कठिन दौर से गुजर रही है पत्रकारिता, फर्जी खबरें नए खतरे के तौर पर सामने आई हैं: राष्ट्रपति

journalism-passing-through-critical-phase-fake-news-emerges-as-new-menace-says-president
[email protected] । Jan 21 2020 9:30AM

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सोमवार को कहा कि पत्रकारिता एक ‘‘कठिन दौर’’ से गुजर रही है। उन्होंने कहा कि फर्जी खबरें नये खतरे के रूप में सामने आई हैं, जिसका प्रसार करने वाले खुद को पत्रकार के रूप में पेश करते हैं और इस महान पेशे को कलंकित करते हैं।

नयी दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सोमवार को कहा कि पत्रकारिता एक ‘‘कठिन दौर’’ से गुजर रही है। उन्होंने कहा कि फर्जी खबरें नये खतरे के रूप में सामने आई हैं, जिसका प्रसार करने वाले खुद को पत्रकार के रूप में पेश करते हैं और इस महान पेशे को कलंकित करते हैं। कोविंद ने कहा कि सामाजिक और आर्थिक असमानताओं को उजागर करने वाली खबरों की अनदेखी की जाती है और उनका स्थान तुच्छ बातों ने ले लिया है।

इसे भी पढ़ें: समाचार प्रसारकों ने वित्त मंत्री सीतारमण से मिलकर जीएसटी में प्रिंट मीडिया से समानता की मांग की

उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक सोच को प्रोत्साहित करने में मदद के बजाय कुछ पत्रकार रेटिंग पाने और ध्यान खींचने के लिए अतार्किक तरीके से काम करते हैं। ‘रामनाथ गोयनका एक्सलेंस इन जर्नलिज्म’ पुरस्कार समारोह को यहां संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि ‘‘ब्रेकिंग न्यूज सिंड्रोम’’ के शोरशराबे में संयम और जिम्मेदारी के मूलभूत सिद्धांत की अनदेखी की जा रही है। कोविंद ने कहा कि पुराने लोग ‘फाइव डब्ल्यू एंड एच’ (व्हाट (क्या), व्हेन (कब), व्हाई (क्यों), व्हेयर(कहां), हू (कौन) और हाउ (कैसे) के मूलभूत सिद्धांतों को याद रखते थे, जिनका जवाब देना किसी सूचना के खबर की परिभाषा में आने के लिये अनिवार्य था।

उन्होंने कहा, ‘‘फर्जी खबरें नए खतरे के रूप में उभरी हैं, जिनका प्रसार करने वाले खुद को पत्रकार के तौर पर पेश करते हैं और इस महान पेशे को कलंकित करते हैं।’’ राष्ट्रपति ने कहा कि पत्रकारों को अपने कर्तव्य के निर्वहन के दौरान कई भूमिकाएं निभानी पड़ती हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इन दिनों वे अक्सर जांचकर्ता, अभियोजक और न्यायाधीश की भूमिका निभाने लगते हैं।’’ राष्ट्रपति ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि पत्रकारिता एक कठिन दौर से गुजर रही है।

इसे भी पढ़ें: पत्रकारिता विश्वविद्यालय में पहले कुलपति डॉ. राधेश्याम शर्मा को किया गया याद

कोविंद ने कहा कि सच तक पहुंचने के लिए एक समय में कई भूमिका निभाने की खातिर पत्रकारों को काफी आंतरिक शक्ति और अविश्वसनीय जुनून की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा, ‘‘उनकी बहुमुखी प्रतिभा प्रशंसनीय है। लेकिन वह मुझे यह पूछने के लिए प्रेरित करता है कि क्या इस तरह की व्यापक शक्ति के इस्तेमाल के साथ वास्तविक जवाबदेही होती है?’’ राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे जैसा लोकतंत्र, तथ्यों के उजागर होने और उन पर बहस करने की इच्छा पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा, ‘‘लोकतंत्र तभी सार्थक है, जब नागरिक अच्छी तरह से जानकार हो।’’

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़