बुरे वक्त में प्रियंका, अरविंद समेत इन नेताओं ने उद्धव का कंधे से कंधा मिलाकर दिया साथ

Uddhav Thackeray
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उद्धव ठाकरे के खेमे से लगातार नेता छिटककर एकनाथ शिंदे के खेमे में शामिल हो रहे हैं। इसके अलावा शिवसेना की आवाज को बुलंद करने वाले सांसद संजय राउत पात्रा चॉल केस को लेकर प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत में हैं। नहीं तो रोजाना सुबह पार्टी की आवाज बनकर संजय राउत मीडियाकर्मियों को संबोधित करते।

मुंबई। महाराष्ट्र की सत्ता गंवाने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे अपनी पार्टी 'शिवसेना' को बचाने की कवायद में जुटे हुए हैं। उद्धव ठाकरे पर पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं से नहीं मिलने के आरोप लगते रहे हैं। ऐसे में उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं से मिलने का सिलसिला तेज कर दिया है और हर मौके पर उनके कंधे से कंधा मिलाकर बेटे आदित्य ठाकरे चल रहे हैं।

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इन नेताओं ने नहीं छोड़ा साथ

उद्धव ठाकरे के खेमे से लगातार नेता छिटककर एकनाथ शिंदे के खेमे में शामिल हो रहे हैं। इसके अलावा शिवसेना की आवाज को बुलंद करने वाले सांसद संजय राउत पात्रा चॉल केस को लेकर प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत में हैं। नहीं तो रोजाना सुबह पार्टी की आवाज बनकर संजय राउत मीडियाकर्मियों को संबोधित करते। लेकिन उनकी गिरफ्तारी के बाद पार्टी सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने उद्धव ठाकरे के हौसलों को कमजोर नहीं होने दिया और विपक्ष के हर कार्यक्रम में शिवसेना की प्रतिनिधि बनकर बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।

निर्वाचन आयोग से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक उद्धव ठाकरे के साथ प्रियंका चतुर्वेदी, अरविंद सावंत, सुभाष देसाई, सचिन अहीर, अजय चौधरी जैसे शिवसैनिकों कंधे से कंधा मिलकर चल रहे हैं और जनता के बीच पार्टी की साख को फिर से मजबूत करने में जुट गए हैं। प्रियंका चतुर्वेदी और अरविंद सावंत, संजय राउत की गैरमौजूदगी में संसद में शिवसेना के पक्ष को कमजोर नहीं होने दे रहे हैं।

बीती रात को प्रियंका चतुर्वेदी ने राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा आयोजित कार्यक्रम में न सिर्फ शरीक हुईं बल्कि एक घंटे तक इंतजार भी किया। क्योंकि मेजबान मल्लिकार्जुन खड़गे ईडी की जांच में घिरे हुए थे। यह रात्रिभोज विपक्ष के साझा उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा के सम्मान में रखा गया था।

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उद्धव के नेतृत्व में शिवसेना सर्वोपरि

पूर्व मंत्री सुभाष देसाई राजनीति से रिटायर होने की कगार पर हैं लेकिन उन्होंने उद्धव ठाकरे के मुश्किल समय में पार्टी संगठन को संभालने का जिम्मा उठाया। इसके अलावा वो कानूनी मामलों में भी पार्टी की मदद कर रहे हैं। 'ऐश के यार तो अग़्यार भी बन जाते हैं, दोस्त वो हैं जो बुरे वक्त में काम आते हैं' यह शेर शिवसेना नेताओं पर एकदम फिट बैठता है क्योंकि जब ज्यादा पार्टी नेता उद्धव का साथ छोड़ रहे थे तब इन शिवसैनिकों ने न सिर्फ उद्धव के नेतृत्व को स्वीकार बल्कि संगठन को मजबूत करने की पहल भी शुरू कर दी।

सुप्रीम कोर्ट में उद्धव खेमे का जिम्मा अरविंद सावंत, अनिल परब और अनिल देसाई कर रहे हैं। भले ही उनके पक्ष में अभी तक मामला जाते हुए नहीं दिखाई दिया लेकिन उन्हें उम्मीद है कि पार्टी जरूर विजयी होगी।

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