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सरकार ने कसी Ola-Uber पर नकेल, नहीं वसूल सकेंगे ज्यादा किराया
- अभिनय आकाश
- नवंबर 28, 2020 19:37
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ओला उबर सबसे बड़ी कैब एग्रीगेटर कंपनियां हैं। पीक आवर्स में ऐसी कंपनियां किराया कई गुणा बढ़ाकर वसूलती हैं। एग्रीगेटर्स को डेटा स्थानीयकरण सुनिश्चित करना होगा कि डेटा भारतीय सर्वर में न्यूनतम तीन महीने और अधिकतम चार महीने उस तारीख से संग्रहीत किया जाए।
आपको जब सवेरे ऑफिस जाना हो या शाम परिवार के साथ घूमने तभी कैब एग्रीग्रेटर कंपनियां पीक आवर्स के नाम पर मनचाहा किराया वसूलती हैं। लेकिन अब भारत सरकार कैब कंपनियों पर नए नियम लाई है। सरकार का यह कदम अहम हो जाता है, क्योंकि लोग कैब सेवाएं देने वाली कंपनियों के अधिकतम किराये पर लगाम लगाने की लंबे समय से मांग कर रहे थे।
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बेस फेयर से 50% कम चार्ज करने की अनुमति
ओला ऊबर सबसे बड़ी कैब एग्रीगेटर कंपनियां हैं। पीक आवर्स में ऐसी कंपनियां किराया कई गुणा बढ़ाकर वसूलती हैं। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के द्वारा शुक्रवार को जारी मोटर वाहन एग्रीगेटर दिशानिर्देश 2020 के अनुसार, ‘‘एग्रीगेटर कंपनियों को मूल किराये के 50 प्रतिशत तक न्यूनतम किराये और डेढ़ गुने तक अधिकतम किराये वसूलने की मंजूरी दी जाती है।’’ मंत्रालय ने कहा कि यह संसाधनों के इस्तेमाल को सुलभ करेगा और बढ़ावा देगा, जो कि परिवहन एग्रीगेशन के सिद्धांत का मूल है। यह गतिशील किराये के सिद्धांत को प्रमाणिक बनायेगा, जो मांग व आपूर्ति के अनुसार संसाधनों का इस्तेमाल सुनिश्चित करने में प्रासंगिक है। नये दिशानिर्देशों के अनुसार, प्रत्येक सवारी (राइड) पर लागू किराये का कम से कम 80 प्रतिशत हिस्सा एग्रीगेटर के साथ जुड़े वाहन के चालक को मिलेगा। शेष हिस्सा एग्रीगेटर कंपनियां रख सकती हैं। मंत्रालय ने कहा कि जिन राज्यों में शहरी टैक्सी का किराया राज्य सरकार ने निर्धारित नहीं किया है, वहां किराया विनियमन के लिये 25-30 रुपये को मूल किराया माना जायेगा। राज्य सरकारें एग्रीगेटर द्वारा जोड़े गये अन्य वाहनों के लिये इसी तरह से किराया निर्धारित कर सकती हैं।
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डेटा की सुरक्षा के लिए बनाया नियम
एग्रीगेटर्स को डेटा स्थानीयकरण सुनिश्चित करना होगा कि डेटा भारतीय सर्वर में न्यूनतम तीन महीने और अधिकतम चार महीने उस तारीख से संग्रहीत किया जाए, जिस दिन डेटा जेनरेट किया गया था। डेटा को भारत सरकार के कानून के अनुसार सुलभ बनाना होगा लेकिन ग्राहकों के डेटा को यूजर्स की सहमति के बिना शेयर नहीं किया जाएगा। कैब एग्रीगेटर्स को एक 24X7 कंट्रोल रूम स्थापित करना होगा और सभी ड्राइवरों को अनिवार्य रूप से हर समय कंट्रोल रूम से जुड़ा होना होगा
यौन शोषण मामले में गवाह नाबालिग पीड़िता की मौत के मामले की एसआईटी करेगी जाँच
- दिनेश शुक्ल
- जनवरी 22, 2021 22:29
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ऐसा बताया जा रहा है कि प्यारे मियां यौन शोषण मामले में गवाह पीड़ित नाबालिग द्वारा ज्यादा मात्रा में नींद की गोलियां खा लेने के बाद बुधवार को मृत्यु हो गई थी। गुरुवार को पुलिस की निगरानी में दोपहर 1:30 बजे उसका भोपाल के भदभदा विश्राम घाट पर अंतिम संस्कार कर दिया गया था।
भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के प्यारे मियां यौन शोषण केस की पीड़िता नाबालिग की मौत की जांच एसआईटी करेगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार को इस घटना को लेकर बुलाई गई उच्चस्तरीय बैठक में यह निर्देश दिये। इस दौरान मुख्यमंत्री ने बच्ची की मौत को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। तो वही पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने घटना को लेकर शिवराज सरकार पर निशाना साधते हुए एक के बाद एक कई ट्वीट करते हुए गंभीर आरोप लगाते हुए लिखा कि शिवराज सरकार में मासूम बच्चियां बालिका गृह में भी सुरक्षित नहीं है।
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उच्चस्तरीय बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि भोपाल में बेटी को हम बचा नहीं पाए। यह साधारण घटना नहीं, यह दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि इस घटना में जो भी दोषी होगा,कार्रवाई की जाएगी। बैठक में डीजीपी विवेक जौहरी, अपर मुख्य सचिव गृह राजेश राजौरा, सीएम के ओएसडी मकरंद देउसकर, आईजी भोपाल उपेंद्र जैन तथा भोपाल कलेक्टर अविनाश लवानिया मौजूद थे। बैठक में तय किया गया कि इस मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित की जाएगी।
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ऐसा बताया जा रहा है कि प्यारे मियां यौन शोषण मामले में गवाह पीड़ित नाबालिग द्वारा ज्यादा मात्रा में नींद की गोलियां खा लेने के बाद बुधवार को मृत्यु हो गई थी। गुरुवार को पुलिस की निगरानी में दोपहर 1:30 बजे उसका भोपाल के भदभदा विश्राम घाट पर अंतिम संस्कार कर दिया गया था। पुलिस ने आननफानन में पीड़ित मृतिका के पोस्टमार्टम के बाद उसका अंतिम संस्कार कर दिया। जबकि यह नाबालिग इस केस में पीड़िता और फरियादी थी, न कि आरोपी या अपराधी। फिर भी पुलिस शव को हमीदिया अस्तपाल से सीधे श्मशान ले गई। पीड़िता की मां और परिजन घर पर बेटी के शव का इंतजार करते रहे, लेकिन पुलिस उन्हें नाबालिग पीड़ित का शव नहीं सौंपा।
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वही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने इस घटना की सीबीआई जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि भोपाल पुलिस ने पीड़िता के साथ वैसी ही बेहरमी की है, जैसी पिछले साल हाथरस दुष्कर्म कांड की पीड़िता के साथ उत्तर प्रदेश पुलिस ने की थी। इसलिए इस घटना की जांच सीबीआई से कराई जाना चाहिए। इससे पहले गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि घटना की जांच को लेकर मुख्यमंत्री फैसला करेंगे। तो दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री व मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ ने पीड़ित नाबालिग की मौत के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर निशाना साधते हुए एक के बाद एक कई ट्वीट किए।
बेहद निंदनीय , बेहद शर्मनाक ....
— Office Of Kamal Nath (@OfficeOfKNath) January 22, 2021
शिवराज सरकार में भांजियाँ कही भी सुरक्षित नहीं ?
प्रदेश की राजधानी में यौन शोषण की शिकार मासूम बच्चियाँ बालिका गृह में भी सुरक्षित नहीं ?
कितनी अमानवीयता , मृत पीडिता को उसके घर तक नहीं जाने दिया ,
उससे अपराधियों जैसा व्यवहार ?
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- दिनेश शुक्ल
- जनवरी 22, 2021 21:42
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कम्पू थाना पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली थी कि गड्डे वाला मौहल्ला में गुल्लोबाई का सट्टे का अड्डा संचालित हो रहा है। दोपहर साढ़े तीन बजे के करीब कम्पू थाना की टीम सट्टे के अड्डे पर पहुंच गई। बताया गया है कि जिस समय पुलिस गुल्लोबाई के अड्डे पर पहुंची महिलाएं भी मौजूद थी।
ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में सट्टे के अड्डे पर पुलिस की दबिश के बाद पुलिसकर्मीयों पर हमले की घटना सामने आई है। पुलिस पार्टी पर हमले के बाद क्षेत्र में भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। पुलिस ने मौके से तीन लोगों को पकड़कर उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर ली है। इस घटना से यह स्पष्ट हो गया है कि सट्टे के अड्डे चलाने वाले सटोरियों के हौसले कितने बुलंद है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उन्होनें दिनदहाड़े पुलिस पार्टी पर हमला कर दिया। सटोरियों और उनके साथ महिलाओं ने घरों की छतों से पुलिस टीम पर जमकर पत्थर बरसाए। किसी तरह जान बचाकर भागी पुलिस के एसआई सहित दो पुलिकर्मी घायल हो गए।
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ग्वालियर के कम्पू थाना पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली थी कि गड्डे वाला मौहल्ला में गुल्लोबाई का सट्टे का अड्डा संचालित हो रहा है। दोपहर साढ़े तीन बजे के करीब कम्पू थाना की टीम सट्टे के अड्डे पर पहुंच गई। बताया गया है कि जिस समय पुलिस गुल्लोबाई के अड्डे पर पहुंची महिलाएं भी मौजूद थी। पुलिस कार्रवाई कर सटोरियों को पकड़ पाती कि तभी लोगों ने एक राय होकर हमला कर दिया। गुल्लोबाई और उसके पूरे परिवार ने पुलिस को घ्ेार लिया और धक्का-मुक्की शुरु कर दी। पुलिस ने पहले तो सटोरियों को रोकने का प्रयास किया लेकिन वह उग्र हो गए और छतों पर चढ़ गए। छत से महिलाओं और सटोरियों ने पुलिस पार्टी पर पथराव कर दिया। उपनिरीक्षक सौरभ श्रीवास्तव का पत्थर मारकर सिर फोड़ दिया तो वहीं एक आरक्षक भी घायल हो गया।
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हमला होते ही पुलिस बस्ती से जान बचाकर भागी। पुलिस पार्टी पर हमले की सूचना मिलते ही मौके पर भारी पुलिस बल पहुंच गया और घरों से दो महिलाओं सहित तीन लोगों को पकड़ लिया। घायल उपनिरीक्षक सौरभ श्रीवास्तव को ट्रोमा सेंटर में भर्ती कराया गया जहां उनके सिर में टांके आए हैं। पुलिस पार्टी पर हमला करने में बस्ती के लोग भी आ गए थे, लेकिन पुलिस बल को देखकर वह लोग भाग गए। पुलिस ने सात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर अन्य आरोपियों की तलाश प्रारंभ कर दी है।
जब आंदोलन की पवित्रता नष्ट हो जाती है तो निर्णय नहीं होता: नरेन्द्र सिंह तोमर
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- जनवरी 22, 2021 20:56
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कृषि मंत्री ने कहा कि जब आंदोलन का नाम किसान आंदोलन और विषय किसानों से संबंधित हो तथा सरकार निराकरण करने के लिए सरकार तैयार हो और निर्णय ना हो सके तो अंदाजा लगाया जा सकता है।
नयी दिल्ली। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने किसानों और सरकार के प्रतिनिधियों के बीच 11वें दौर की वार्ता विफल होने के बाद शुक्रवार को अफसोस जताया और कड़ा रुख अख्तियार करते हुए आरोप लगाया कि कुछ ‘‘ताकतें’’ हैं जो अपने निजी और राजनीतिक हितों के चलते आंदोलन को जारी रखना चाहती हैं। उन्होंने कहा कि तीन कृषि कानूनों का क्रियान्वयन 12-18 महीनों तक स्थगित रखने और तब तक चर्चा के जरिए समाधान निकालने के लिए समिति बनाए जाने सहित केंद्र सरकार की ओर से अब तक वार्ता के दौरान कई प्रस्ताव दिए गए लेकिन किसान संगठन इन कानूनों को खारिज करने की मांग पर अड़े हैं। पिछली बैठक में सरकार की ओर से किसानों के सामने रखे गए प्रस्ताव को तोमर ने ‘‘बेहतर’’ और देश व किसानों के हित में बताया और यह कहते हुए गेंद किसान संगठनों के पाले में डाल दी कि वे इस पर पुनर्विचार कर केंद्र के समक्ष अपना रुख स्पष्ट करते हैं तो आगे की कार्रवाई की जा सकती है।
किसान संगठनों के साथ 11वें दौर की वार्ता समाप्त होने के बाद पत्रकारों को संबोधित करते हुए तोमर ने कहा, ‘‘एक से डेढ़ बरस तक कानून को स्थगित रख समिति बनाकर आंदोलन में उठाए गए मुद्दों और पहलुओं पर विचार विमर्श कर सिफारिश देने का प्रस्ताव बेहतर है। उस पर आप विचार करें। यह प्रस्ताव किसानों के हित में भी है। इसलिए हमने कहा, आज वार्ता खत्म करते हैं। आप लोग अगर निर्णय पर पहुंच सकते हैं तो कल अपना मत बताइए। निर्णय घोषित करने के लिए आपकी सूचना पर हम कहीं भी इकट्ठा हो सकते हैं और उस निर्णय को घोषित करने की आगे की कार्रवाई कर सकते हैं।’’ आज की वार्ता में कोई फैसला ना होने पाने के बावजूद अगली बैठक की तारीख तय नहीं हुई। तोमर ने कहा कि कुछ ‘‘ताकतें’’ हैं जो अपने निजी और राजनीतिक हितों के चलते आंदोलन को जारी रखना चाहती हैं। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने हमेशा किसानों के प्रति संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाया और किसानों के सम्मान की बात सोची। इसलिए किसान संगठनों से लगातार बात की जा रही है ताकि उनकी भी प्रतिष्ठा बढ़े और वे किसानों की नुमाइंदगी कर सकें।There are forces that want the agitation to continue and ensuring that no good comes out of it: Union Agriculture Minister Narendra Singh Tomar on the eleventh round of talks between farmer unions and the government pic.twitter.com/AmJVDxbZj6
— ANI (@ANI) January 22, 2021
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उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए भारत सरकार की कोशिश थी कि वह सही रास्ते पर विचार करें और सही रास्ते पर विचार करने के लिए 11 दौर की बैठक की गई। जब किसान संगठन कानूनों को निरस्त करने पर अड़े रहे तो सरकार ने उनकी आपत्तियों के अनुसार निराकरण करने व संशोधन करने के लिए एक के बाद एक अनेक प्रस्ताव दिए। लेकिन जब आंदोलन की पवित्रता नष्ट हो जाती है तो निर्णय नहीं होता।’’ तोमर ने कहा, ‘‘आज मुझे लगता है वार्ता के दौर में मर्यादाओं का पालन तो हुआ लेकिन किसान के हक में वार्ता का मार्ग प्रशस्त हो, इस भावना का अभाव था। इसलिए वार्ता निर्णय तक नहीं पहुंच सकी। इसका मुझे खेद है।’’ कृषि मंत्री ने कहा कि जब आंदोलन का नाम किसान आंदोलन और विषय किसानों से संबंधित हो तथा सरकार निराकरण करने के लिए सरकार तैयार हो और निर्णय ना हो सके तो अंदाजा लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘कोई न कोई ताकत ऐसी है जो इस आंदोलन को बनाए रखना चाहती है।’’ उन्होंने कहा कि भारत सरकार किसानों के प्रति संवेदनशील है और उनके विकास और उत्थान के लिए उसका प्रयत्न निरंतर जारी रहेगा। यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें लगता है कि किसान संगठन सरकार के प्रस्ताव को स्वीकार करेंगे, उन्होंने कहा, ‘‘मैं कोई अनुमान नहीं लगाता लेकिन मैं आशावान हूं। मुझे उम्मीद है कि किसान संगठन हमारे प्रस्ताव पर सकारात्मक विचार करेंगे।’’ तोमर ने कहा कि किसानों के हित में विचार करने वाले लोग सरकार के प्रस्ताव पर जरूर विचार करेंगे।

