Prabhasakshi NewsRoom: Haldwani Violence मात्र विरोध प्रदर्शन नहीं बल्कि कानून और अदालती आदेश पर सुनियोजित हमला था!

 Violence in Haldwani
ANI

जहां तक घटना की बात है तो आपको बता दें कि गुरुवार को नगर निगम ने ‘‘अवैध’’ रूप से निर्मित मदरसा एवं मस्जिद को जेसीबी मशीन से ध्वस्त कर दिया। जैसे ही कार्रवाई शुरू हुई, बड़ी संख्या में महिलाओं सहित गुस्साए स्थानीय निवासी कार्रवाई का विरोध करने के लिए सड़कों पर उतर आए।

आपने अक्सर देखा होगा कि सरकारी या अदालती आदेश पर हटाये जा रहे अतिक्रमण का विरोध किया जाता है। अक्सर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई का विरोध करने के दौरान सरकार या प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की जाती है। स्वाभाविक है विरोध करना प्रत्येक नागरिक का अधिकार है लेकिन यह विरोध अगर हिंसा में बदल जाये तो यह अपराध है। पुलिस के खिलाफ नारेबाजी करते लोग यदि अवैध निर्माण अथवा अवैध कब्जे का बचाव करते हुए हिंसा पर उतर आयें तो इसे कानून का मजाक उड़ाना नहीं बल्कि कानून पर सीधा हमला कहा जायेगा। उत्तराखंड के नैनीताल जिले के हल्द्वानी के बनभूलपुरा क्षेत्र में जो कुछ हुआ वह मात्र कोई विरोध प्रदर्शन नहीं बल्कि सुनियोजित हमला नजर आ रहा है। यह हमला था कानून का अनुपालन कराने वाली एजेंसियों पर, यह हमला था अदालती आदेश पर, यह हमला था उत्तराखंड की कानून व्यवस्था पर। पुलिस कर्मियों और निगम के कर्मचारियों के शरीर से बहता खून, पुलिस की जलती गाड़ियां और सार्वजनिक संपत्ति को पहुँचाये गये नुकसान के दृश्य इस बात की जरूरत पर बल दे रहे हैं कि इस मामले में ऐसी सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि दोबारा कोई कानून व्यवस्था को पटरी से उतारने की हिमाकत नहीं कर सके। यहां सवाल यह भी उठता है कि देवभूमि पर ये अवैध मजारें और मदरसे आ कहां से गये? सवाल यह भी उठता है कि देवभूमि में इतने मुस्लिम आ कहां से गये? सवाल यह भी उठता है कि अक्सर मुस्लिम बहुल इलाकों में होने वाली कार्रवाई के दौरान प्रदर्शनकारियों के पास पहले से ही पत्थर और अन्य तरह के अस्त्र-शस्त्र कैसे जमा हो जाते हैं? 

घटना का ब्यौरा

जहां तक घटना की बात है तो आपको बता दें कि गुरुवार को नगर निगम ने ‘‘अवैध’’ रूप से निर्मित मदरसा एवं मस्जिद को जेसीबी मशीन से ध्वस्त कर दिया। जैसे ही कार्रवाई शुरू हुई, बड़ी संख्या में महिलाओं सहित गुस्साए स्थानीय निवासी कार्रवाई का विरोध करने के लिए सड़कों पर उतर आए। उन्हें बैरिकेड तोड़ते और विध्वंस की कार्रवाई में लगे पुलिसकर्मियों के साथ बहस करते देखा गया। अधिकारियों ने बताया कि जैसे ही एक बुलडोजर ने मदरसे और मस्जिद को ढहाया, भीड़ ने पुलिसकर्मियों, नगर निगम कर्मियों और पत्रकारों पर पथराव किया, जिसमें 60 से अधिक लोग घायल हो गए। इसके बाद क्षेत्र में पैदा हिंसक स्थिति को देखते हुए कर्फ्यू लगा दिया गया और दंगाइयों को देखते ही गोली मारने के आदेश दिए गए हैं। इस मामले में अब तक चार लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 60 से ज्यादा लोग घायल बताये जा रहे हैं। घायलों में हल्द्वानी के एसडीएम (अनुमंडलाधिकारी) भी शामिल हैं। बताया जा रहा है कि बनभूलपुरा इलाके में हिंसा के बाद अस्पताल में भर्ती कराए गए लगभग 60 लोगों में से अधिकांश पुलिसकर्मी और नगरपालिका कर्मचारी हैं, जो एक स्थानीय मदरसे की विध्वंस कार्रवाई में शामिल थे। घायल पुलिसकर्मियों ने हिंसक भीड़ की हैवानियत की जो दास्तां सुनाई है वह दर्शाती है कि हमलावरों ने कानून से भिड़ने की कैसी तैयारी कर रखी थी।

घटना के बाद के हालात

हम आपको बता दें कि हिंसा बढ़ने पर हल्द्वानी की सभी दुकानें बंद कर दी गईं हैं। कर्फ्यू लगने के बाद शहर और आसपास कक्षा 1-12 तक के सभी स्कूल भी बंद कर दिए गए हैं। इस बीच, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए राजधानी देहरादून में उच्च स्तरीय बैठक बुलाकर हालात की समीक्षा की तथा अराजक तत्वों से सख्ती से निपटने के लिये अधिकारियों को निर्देश दिए।

अदालत में क्या हुआ?

हम आपको यह भी बता दें कि गुरुवार को उत्तराखंड उच्च न्यायालय में हल्द्वानी में मस्जिद और मदरसे को ढहाए जाने से रोकने की मांग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई हुई थी। मलिक कॉलोनी निवासी साफिया मलिक और अन्य द्वारा दायर याचिका में याचिकाकर्ताओं को हल्द्वानी नगर निगम द्वारा दिए गए नोटिस को चुनौती दी गई थी। हालांकि, न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की अवकाशकालीन पीठ द्वारा मामले में कोई राहत नहीं दी गई, जिसके बाद विध्वंस की कार्रवाई शुरू हुई थी। इस मामले की सुनवाई अब 14 फरवरी को होगी।

बहरहाल, इस मामले में उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता और भारत के पीआईएल मैन के रूप में विख्यात श्री अश्विनी उपाध्याय का कहना है कि ऐसी घटनाओं से निबटने के लिए पुलिस रिफार्म-ज्यूडिशियल रिफार्म जरूरी है। उनका कहना है कि विशेष स्कूल, विशेष कानून को खत्म किया जाना चाहिए और समान शिक्षा, समान नागरिक संहिता, समान जनसंख्या संहिता, समान धर्मस्थल संहिता लागू की जानी चाहिए। उन्होंने कहा है कि घुसपैठ, घूसखोरी, कालाधान, हवाला, धर्मांतरण और विदेशी चंदा नियंत्रण के लिए कठोर कानून बनाना चाहिए।

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