महानदी से इस वर्ष सामान्य रूप से ही पानी छोड़ा गया : Chhattisgarh

 Chhattisgarh Water
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जनसपंर्क विभाग के अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि उड़ीसा के कुछ अखबारों में वहां के इंजीनियर इन चीफ के हवाले से खबरें प्रकाशित की गई है।

छत्तीसगढ़ सरकार ने उड़ीसा के कुछ अखबारों में महानदी जल विवाद को लेकर छपे खबरों पर आपत्ति जताई है और कहा है कि राज्य ने इस वर्ष अन्य वर्षों की तुलना में उद्योगों, निस्तारी और फसलों के लिए सामान्य रूप से ही पानी छोड़ा है। जनसपंर्क विभाग के अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि उड़ीसा के कुछ अखबारों में वहां के इंजीनियर इन चीफ के हवाले से खबरें प्रकाशित की गई है। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार ने उड़ीसा के अखबारों में महानदी जल विवाद पर प्रकाशित खबरों पर आपत्ति जताई है और कहा है कि उड़ीसा के मुख्य अभियंता के हवाले से प्रकाशित खबर दोनों राज्यों के द्वारा जारी प्रोटोकाल के विरूद्ध है।

अधिकारियों ने बताया कि इस संबंध में वास्तविक स्थिति यह है कि छत्तीसगढ़ ने इस वर्ष अन्य वर्षों की तुलना में उद्योगों निस्तारी तथा फसलों के लिए सामान्य रूप से ही पानी छोड़ा है। उड़ीसा स्थित हीराकुंड जलाशय की जलग्रहण क्षमता महानदी बेसिन के सभी जलाशयों की जलग्रहण क्षमता से अधिक है। इसलिए उड़ीसा को पानी की कमी के संबंध में आरोप लगाने का कोई आधार ही नहीं है। उन्होंने कहा कि उड़ीसा का महानदी बेसिन का दोहनकारी जल संसाधन प्रबंधन है, जबकि छत्तीसगढ़ स्वयं के द्वारा संरक्षित जल संसाधन के प्रबंधन से लाभान्वित होता है। छत्तीसगढ़ में जल की हर एक बूंद को संरक्षित करने का प्रयास किया जाता है।

अधिकारियों ने कहा कि छत्तीसगढ़ ने न केवल अपने इन-स्ट्रीम चेकडैम और बैराज के माध्यम से वर्षा जल संरक्षण पर ध्यान केंद्रित किया है, बल्कि मॉनसून रनऑफ को जल के स्तर पर रिचार्ज करने के लिए नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी (एनजीजीबी) कार्यक्रम के माध्यम से बड़े पैमाने पर जल संरक्षण और भू-जल स्तर में वृद्धि के उद्देश्य से परियोजना शुरू की है। छत्तीसगढ़ के जल संरक्षण उपायों से उड़ीसा को बहुत लाभ हुआ है, क्योंकि भू-जल को महानदी और उसकी सहायक नदियों में छोड़ा जाता है जो अंततः उड़ीसा तक ही पहुंचता है।

उन्होंने बताया कि इस वर्ष 25 अप्रैल को सेटेलाईट द्वारा ली गई तस्वीर तथा पिछले वर्ष तथा तीन वर्ष पहले एक ही तिथि यानी 25 अप्रैल, 2022 और 25 अप्रैल, 2020 की सेटेलाईट द्वारा ली गई तस्वीर में हीराकुंड जलाशय में महानदी के प्रवाह व्यवस्था और उसके जलाशय के ऊपरी स्तर में लगभग कोई अंतर दिखाई नहीं दिया है। उन्होंने बताया कि उड़ीसा के कुछ अखबारों ने बड़ी संख्या में छत्तीसगढ़ के कलमा बैराज के द्वार खोलने से संबंधित खबरों को छापा था, जो भ्रामक है। छत्तीसगढ़ की प्रमुख नदी महानदी के जल बंटवारे को लेकर छत्तीसगढ़ और उड़ीसा के दावों के समाधान के लिए महानदी जल विवाद अधिकरण ने 18 अप्रैल से 22 अप्रैल तक बेसिन क्षेत्रों में निरीक्षण कार्य किया था। जबकि 29 अप्रैल से तीन मई तक दूसरे चरण में निरीक्षण किया जाएगा।

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