हिमाचल में कहर बरपा रही बरसात से मरने वालों की तादाद 192 पर पहुंची

Himachal the death toll reached 192 when the rains wreaked havoc

हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिला के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल सांगला छितकुल वाहन मार्ग को खतरे के कारण बाहल नहीं किया जा सका है। रविवार को सांगला छितकुल मार्ग पर बटसेरी गेट के समीप ऊँची पहाड़ी से चट्टानें गिरी थी, जिस कारण 11 में से 9 लोगो की चट्टानों की चपेट में आने से मौत हो गई थी।

शिमला। मॉनसून ने हिमाचल प्रदेश में 43 दिनों में 400 करोड़ बहा दिया है। लोक निर्माण विभाग को सबसे ज्यादा 271 करोड़ का नुकसान पहुंचा है। आईपीएच विभाग को 115 करोड़ की चपत लग चुकी है। 39 मकान ढह चुके हैं, जिनमें 33 मकान कांगड़ा, 3 शिमला और मंडी, बिलासपुर और चंबा में एक-एक मकान को नुकसान पहुंचा है। बारिश ने 48 कच्चे मकान को भी मिट्टी में मिला दिया। इसके अलावा राज्य में 62 पक्के मकानों सहित 316 कच्चे मकानों को हल्का नुकसान हुआ है। हिमाचल में 8 दुकानें, 6 पुल और 340 गोशालाएं भी बह गईं। इतना ही नही प्रदेश में इस मॉनसून में अकाल मृत्यु का ग्रास बनने वालों की तादाद 192 तक पहुंच गई है। इस साल बरसात के सीजन में सबसे ज्यादा 100 मौतें सड़क दुर्घटनाओं में हुईं। जबकि भूस्खलन से कांगड़ा में 12 लोगों की मौत हुई है और शिमला में भी दो लोगों की मौत हुई है। 19 लोगों की जान नदी के बहाव में बहने से हुई। बहने वालों में सबसे ज़्यादा कांगडा में आठ, कुल्लू व मंडी में तीन-तीन, बिलासपुर में दो, हमीरपुर, लाहुल स्पीति व शिमला में एक-एक लोगों की मौत हुई है। यही नही मॉनसून के दौरान सांप के डसने से सात लोगों की जान गई। राज्य में गिरने से भी 21 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। वहीं, 374 पशुओं और पक्षियों की मौत भी हुई है।

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हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिला के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल सांगला छितकुल वाहन मार्ग को खतरे के कारण  बाहल नहीं किया जा सका है। रविवार को सांगला छितकुल मार्ग पर बटसेरी गेट के समीप ऊँची पहाड़ी से चट्टानें गिरी थी, जिस कारण टेम्पो ट्रेवलर में छितकुल घूम कर वापिस आ रहे 11 में से 9 लोगो की चट्टानों की चपेट में आने से मौत हो गई थी। ऊपर से लगातार चट्टानों के टूटने के कारण मार्ग को बहाल नहीं किया जा सका है।डीसी किन्नौर आबिद हुसैन सादिक ने बताया यह एक प्राकृतिक आपदा है, इस पर पूर्व अनुमान लगाना मुश्किल था। लेकिन अब   घटना घटित हुई है, उसके बाद जो प्रशासन ने जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया से बात की है। उनकी टीम मौके का मुआयना करेगी व  चट्टानें किस कारण टूट रही है, आने वाले समय में भी कोई इस प्रकार का खतरा है यह पता लगाया जाएगा। 

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हिमाचल प्रदेश वन निगम के उपाध्यक्ष सूरत नेगी ने बताया रकछम और छितकुल में जो टूरिस्ट फंसे हैं, उनको बाहर निकालने की व्यवस्था की जा रही है। लेकिन जहां से चट्टाने गिर गई है वह स्थान काफी खतरनाक है। यहां से अनुमान लगाना मुश्किल है भूस्खलन कितना हो सकता है यह पता नहीं चल पा रहा है। स्थिति कैसे क्या बनती है उस को ध्यान में रखते हुए ही काम करेंगे। उन्होंने बताया कि बाहर से आने वाले पर्यटकों  की पूरी देखभाल सरकार और प्रशासन कर रही हैं। उन्हें कोई चिंता करने की जरूरत नहीं है। आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के निदेशक सुदेश मोक्टा ने कहा प्रदेश में मानसून के दौरान किसी भी तरह की आपात स्थिति से निपटने के लिए एनडीआरएफ व तुरंत कार्रवाई दल को तैनात किया गया है। सभी जिलों में नियंत्रण कक्ष कार्य कर रहे हैं। खराब मौसम की मार झेल रहे हिमाचल में अगले दो दिन भारी बारिश का अलर्ट जारी किया गया है। मौसम विभाग दिल्ली द्वारा राज्य के पांच जिलों चंबा, कांगड़ा, मंडी, कुल्लू व शिमला के ऊपरी स्थानों पर बहुत भारी बारिश के साथ-साथ फ्लैश फ्लड का अलर्ट जारी किया गया है, जो तबाही का कारण बन सकता है। इस दौरान प्रदेश में भूस्खलन की चेतावनी जारी की गई है। लोगों से नदी और नालों के समीप नहीं जाने की अपील की गई है। एक अगस्त तक पूरे प्रदेश में मौसम खराब बना रहने का पूर्वानुमान है।

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