Prabhasakshi's Newsroom। अफगानिस्तान से हिंदुओं और सिखों को निकालेगा भारत, पेगासस पर कोर्ट में हुई सुनवाई

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पेगासस जासूसी के आरोपों में “छिपाने के लिये कुछ भी नहीं” है और वह इस मामले के सभी पहलुओं के निरीक्षण के लिये प्रमुख विशेषज्ञों की एक विशेषज्ञ समिति बनाएगी। प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की तीन सदस्यीय पीठ को सरकार ने बताया कि यह मुद्दा “काफी तकनीकी” है और इसके सभी पहलुओं की विशेषज्ञों द्वारा जांच की जरूरत है।
सरकार के होने और ना होने से कितना फर्क पड़ता है यह अफगानिस्तान के लोगों को देखने के बाद आपको पता चल सकता है। लोकतंत्र क्या है और लोकतंत्र नहीं होने की स्थिति में क्या हो सकता है इसे भी अफगानिस्तान के ताजा हालात से समझा जा सकता है। आज हम अपने इस कार्यक्रम में जानेंगे अफगानिस्तान के ताजा हालात के बारे में। इसके अलावा हम यह भी जानेंगे कि जिस पेगासस मद्दे को लेकर पूरा संसद सत्र हंगामेदार रहा, आज उस मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। आखिर सरकार ने कोर्ट में क्या कहा?
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अफगानिस्तान में हर तरफ अफरा-तफरी का माहौल है। इन सबके बीच खबर यह है कि वहां के लोग आप देश छोड़ना चाहते हैं। इसी को लेकर अब केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बड़ा बयान दिया है। हरदीप सिंह पुरी ने कहा है कि भारत सरकार अफगानिस्तान में फंसे हिंदुओं और सिखों को बाहर निकालेगी। उन्होंने कहा कि इसके लिए भारत सरकार का विदेश मंत्रालय अपने स्तर पर काम कर रहा है। विदेश मंत्रालय सभी तरह का इंतजाम भी करेगा। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी केंद्र सरकार से अफगानिस्तान के एक गुरुद्वारे में फंसे 200 सिखों समेत सभी भारतीयों को निकालने का आग्रह किया है और कहा है कि इसमें उनकी सरकार हर प्रकार की मदद देने के लिये इच्छुक है। दूसरी ओर चीन ने कहा है कि वह तालिबान के साथ दोस्ताना संबंध चाहता है। सभी देशों ने तालिबान में अपने दूतावास को बंद कर दिए हैं लेकिन चीन का दूतावास अभी भी खुला है।
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केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पेगासस जासूसी के आरोपों में “छिपाने के लिये कुछ भी नहीं” है और वह इस मामले के सभी पहलुओं के निरीक्षण के लिये प्रमुख विशेषज्ञों की एक विशेषज्ञ समिति बनाएगी। प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की तीन सदस्यीय पीठ को सरकार ने बताया कि यह मुद्दा “काफी तकनीकी” है और इसके सभी पहलुओं की विशेषज्ञों द्वारा जांच की जरूरत है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया, “छिपाने के लिये कुछ भी नहीं है। विशेषज्ञों की समिति से इसकी जांच की जरूरत है। यह बेहत तकनीकी मुद्दा है। हम इस क्षेत्र के प्रमुख तटस्थ विशेषज्ञों की नियुक्ति करेंगे।” जासूसी के आरोपों की जांच को लेकर याचिका दायर करने वाले वरिष्ठ पत्रकार एन राम और शशि कुमार की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि सरकार का हलफनामा यह नहीं बताता कि सरकार या उसकी एजेंसियों ने जासूसी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया या नहीं। सुनवाई के दौरान सिब्बल ने कहा, “हम नहीं चाहते कि सरकार, जिसने पेगासस का इस्तेमाल किया हो या उसकी एजेंसी जिसने हो सकता है इसका इस्तेमाल किया हो, अपने आप एक समिति गठित करे।” इससे पहले, दिन में केंद्र ने हलफनामा दायर कर सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि पेगासस जासूसी के आरोपों को लेकर स्वतंत्र जांच की मांग करने वाली याचिकाएं “अटकलों, अनुमानों” और मीडिया में आई अपुष्ट खबरों पर आधारित हैं।
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