के लिए लार्सेन एंड टूब्रो से तीन प्रशिक्षण पोतों की खरीद को सीसीएस द्वारा स्वीकृति दिया जाना नौसेना की प्रशिक्षण आवश्यकताओं को पूरा करेगा और उसे और मजबूत बनाएगा। इस फैसले के चलते देश में ही निर्मित और विकसित इन पोतों की पहली खेप 2026 में मिलेगी। रक्षा मंत्रालय ने बताया है कि एचटीटी-40 में करीब 56 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री है जिसे धीरे-धीरे बढ़ाकर 60 प्रतिशत से अधिक किया जाएगा। इस ऑर्डर के बाद एचएएल अपनी आपूर्ति श्रृंखला में एमएसएमई सहित निजी क्षेत्र के विनिर्माताओं को जोड़ेगा। इस खरीद के साथ 100 से अधिक एमएसएमई में लगभग 1,500 कर्मियों को प्रत्यक्ष और लगभग 3,000 लोगों को परोक्ष रोजगार दिया जा सकता है।

जहां तक नौसेना के लिए किये गये ऑर्डर की बात है तो केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 3,108.09 करोड़ रुपये की कुल लागत वाले तीन कैडेट प्रशिक्षण जहाजों की खरीद के लिए लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड (एलएंडटी) के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर करने की मंजूरी दे दी है। ये जहाज भारतीय नौसेना की भविष्य की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बुनियादी प्रशिक्षण के बाद समुद्र में महिलाओं सहित अधिकारी कैडेट के प्रशिक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। यह पोत राजनयिक संबंधों को मजबूत करने के उद्देश्य से मित्र देशों के कैडेट को भी प्रशिक्षण प्रदान करेंगे। जहाजों को लोगों को सुरक्षित निकालने और मानवीय सहायता तथा आपदा राहत (एचएडीआर) के लिए भी तैनात किया जा सकता है। इन जहाजों को चेन्नई के कट्टुपल्ली में एलएंडटी शिपयार्ड में स्वदेशी रूप से डिजाइन, विकसित और निर्मित किया जाएगा।

प्रश्न-4. ताइवान मिलिट्री को अमेरिका ने खतरनाक हथियार बेचे हैं। इससे तात्कालिक रूप से क्या असर होगा?

उत्तर- अमेरिका ने यूक्रेन युद्ध में देख लिया है कि यूक्रेन को देरी से हथियार देने का नुकसान यह हुआ कि रूस आगे बढ़ गया। इसलिए वह यह गलती ताइवान में नहीं दोहराना चाहता। यदि ताइवान को खतरनाक हथियार अभी से नहीं दिये गये तो चीन आगे बढ़ जायेगा। वैसे भी चीन ने 2040 तक ताइवान को अपना बनाने का ऐलान कर ही रखा है। इसलिए सारी स्थितियों पर विचार करते हुए अमेरिका ने ताइवान को 619 मिलियन डॉलर कीमत के हथियारों की बिक्री को मंजूरी दे दी है। इस सौदे के तहत ताइवान को अब एफ-16 फ्लीट की मिसाइलें मिल सकेंगी। पेंटागन ने बताया है कि अमेरिकी सरकार ने ताइवान को 200 एंटी एयरक्राफ्ट एडवांस्ड मीडियम रेंज की एयर टू एयर मिसाइलों और 100 एजीएम-88बी एचएआरएम मिसाइलों की बिक्री करने का फैसला किया है। इससे ताइवान को अपने हवाई क्षेत्र की रक्षा करने में मदद मिलेगी। ताइवान को जो हथियार बेचे जायेंगे उससे अमेरिकी हथियार कंपनियों रेथियोन टेक्नोलॉजीज और लॉकहीड मार्टिन को काफी लाभ मिलेगा क्योंकि यह कॉन्ट्रैक्ट इन्हें ही मिले हैं। 

प्रश्न-5. हाल ही में तमिलनाडु में एक सैन्यकर्मी की द्रमुक नेता ने कपड़े धोने के विवाद को लेकर हत्या कर दी। बिहार से खबर आई कि गलवान संघर्ष में चीनी सैनिकों से लड़ते हुए शहीद हुये बिहार रेजिमेंट के जवान जय किशोर सिंह के पिता राजकपूर सिंह के साथ पुलिस की ओर से अभद्र व्यवहार किया गया। क्या इससे सैन्य बलों का मनोबल प्रभावित नहीं होगा? इन घटनाओं को देखते हुए सरकार को क्या कदम उठाने चाहिए?

उत्तर- यह जो कुछ हो रहा है वह शर्मनाक है। शहीदों के परिवारों की रक्षा-सुरक्षा का दायित्व सिर्फ सरकार का नहीं है बल्कि यह हर भारतीय की जिम्मेदारी है। तमिलनाडु में जो कुछ हुआ वह भी काफी हैरान करने वाला है। सरकार को इस मामले में दोषी को कड़े से कड़ा दंड दिलाना सुनिश्चित करना चाहिए ताकि एक सख्त संदेश जा सके। जो जवान विपरीत परिस्थितियों में सीमा पर डटे हुए हैं उनका मनोबल कम करने का कोई भी प्रयास खतरनाक सिद्ध होगा, यह बात सभी को समझनी चाहिए। बिहार मामले में रक्षा मंत्री ने स्वयं बिहार के मुख्यमंत्री को फोन किया है इसलिए उम्मीद है कि मामला सिर्फ जांच तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि जांच रिपोर्ट भी जल्द आयेगी और उसके आधार पर कार्रवाई भी होगी।

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