हिमाचल प्रदेश सरकार ने फार्मा पार्क स्थापित करने के लिए समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित किया

Jai Ram Thakur

मुख्यमंत्री ने राज्य में इस परियोजना का स्वागत किया है क्योंकि इससे स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के अवसर सृजित होंगे। मुख्यमंत्री ने बताया कि सरकार ने पहले ही एपीआई पार्क का प्रतिस्पर्धी प्रस्ताव भारत सरकार को सौंप दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें एपीआई पार्क मिलने की आशा है। उन्होंने अधिकारियों को निवेशकों को मार्गदर्शन और पूर्ण सहयोग देने के निर्देश दिए।

 शिमला ।  मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने आज यहां कहा कि लगभग 750 करोड़ रुपये के प्रस्तावित निवेश के साथ एपीआई और कैप्सूल सैल निर्माण एवं फार्मुलेशन संबंधी गतिविधियों वाला फार्मा पार्क स्थापित करने के लिए प्रदेश सरकार ने मेसर्स जेगस फार्मा प्राइवेट लिमिटेड के साथ समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित किए। इस समझौता ज्ञापन के माध्यम से 1000 से अधिक लोगों के लिए रोजगार के अवसर सृजित होंगे। निदेशक उद्योग राकेश प्रजापति ने प्रदेश सरकार की ओर से समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित किए।

मुख्यमंत्री ने राज्य में इस परियोजना का स्वागत किया है क्योंकि इससे स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के अवसर सृजित होंगे। मुख्यमंत्री ने बताया कि सरकार ने पहले ही एपीआई पार्क का प्रतिस्पर्धी प्रस्ताव भारत सरकार को सौंप दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें एपीआई पार्क मिलने की आशा है। उन्होंने अधिकारियों को निवेशकों को मार्गदर्शन और पूर्ण सहयोग देने के निर्देश दिए।

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उन्होंने कहा कि लगभग 20 से 30 एकड़ जमीन पर यह फार्मा पार्क स्थापित किया जाएगा। इस परियोजना के साथ लगभग आठ से दस सहायक इकाईयां स्थापित होने की भी उम्मीद है। हिमाचल में पहले से ही पिछले 20 वर्षों के दौरान निवेशकों द्वारा विभिन्न फार्मास्युटिकल फॉर्मूलेशन और सम्बद्ध उद्योग कार्य कर रहे हैं।

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उन्होंने कहा कि इस पार्क की अनुमानित एपीआई क्षमता 4000 टन होगी जिसमें दर्द निवारक, एंटी बायोटिक, एंटी डायबिटिक, कार्डियों वास्कुलर इत्यादि दवाओं का निर्माण किया जाएगा, जो स्थानीय फॉर्मूलेशन को भी बढ़ावा देगी। प्रदेश सरकार द्वारा राज्य में बल्क ड्रग पार्क स्थापित करने के लिए अत्याधिक प्रतिस्पर्धी बोली जमा की गई है। इसका मूल्यांकन भारत सरकार द्वारा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके अलावा नालागढ़ में 850 करोड़ रुपये के निवेश के साथ किनवन फार्मा पार्क विकसित किया जा रहा है जो देश की 57 प्रतिशत एंटीबायोटिक आवश्यकता की पूर्ति करेगा। भारत के फार्मास्युटिकल विभाग ने पहले से ही उत्पादन से जुड़ी योजना की मंजूरी प्रदान कर दी है, जिससे भारत फार्मा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेगा।

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