ISIS रंगरूट को जाकिर की संस्था से मिली थी 80000 की छात्रवृति

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने दावा किया है कि आईएसआईएस रंगरूट अबू अनस को अक्तूबर 2015 में इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन से 80,000 रुपये छात्रवृति के रूप में मिले थे।

जाकिर नाईक की अगुवाई वाले इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (आईआरएफ) के वित्तपोषण एवं अन्य गतिविधियों की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने दावा किया है कि आईएसआईएस रंगरूट अबू अनस को अक्तूबर 2015 में इस फांउडेशन से 80,000 रुपये छात्रवृति के रूप में मिले थे। जब जनवरी में एनआईए ने अनस को गणतंत्र दिवस से पहले आतंकवादी हमले की कथित साजिश रचने को लेकर गिरफ्तार किया था तब उसने हैदराबाद की एक कंपनी में इंजीनियर की नौकरी छोड़ दी थी। वह राजस्थान के टोंक का रहने वाला है।

एनआईए ने दावा किया कि आईआरएफ के वित्तपोषण एवं धनवितरण की जांच से पता चला कि अनस को अक्तूबर 2015 में इस फांउडेशन से 80,000 रुपये छात्रृति के रूप में मिले थे। अनस जनवरी में गिरफ्तार किए गए 16 लोगों में एक है। एनआईए ने आरोप लगाया कि अनस ने सीरिया जाने की योजना बनायी थी। उसके खिलाफ इस साल जून में आरोपपत्र दायर किया गया और फिलहाल वह तिहाड़ जेल में है। जांच एजेंसी 19 नवंबर से की तलाशी अभियान चला रही है और उसने मुम्बई में कम से कम 20 जगहों पर छापा मारा जो प्रतिबंधित आईआरएफ और उसके न्यासियों से जुड़े हैं।

एनआईए ने कहा कि तलाशी अभियान के दौरान उसे नाईक के सार्वजनिक भाषणों के वीडियो टेप एवं डीवीडी, आईआरएफ और उससे जुड़ी कंपनियों की संपत्ति एवं निवेश, वित्तीय विनिमय, विदेश एवं देशी वित्तपोषण से संबंधित दस्तावेज मिले। एनआईए का आरोप है कि आईआरएफ के मीडिया, इत्र एवं साल्युशन से संबंधित कुछ कंपनियों से गहरे ताल्लुकात हैं। पिछले ही हफ्ते आईआरएफ पर अवैध गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत पाबंदी लगायी गयी थी। विदेशी एवं देशी चंदे के अंतर्प्रवाह एवं बाह्यप्रवाह से जुड़े दस्तावेजों को खंगाला जा रहा है। एनआईए ने आईआरएफ की वेबसाइट को बंद कर दिया है जो कथित रूप से नाईक के नफरत फैलाने वाले भाषणों को बढ़ावा दे रही थी। यदि इस्लामिक उपदेशक एनआईए का जवाब नहीं दे पाते हैं तो इंटरपोल के जरिए रेडकोर्नर नोटिस जारी किया जाएगा।

एनआईए नाईक के फेसबुक पेज, ट्विटर एकाउंट, यूट्यूब वीडियो पर रोक लगाने की कोशिश कर रही है जिनमें कथित आपत्तिजनक सामग्री है। जांच एजेंसी अमेरिका में संबंधित प्रशासन से मदद मांग सकती है क्योंकि गूगल और याहू जैसी इंटरनेट कंपनियों के सर्वर अमेरिका में हैं। नाईक और आईआरएफ के अज्ञात अधिकारियों पर भादसं एवं अवैध गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।

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