सशस्त्र बलों के लिए संसाधनों पर खर्च से समझौता नहीं: जेटली

रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि सरकार रक्षा खरीद प्रक्रिया को तेज कर रही है और देश में रक्षा बलों के लिए बजट संबंधी जरूरतों से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि सरकार रक्षा खरीद प्रक्रिया को तेज कर रही है और देश में रक्षा बलों के लिए बजट संबंधी जरूरतों से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। जेटली ने वर्ष 2017-18 के लिए रक्षा मंत्रालय की अनुदान मांगों पर चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि देश की सुरक्षा के लिए संसाधनों की उपलब्धता जरूरी है और विभिन्न स्तरों से राजस्व एकत्रित करने के प्रयास किये जाते हैं ताकि रक्षा जरूरतों को पूरा किया जा सके।
उन्होंने कहा कि संसाधनों की उपलब्धता के संबंध में हम पिछली सरकार के समय रहीं व्यवस्था में सुधार कर रहे हैं। जेटली ने कहा, ‘‘सेना के लिए खरीद के स्तर पर समझौता नहीं किया जाएगा चाहे अन्य खर्चों को कम करना पड़े।’’ हाल ही में मनोहर पर्रिकर के गोवा के मुख्यमंत्री बनने के बाद रक्षा मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार संभालने वाले जेटली ने कहा कि देश के राजस्व का बड़ा हिस्सा राज्यों को दिया जाता है, बड़ा हिस्सा गरीबों की मदद के लिए सब्सिडी में चला जाता है, बड़ा हिस्सा ब्याज अदा करने में जाता है और बड़ा हिस्सा विकास कार्यों में खर्च होता है। उन्होंने कहा कि इतनी स्पर्धा के बीच देश की सुरक्षा के लिए अधिक से अधिक संसाधन जुटाने का प्रयास रहता है। रक्षा बजट में बड़ा हिस्सा सैनिकों के वेतन और पूर्व सैनिकों की पेंशन और उनकी सुविधाओं पर खर्च होता है।
रक्षा मंत्री ने चर्चा में विपक्षी सदस्यों की आलोचनात्मक टिप्पणियों के संदर्भ में कहा कि देश की सुरक्षा और देश के सैनिकों की तैयारी राजनीतिक विषय नहीं हैं। इसमें राजनीतिक दलों को एक दूसरे पर प्रहार नहीं करना चाहिए। दशकों से देश में कुछ अव्यवस्थाएं और अच्छी व्यवस्थाएं दोनों हैं।
इससे पहले चर्चा में भाग ले रहे कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि रक्षा क्षेत्र में पिछले तीन साल में सरकार की ना तो कोई नीति रही और ना ही कोई नीयत थी। सिंधिया ने आरोप लगाया कि हमारे सैनिकों के लिए आधुनिक हथियार तथा बुलेटप्रूफ जैकेट भी पर्याप्त नहीं है। रक्षा बजट में कटौती की गयी है और इसका उपयोग भी पूरा नहीं हुआ। जेटली ने कहा कि विश्व की सबसे बड़ी सेनाओं में से भारत की सेना है और इतिहास में एक भी अवसर ऐसा नहीं होगा जब सेना ने अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई हो चाहे लंबी थलीय, समुद्री सीमा पर सुरक्षा हो, देश में उग्रवाद से सुरक्षा हो या प्राकृतिक आपदाओं के बाद बचाव कार्य की जिम्मेदारी हो।
जेटली ने कहा कि संसाधनों की उपलब्धता और प्रक्रिया की दो स्वाभाविक चुनौतियां हैं जो केवल पिछले तीन साल में पैदा नहीं हुईं बल्कि सालों से बनी हुई हैं। उन्होंने कहा कि अंतत: प्रयास संसाधन बढ़ाने का रहता है। रक्षा मंत्री ने कहा कि हम प्रत्येक वो कदम उठा रहे हैं जिससे राजस्व के लिए आधार बढ़ाने का इरादा है।
इस बीच अन्नाद्रमुक के एम तंबिदुरै ने कहा कि एक तरफ आप राजस्व बढ़ाने की बात कर रहे हैं लेकिन वहीं आप राज्यों के अधिकार ले रहे हैं और संघीय व्यवस्था को कमजोर रहे हैं। उन्होंने इस संबंध में जीएसटी का नाम लिया। जेटली ने कहा कि जीएसटी का उद्देश्य देश में व्यापक अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था लाना है और जीएसटी को लेकर केवल तमिलनाडु को आपत्ति रही लेकिन अंतत: हमारा प्रयास जीएसटी लागू कर, कर चोरी रोककर अनेक उपायों के माध्यम से धन बचाना और सुरक्षा पर अधिक खर्च करना है। उन्होंने कुछ सदस्यों द्वारा रक्षा खरीद प्रक्रिया में शिथिलता आने का जिक्र करने पर कहा कि यह धारणा नहीं बननी चाहिए कि देश में रक्षा खरीद नहीं हो रही और यह भी बात नहीं आनी चाहिए कि कहीं सेना की तैयारी पर तो असर नहीं पड़ रहा। सरकार रक्षा क्षेत्र को मजबूत बनाने को प्रतिबद्ध है।
जेटली ने कहा कि 2014-15, 2015-16 और इस साल अब तक 147 करार किये गये हैं। इनमें भारतीय बलों के लिए तोप, राइफल, विमान और अन्य शस्त्रों की खरीद शामिल है। उन्होंने इस संबंध में सेना के लिए ब्रह्मोस, 155 एमएम की तोप, पिनाक मिसाइल, सैनिकों के लिए बैलिस्टिक हेलमेट का, नौसेना के लिए गहरे समुद्र में बचाव करने वाले जलपोतों, डोर्नियर विमानों का और वायुसेना के लिए राफेल विमानों, हेवीलिफ्ट हेलीकॉप्टरों और अपाचे आक्रमण हेलीकॉप्टरों आदि की खरीद प्रक्रिया का उल्लेख किया। रक्षा मंत्री ने कहा कि ‘मेक इन इंडिया’ में कोई काम नहीं होने की आलोचना भी वास्तविकता से परे नहीं होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि पिछले तीन साल में हमने 134 मामलों में मंजूरी दी है जिसमें 2,51,000 करोड़ रुपये की लागत के सौ मामलों में ‘बाई एंड मेक इन इंडिया’ के तहत काम होना है और करीब 1,19,000 करोड़ रुपये के 34 मामलों में ‘बाई ग्लोबल’ यानी वैश्विक स्तर पर खरीद के जरिये काम होना है। जेटली ने कहा कि स्वाभाविक है कि रक्षा क्षेत्र में बहुत पहले से काम हो रहा है लेकिन पिछले तीन साल में खरीद के स्तर पर मंजूरी की प्रक्रिया तेज हुई है। उन्होंने 2016 की नयी रक्षा खरीद नीति का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें प्रक्रिया में समयसीमा को कम से कम करने का प्रयास किया गया है ताकि मूल्यांकन, मूल्य निर्धारण सही हो और पारदर्शिता आए।
वन रैंक-वन पेंशन (ओआरओपी) के संबंध में विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए जेटली ने कहा कि फरवरी 2014 में अंतरिम बजट में ओआरओपी के लिए 500 करोड़ का प्रावधान किया गया था और चुनाव के दौरान अप्रैल में माह में यह विषय एक समिति को सौंप दिया गया। उन्होंने कहा, ''हमारी सरकार ने सात नवंबर 2015 को ओआरओपी को लागू किया।’’ जेटली ने कहा कि पूर्व सैनिकों को एरियर की चार किश्त दी जानी थीं जिनमें से दो दे दी गयी हैं और तीसरी जल्द दी जाएगी। उन्होंने कहा कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिश के बाद ओआरओपी में कुछ विसंगतियों की ओर इशारा किया गया है और इसे अध्ययन के लिए एक समिति को सौंप दिया गया है जिसकी रिपोर्ट जल्द आने की संभावना है।
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