कितने मजबूत हैं चन्नी और सिद्धू ? किसके सहारे कांग्रेस की नईया होगी पार, समझिए पूरा गणित

Channi
प्रतिरूप फोटो

पंजाब में 32 से 34 फीसदी दलित वोट है और मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी दलित सिख हैं। तभी तो उन्होंने सबसे पहले चुनाव आयोग को पत्र लिखकर मतदान की तारीख को आगे बढ़ाने की अपील की थी और फिर तमाम दलों ने भी यही मांग की।

चंडीगढ़। पंजाब में विधानसभा चुनाव के लिए 20 दिन से भी कम का समय बचा हुआ है। ऐसे में राजनीतिक दल अपनी-अपनी रणनीतियों के तहत तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। लेकिन पंजाब में कांग्रेस का मुख्यमंत्री चेहरा कौन होगा ? क्या पार्टी चरणजीत सिंह चन्नी पर दांव लगाएगी या फिर नवजोत सिंह सिद्धू को मजबूत करने का काम करेगी ? दरअसल, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने जालंधर में एक वर्चुअल रैली को संबोधित करते हुए साफ कर दिया था कि मुख्यमंत्री के चेहरे के साथ पार्टी आगे बढ़ेगी। ऐसे में उम्मीदवार कौन होगा ? 

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राहुल गांधी ने कहा था कि नवजोत सिंह सिद्धू और चरणजीत सिंह चन्नी दोनों ने मुझे आश्वासन दिया कि दो लोग नेतृत्व नहीं कर सकते हैं, एक ही व्यक्ति नेतृत्व करेगा। दोनों ने कहा कि जो भी नेतृत्व करेगा, दूसरा व्यक्ति कसम खाकर अपनी पूरी शक्ति उसकी मदद में लगाएगा। उन्होंने कहा था कि अगर कांग्रेस पार्टी, पार्टी कार्यकर्ता और पंजाब चाहता है तो फिर हम मुख्यमंत्री का निर्णय लेंगे, हम इसका निर्णय अपने कार्यकर्ताओं से पूछकर लेंगे। जो सही व्यक्ति होगा वो पंजाब को आगे ले जाएगा और दूसरा व्यक्ति और दूसरे लोग मिलकर टीम की तरह उसका साथ देंगे।

राहुल गांधी के इस वक्तव्य के साथ ही चर्चा छिड़ गई कि कांग्रेस का अगले मुख्यमंत्री दांवेदार कौन होगा। क्योंकि चन्नी और सिद्धू के अलावा तीसरा गुट भी बनता हुआ दिखाई दे रहा है। हालांकि पार्टी चन्नी या फिर सिद्धू में से ही किसे एक पर दांव खेल सकती है या फिर किसी तीसरे पर दांव लगाकर सभी को चौंका भी सकती है।

कितने मजबूत हैं चन्नी ?

कांग्रेस मुख्यमंत्री चन्नी को अपना मजबूत उम्मीदवार मान रही है। इसीलिए तो उन्हें दो सीटों से विधानसभा चुनाव में उतारा है। चन्नी एक तो अपनी परंपरागत सीट चमकौर साहिब से तो दूसरी बरनाला के भदौड़ से चुनावी मैदान में हैं। इसके अतिरिक्त चन्नी प्रदेश के पहले दलित मुख्यमंत्री हैं और अमरिंदर सिंह को हटाकर उन्हें प्रदेश की जिम्मेदारी सौंपी गई है। करीब 111 दिन के कार्यकाल के दौरान उन्होंने फ्रंटफुट पर बैंटिंग की और दूसरी पार्टियां तो महज ऐलान ही करती थीं लेकिन चन्नी ने उसे आगे बढ़ाने का काम भी किया। 

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हाल ही में कांग्रेस ने सोनू सूद के साथ का एक वीडियो आधिकारिक ट्विटर हैंडल के जरिए पोस्ट कर यह तो संकेत दे दिया था कि चन्नी के नेतृत्व में ही पार्टी आगे बढ़ेगी और हालिया परिस्थितियों के देखकर भी ऐसा ही प्रतीत हो रहा है।

पंजाब में 32 से 34 फीसदी दलित वोट है और मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी दलित सिख हैं। तभी तो उन्होंने सबसे पहले चुनाव आयोग को पत्र लिखकर मतदान की तारीख को आगे बढ़ाने की अपील की थी और फिर तमाम दलों ने भी यही मांग की। जिसे देखते हुए चुनाव आयोग ने 14 फरवरी की जगह 20 फरवरी को मतदान कराने की घोषणा की। चन्नी की सिख समुदाय में भी अच्छी पकड़ है। ऐसे में उनकी दावेदारी मजबूत मानी जा रही है। साल 2007 में पहली बार चुनाव लड़ने के लिए चन्नी ने कांग्रेस से टिकट मांगा था लेकिन पार्टी ने देने से इनकार कर दिया था। ऐसे में उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़कर जीत दर्ज की और फिर बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए। इसके बाद से चन्नी चमकौर साहिब सीट पर लगातार प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।

क्या गलेगी सिद्धू की दाल ?

समय-समय पर बयानों के चलते अपनी ही सरकार की मुश्किलें बढ़ाने वाले सिद्धू को लेकर कांग्रेस थोड़ी चिंतित नजर आ रही है। चुनावों से पहले पार्टी मुख्यमंत्री उम्मीदवार का ऐलान नहीं करना चाह रही थी लेकिन सिद्धू और चन्नी द्वारा बनाए गए दबाव के बाद पार्टी को यह फैसला लेना पड़ सकता है। हालांकि पार्टी सिद्धू पर दांव खेले इसके कम ही चासेंस लग रहे हैं क्योंकि पार्टी उनके बगावती तेवरों को अच्छी तरह से वाकिफ है और हाल फिलहाल में उन्होंने चंडीगढ़ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए यह कहा था कि पंजाब की जनता तय करेगी मुख्यमंत्री कौन होगा। 

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सिद्धू अपने आक्रामक अंदाज के लिए जाने जाते हैं लेकिन पार्टी उनका नाम आगे बढ़ाकर विपक्षियों को भुनाने के लिए मुद्दा नहीं देना चाहेगी। क्योंकि कांग्रेस अगर सिद्धू को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करती है तो फिर पंजाब लोक कांग्रेस प्रमुख अमरिंदर सिंह और भाजपा इसे भुनाने की पूरी कोशिश करेगी और समय-समय पर अमरिंदर सिंह ने सिद्धू के इमरान के साथ रिश्तों को भी उजागर करने का काम किया था। लेकिन अमरिंदर सिंह के जमाने से अपने बगावती तेवरों के लिए जाने-जाने वाले सिद्धू का हाल चन्नी सरकार में भी वैसा ही है। इसके बाद भी पार्टी सिद्धू का काफी सपोर्ट करती आई है और टिकट बंटवारे के दौरान यह देखने को भी मिला है।

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