मानसरोवर यात्रियों के सामान की खच्चर से ढुलाई पर उच्च न्यायालय ने रोक लगायी

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[email protected] । Jun 12 2019 6:59PM

भंडारी ने कहा कि बातचीत के बाद यात्रियों के सामान के ढुलान का भाव रू 1.25 पर तय हो गया जिसके बाद उसने स्टांप पेपर पर बांड पर दस्तखत कर पांच लाख रू निगम में जमा करा दिये।

नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने कैलाश मानसरोवर तीर्थयात्रियों के सामान की खच्चर से ढुलाई के संबंध में यात्रा की नोडल एजेंसी कुमांऊ मंडल विकास निगम (केएमवीएन) द्वारा जारी निविदा पर रोक लगा दी है। इससे आज से शुरू मानसरोवर यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं को खासी असुविधा का सामना करना पड़ सकता है। यात्रा के पहले जत्थे में 59 श्रद्धालु शामिल हैं। न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया ने एक अयोग्य निविदाकर्ता को यात्रियों के सामान को खच्चर से ढोने के लिये अधिकृत किये जाने से संबंधित याचिका पर कल सुनवाई करते हुए इस संबंध में केएमवीएन द्वारा जारी निविदा पर रोक लगा दी।

याचिका में आरोप लगाया गया है कि यात्रियों के सामान की ढुलाई का ठेका न्यूनतम कीमत की पेशकश करने वाले के बजाय दूसरे निविदाकर्ता को दे दिया गया।  याचिका दायर करने वाले धारचूला के कुंदन सिंह भंडारी ने दावा किया कि केएमवीएन द्वारा आमंत्रित की गयी आनलाइन निविदा में उसने यात्रियों के सामान को खच्चर से ढोने के लिये रू 1.45 प्रति किलोग्राम प्रति किलोमीटर का भाव भरा था जो न्यूनतम था जबकि धारचूला के अशोक सिंह ने रू 1.70 का भाव दिया था। 

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भंडारी ने कहा कि बातचीत के बाद यात्रियों के सामान के ढुलान का भाव रू 1.25 पर तय हो गया जिसके बाद उसने स्टांप पेपर पर बांड पर दस्तखत कर पांच लाख रू निगम में जमा करा दिये। याचिकाकर्ता ने कहा कि लेकिन बाद में नैनीताल के जिलाधिकारी विनोद कुमार सुमन ने दूसरे न्यूनतम निविदाकर्ता अशोक कुमार को बुलाया और उससे सामान की ढुलाई का भाव 86 पैसे पर तय कर लिया तथा उसे काम सौंप दिया। 

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भंडारी द्वारा इस निर्णय को उच्च न्यायालय में चुनौती दी गयी जिस पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति धूलिया ने निगम की निविदा प्रक्रिया पर रोक लगा दी और उसे इस संबंध में एक जवाब दाखिल करने को कहा है। अदालत का यह आदेश ऐसे समय में आया है जब यात्रा शुरू हो गयी है और इससे उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रे के जरिये कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं को खासी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। 

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