Canada G7 Summit | जी-7 में जयशंकर ने रखा भारत का बेबाक पक्ष, वैश्विक चुनौतियों पर दिया अंतरराष्ट्रीय सहयोग का मंत्र

Jaishankar
ANI
रेनू तिवारी । Nov 13 2025 8:46AM

जयशंकर नियाग्रा में जी-7 साझेदार देशों के साथ एक संवाद सत्र में भाग लेने पहुंचे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘वैश्विक आपूर्ति में अनिश्चितता और बाजार में रुकावटें देखी गई हैं। अधिक नीतिगत परामर्श और समन्वय उपयोगी हो सकते हैं।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कनाडा में जी7 विदेश मंत्रियों की बैठक (एफएमएम) के ऊर्जा सुरक्षा और महत्वपूर्ण खनिजों पर आउटरीच सत्र में भाग लिया और भारत का दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। जयशंकर ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि उन्होंने दोनों मुद्दों पर "निर्भरता कम करने, पूर्वानुमान को मज़बूत करने और लचीलापन बनाने" की आवश्यकता पर बात की। इसके अवाला उन्होंने महासागर दृष्टिकोण, भारत-प्रशांत सहयोग और बंदरगाह-आधारित विकास पहलों के माध्यम से समुद्री सुरक्षा के प्रति भारत के दृष्टिकोण को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ाना है।

जयशंकर नियाग्रा में जी-7 साझेदार देशों के साथ एक संवाद सत्र में भाग लेने पहुंचे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘वैश्विक आपूर्ति में अनिश्चितता और बाजार में रुकावटें देखी गई हैं। अधिक नीतिगत परामर्श और समन्वय उपयोगी हो सकते हैं। लेकिन असली ज़रूरत है कि इन बातों को जमीनी स्तर पर लागू किया जाए। भारत इस दिशा में अंतरराष्ट्रीय साझेदारों के साथ रचनात्मक रूप से काम करने के लिए तैयार है।’’

इससे पहले, बुधवार को जयशंकर ने ‘जी-7 एफएमएम आउटरीच सत्र’ के दौरान यूक्रेन, सऊदी अरब और यूरोपीय संघ के अपने समकक्षों से अलग-अलग मुलाकात कीं और परस्पर हितों से जुड़े क्षेत्रीय मुद्दों तथा हालिया घटनाक्रमों पर चर्चा की। एक अन्य पोस्ट में विदेश मंत्री ने बताया कि उनकी यूक्रेन के विदेश मंत्री आंद्रेई सिबिहा के साथ ‘‘उपयोगी बातचीत’’ हुई।

उन्होंने कहा, ‘‘सिबिहा ने यूक्रेन के हालिया घटनाक्रमों पर अपना दृष्टिकोण साझा किया।’’ जयशंकर ने सऊदी अरब के विदेश मंत्री प्रिंस फैसल बिन फरहान से भी मुलाकात की और द्विपक्षीय संबंधों, क्षेत्रीय मुद्दों, संपर्क और ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग जैसे कई विषयों पर चर्चा की। यूरोपीय संघ की विदेश नीति प्रमुख कजा कालस से मुलाकात के बाद जयशंकर ने कहा, ‘‘हमारी बातचीत का केंद्र भारत-यूरोपीय संघ रणनीतिक साझेदारी को और गहरा करना और जी-7 बैठक के एजेंडे पर विचार साझा करना रहा।’’

जयशंकर ने अपने अमेरिकी समकक्ष मार्को रूबियो से भी बातचीत की, जो मुख्य रूप से व्यापार और आपूर्ति श्रृंखला से जुड़े मुद्दों पर केंद्रित रही। विदेश मंत्री ने अपनी कनाडाई समकक्ष अनीता आनंद से भी मुलाकात की और व्यापार, ऊर्जा, सुरक्षा और लोगों के बीच संपर्क जैसे क्षेत्रों में भारत-कनाडा सहयोग की समीक्षा की। दोनों देशों के रिश्तों को फिर से मजबूत करने के प्रयासों के तहत यह चर्चा हुई, जो दो वर्ष पहले राजनयिक विवाद के बाद तनावपूर्ण हो गए थे।

जयशंकर ने इसके अलावा जर्मनी, फ्रांस, ब्राजील और ब्रिटेन के विदेश मंत्रियों के साथ भी अलग-अलग द्विपक्षीय वार्ताएं कीं। फ्रांस के विदेश मंत्री जीन-नोएल बारो के साथ बैठक के बाद जयशंकर ने सोशल मीडिया पर कहा, ‘‘हमने अपनी रणनीतिक साझेदारी की समीक्षा की और बहुपक्षीय एवं बहु-पक्षीय मंचों पर सहयोग को गहरा करने पर चर्चा की।’’

ब्राजील के विदेश मंत्री माउरो विएरासे मुलाकात के बाद उन्होंने कहा, ‘‘हम व्यापार, निवेश, स्वास्थ्य और प्रौद्योगिकी सहयोग के लिए अधिक अवसरों की सक्रिय रूप से तलाश कर रहे हैं।’’ जर्मनी के विदेश मंत्री जोहान वेडेफुल के साथ हुई चर्चा में द्विपक्षीय रणनीतिक साझेदारी और भारत-यूरोपीय संघ संबंधों को आगे बढ़ाने पर जोर दिया गया। जयशंकर ने बताया कि उन्होंने और वेडेफुल ने पश्चिम एशिया, हिंद-प्रशांत और अफगानिस्तान की स्थिति पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया। ब्रिटेन के विदेश मंत्री येवेट कूपर के साथ बैठक के बाद जयशंकर ने कहा कि कि भारत-ब्रिटेन संबंधों में सकारात्मक गति को स्वीकार किया गया है।

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