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क्या अरुणाचल प्रदेश की जमीन पर बसा लिया है चीन ने अपना गांव? पढ़ें पूरा मामला
- रेनू तिवारी
- जनवरी 19, 2021 15:43
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दुनिया ने साल 2020 में कोरोना वायरस महामारी का सामना किया। महामारी की मार अभी भी जारी है लेकिन राहत की खबर ये है कि अब कई देशों ने कोरोना वायरस की वैक्सीन तैयार कर ली है।
दुनिया ने साल 2020 में कोरोना वायरस महामारी का सामना किया। महामारी की मार अभी भी जारी है लेकिन राहत की खबर ये है कि अब कई देशों ने कोरोना वायरस की वैक्सीन तैयार कर ली है। कोरोना वायरस महामारी के दौरान दुनियाभर में लाखों लोगों ने अपनी जान गवां दी। लॉकडाउन किया गया और दुनिया के अधिकतर देशों की अर्थव्यवस्था चरमरा गयी। उनमें से एक भारत भी है। चीन से शुरू हुई कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को 10 साल पीछे कर दिया। लाखों लोगों ने अपनी जांन गवाई करोड़ों बेरोजगार हो गये। इस सब समस्याओं के पीछे की जड़ को देखा जाए तो वह चीन है। कोरोना को खत्म करने में चीन ने अपनी भागीदारी कम दिखाई लेकिन दूसरे देश पर की जमीन को कब्जानें के असफल प्रयास वो करता रहा। साल भर के करीब हो गया पूर्वी लद्दाख को लेकर चीन का भारत के साथ गतिरोध चल रहा है। हाल ही में एक ऐसी खबर आयी है जिससे ये अनुमान लगाया जा रहा है कि लद्दाख के अलावा अरुणाचल प्रदेश में चीन ने अपना एक गांव बसा लिया है। इस खबर के आने के बाद सियासत तेज होती नजर आ रही है। विदेश मंत्रायल ने भी अपना बयान जारी करके सफाई दी है।
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अरुणाचल प्रदेश में चीन ने बसाया गांव
एनडीटीवी की खबर के अनुसार चीन ने अरुणाचल प्रदेश के विवादित क्षेत्र में एक नया गांव बसाया है और इसमें करीब 101 घर हैं। चैनल ने दावा किया कि यह खबर उसे विशेष रूप से प्राप्त उपग्रह तस्वीरों पर आधारित है। एनडीटीवी ने अपनी खबर में इलाके की दो तस्वीरें दिखाईं जिसमें उसने दावा किया कि एक गांव बसाया गया है। चैनल के अनुसार 26 अगस्त, 2019 की पहली तस्वीर में कोई बसावट नहीं दिखाई देती लेकिन नवंबर 2020 की दूसरी तस्वीर में कुछ ढांचे दिखाई देते हैं।
विदेश मंत्रायल की सफाई
अरुणाचल प्रदेश में चीन के एक गांव बनाने की खबरों पर सतर्कता पूर्वक प्रतिक्रिया देते हुए भारत ने सोमवार को कहा कि वह देश की सुरक्षा पर असर डालने वाले समस्त घटनाक्रमों पर लगातार नजर रखता है और अपनी संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता की सुरक्षा के लिए जरूरी कदम उठाता है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत ने अपने नागरिकों की आजीविका को उन्नत बनाने के लिए सड़कों और पुलों समेत सीमा पर अवसरंचना के निर्माण को तेज कर दिया।
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जवाबी कार्यवाही कर रहा है भारत
विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘हमने चीन के भारत के साथ लगे सीमावर्ती क्षेत्रों में निर्माण कार्य करने की हालिया खबरें देखी हैं। चीन ने पिछले कई वर्षों में ऐसी अवसंरचना निर्माण गतिविधियां संचालित की हैं।’’ उसने कहा, ‘‘हमारी सरकार ने भी जवाब में सड़कों, पुलों आदि के निर्माण समेत सीमा पर बुनियादी संरचना का निर्माण तेज कर दिया है, जिससे सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाली स्थानीय आबादी को अति आवश्यक संपर्क सुविधा मिली है।’’
चीन के बसाए गांव पर सियासत शुरू
वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने भाजपा सांसद तापिर गाओ के दावों पर सोमवार को सरकार से जवाब मांगा जिसमें गाओ ने कहा था कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश के भीतर विवादास्पद क्षेत्र में सौ घरों के एक गांव का निर्माण कर लिया है। चिदंबरम ने कहा कि यदि भाजपा सांसद के दावे सही हैं तो क्या सरकार चीन को क्लीन चिट देकर पूर्ववर्ती सरकारों को दोषी ठहराएगी। गौरतलब है कि भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश को चीन अपना क्षेत्र मानता है।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अरुणाचल प्रदेश के सीमावर्ती इलाके में चीन द्वारा गांव बसाने के दावे वाली खबरों को लेकर मंगलवार को प्रधानमंत्री पर निशाना साधा। उन्होंने एक खबर साझा करते हुए ट्वीट किया, ‘‘उनका वादा याद करिए- मैं देश झुकने नहीं दूंगा।” पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने सवाल किया, ‘‘मोदी जी, वो “56 इंच” का सीना कहां है ?’’ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने भी सोमवार को इस मामले पर सरकार से जवाब मांगा था। ख
चीन भारत विवाद
भारत और चीन के बीच 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को लेकर विवाद है। चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा बताता है, वहीं भारत इस दावे को खारिज करता रहा है। भारत और चीन के बीच पिछले करीब आठ महीने से पूर्वी लद्दाख में सीमा मुद्दे को लेकर गतिरोध बना हुआ है।
Breaking: China has constructed a new village in Arunachal Pradesh, 4.5 kms within Indian territory of the de facto border, consisting of about 101 homes, satellite images show, reports @ndtv. pic.twitter.com/1ZK77XKZMG
— Ahmer Khan (@ahmermkhan) January 18, 2021
भूपेश बघेल का दावा, भाजपा गांधी-नेहरू परिवार से है भयभीत, उसे राहुल गांधी का भी खौफ
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- फरवरी 28, 2021 18:05
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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, ‘‘यदि भाजपा किसी से सबसे ज्यादा भयभीत है तो वह गांधी-नेहरू परिवार है। जब इंदिरा गांधी सत्ता में आई थीं, तब यही जनसंघ के लोग उन्हें ‘गूंगी गुड़िया’ कहते थे। इस वाक्य का इस्तेमाल कर वे उनका मजाक उड़ाते थे।’’
गुवाहाटी। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का मानना है कि भाजपा भारतीय राजनीति में व्यापक मौजूदगी रखने वाले गांधी-नेहरू परिवार से ‘‘भयभीत’’ है। उन्होंने साथ ही कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए ‘‘एकमात्र विकल्प’’ हैं। बघेल ने कहा कि भगवा पार्टी गांधी से बहुत डरती है क्योंकि वह लगातार लोगों को प्रभावित करने वाले प्रासंगिक मुद्दे उठाते है। उन्होंने कहा, ‘‘यदि भाजपा किसी से सबसे ज्यादा भयभीत है तो वह गांधी-नेहरू परिवार है। जब इंदिरा गांधी सत्ता में आई थीं, तब यही जनसंघ के लोग उन्हें ‘गूंगी गुड़िया’ कहते थे। इस वाक्य का इस्तेमाल कर वे उनका मजाक उड़ाते थे।’’
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बघेल ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिये एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘लेकिन, इंदिरा गांधी ने अपने काम के जरिये साबित कर दिया कि वह एक लौह महिला थीं। जब उन्हें मौका मिला, उन्होंने पाकिस्तान का विभाजन कर बांग्लादेश बनाया। दुनिया ने ऐसा पहले नहीं देखा था जो उन्होंने किया था।’’ राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकसभा सांसद (राहुल) देशभर में भाजपा और आरएसएस के खिलाफ लड़ने वाले एकमात्र अखिल भारतीय नेता हैं। बघेल ने कहा कि राहुल गांधी से भाजपा इतना डरती क्यों है? जबकि वह सिर्फ एक सांसद हैं। क्योंकि, राहुल जमीन से जुड़े नेता हैं। वह आम लोगों की आवाज सुनते हैं और उनके मुद्दे उठाते हैं।
महिला की मौत संबंधी मामले के चलते संजय राठौड़ ने दिया इस्तीफा, फडणवीस बोले- केवल मंत्री का त्यागपत्र काफी नहीं
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- फरवरी 28, 2021 17:57
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महाराष्ट्र के मंत्री संजय राठौड़ ने कहा, ‘‘ महिला की मौत के मुद्दे को लेकर ओछी राजनीति की जा रही है।’’ साथ ही कहा कि उन्होंने मंत्रिमंडल से इस्तीफा इसलिए दिया ताकि सच सामने आ सके।
मुंबई। एक महिला की मौत से संबंधित मामले के चलते महाराष्ट्र के मंत्री संजय राठौड़ ने रविवार को राज्य मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया। इस मामले को लेकर विपक्षी दल भाजपा लगातार हमले कर रही थी। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को त्यागपत्र सौंपने के बाद राठौड़ ने इस्तीफे की घोषणा की। उद्धव शिवसेना अध्यक्ष भी हैं। राठौड़ ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ महिला की मौत के मुद्दे को लेकर ओछी राजनीति की जा रही है।’’ साथ ही कहा कि उन्होंने मंत्रिमंडल से इस्तीफा इसलिए दिया ताकि सच सामने आ सके।
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वन विभाग का पदभार संभालने वाले राठौड़ बीड जिले की रहने वाली पूजा चव्हाण (23) की मौत के मामले में संबंध होने के आरोपों का सामना कर रहे थे। कथित तौर पर एक इमारत से गिरने के चलते पूजा की आठ फरवरी को मौत हो गई थी। वह इसी इमारत में रहती थी। मुख्यमंत्री के आधिकारिक निवास पर उद्धव ठाकरे के साथ बैठक के बाद राठौड़ ने संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने स्वतंत्र एव निष्पक्ष जांच के लिए इस्तीफा दिया है।
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राठौड़ ने कहा, ‘‘ पिछले 30 साल में सामाजिक कार्य करके बनाई गई मेरी छवि को खराब करने और सम्मान को खत्म करने के प्रयास किए गए। मेरा कहना था कि कोई भी निर्णय लेने से पहले जांच होने दीजिए। हालांकि, विपक्ष ने बजट सत्र में रूकावट की धमकी दी।’’ वहीं, नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि केवल मंत्री का इस्तीफा काफी नहीं है और उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होनी चाहिए। भाजपा ने राठौड़ के साथ महिला की बातचीत, वीडियो और ऑडियो क्लिप वायरल होने के बाद उन पर महिला से संबंध होने के आरोप लगाए थे।
I've given my resignation to CM Uddhav Thackeray. The way opposition is warning that they won’t allow Assembly session to function, I've distanced myself from it. I want fair probe in case (in connection with death of a woman in Pune earlier this month): Shiv Sena's Sanjay Rathod https://t.co/MTwcJ50HQ4 pic.twitter.com/vEsZtzvtoU
— ANI (@ANI) February 28, 2021
कोरोना वायरस का एक साल: वॉरियर्स ने महामारी के समय की चुनौतियों को किया याद
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- फरवरी 28, 2021 17:52
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दो हजार बिस्तरों वाले एलएनजेपी अस्पताल में 35 वर्षीय एक डॉक्टर अमित आनंद ने कहा, ‘‘दिल्ली में कोविड-19 को एक वर्ष हो गया है और मैं एक वर्ष के बाद घर में अपने परिवार से मिला।’’
नयी दिल्ली। पिछले साल कोविड-19 महामारी का मुकाबला करने में दिल्ली के प्रमुख केन्द्र रहे सरकारी अस्पताल लोक नायक जय प्रकाश नारायण अस्पताल (एलएनजेपी) में मरीजों को देखने के समय चिकित्सकों को प्रचंड गर्मी के बीच लगभग 18 घंटे तक पीपीई किट पहननी पड़ती थी और शवगृह शवों से भर गये थे। राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 महामारी के प्रकोप के बाद लगभग एक साल गुजर गया है, और इस महामारी के दैनिक मामलों और मौत की संख्या दोनों में काफी कमी आई है और अब अस्पतालों के गलियारों और शवगृहों के बाहर टीकाकरण के बारे में बात होती है। शहर में एक मार्च को कोविड-19 का पहला मामला दर्ज किया गया था।
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इससे पहले दुनिया में चीन के वुहान में इस वायरस का पहला मामला सामने आया था। वर्ष 1918 के स्पैनिश फ्लू के बाद से दुनिया ने ऐसा कुछ भी नहीं देखा था और निश्चित रूप से भारत में ऐसा नहीं हुआ था। क्योंकि दिल्ली सहित देश के कई हिस्सों में इस महामारी के मामले सामने आने लगे, इसलिए वायरस के प्रसार को रोकने के लिए सरकार द्वारा मार्च के अंत में देशव्यापी लॉकडाउन लगाया गया। इस महामारी की वजह से ज्यादातर लोग कई महीनों तक अपने घरों तक ही सीमित हो गये और घर में रहते हुए काम करना एक सामान्य बात हो गई। स्वास्थ्यकर्मियों को महामारी के कारण एक बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा क्योंकि डॉक्टर, नर्स बिना साप्ताहिक अवकाश और आराम के दिन-रात मरीजों की सेवा में लगे रहे। स्वास्थ्यकर्मियों को कई दिनों, सप्ताह या महीनों तक अपने परिवार के सदस्यों से दूर रहना पड़ा।
दो हजार बिस्तरों वाले एलएनजेपी अस्पताल में 35 वर्षीय एक डॉक्टर अमित आनंद ने कहा, ‘‘दिल्ली में कोविड-19 को एक वर्ष हो गया है और मैं एक वर्ष के बाद घर में अपने परिवार से मिला।’’ आनंद यहां महामारी सामने आने के बाद से अस्पताल में ड्यूटी पर थे। बिहार के बेगूसराय निवासी आनंद ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘मैं अपनी पत्नी और ढ़ाई साल के बेटे से फरवरी में बोकारो में मिला और वह लगभग मुझे पहचान नहीं पाया। महामारी ने सचमुच हमें हमारे परिवारों से अलग कर दिया। लेकिन हमें अपना काम करना होगा, जिसे हमने चुना है, ताकि हमें इस कठिन समय में प्रेरणा मिले।’’
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दिल्ली में एलएनजेपी ऐसा पहला अस्पताल है जिसे समर्पित कोरोना वायरस केन्द्र के रूप में बदला गया था और इसके बाद राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, जीटीबी अस्पताल और अन्य सरकारी अस्पतालों को इसमें शामिल किया गया। बाद में मरीजों की संख्या बढ़ने पर निजी अस्पतालों में भी कोविड के इलाज के वास्ते बिस्तरों को आरक्षित किया गया। दिल्ली में इस महामारी के सामने आने के बाद 23 जून को राष्ट्रीय राजधानी में संक्रमण के एक दिन में 3,947 मामले सामने आये थे जो उस समय तक सबसे अधिक थे।
अस्पताल में आपात विभाग की प्रमुख रितु सक्सेना ने कहा, ‘‘मरीजों का इलाज करने के लिए डॉक्टरों को 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान में 18 घंटे तक पीपीई (व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण) किट पहननी पड़ती थी।’’ इसके बाद दिल्ली को सितम्बर और नवम्बर में महामारी की दूसरी और तीसरी लहर का सामना करना पड़ा था। दिल्ली में 11 नवम्बर को एक दिन में सबसे अधिक 8,593 मामले सामने आये थे जबकि 19 नवम्बर को कोविड-19 से 131 मरीजों की मौत हुई थी।

