ज्योतिरादित्य सिंधिया का कांग्रेस पर तीखा कटाक्ष, कांग्रेस नेताओं को आपातकाल के लिए हर साल पछतावा करना चाहिए

Jyotiraditya Scindia
ANI
रेनू तिवारी । Jun 25 2025 10:02AM

केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने आपातकाल को याद करते हुए मंगलवार को परोक्ष रूप से लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर निशाना साधा और कहा कि जो लोग संविधान की प्रति लेकर ‘‘घूमते’’ हैं, उस कांग्रेस के नेताओं से हर साल 25 जून को ‘‘पश्चाताप’’ करना चाहिए।

भारत में आपातकाल 1975 से 1977 तक 21 महीने की अवधि थी, जब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आंतरिक और बाहरी खतरों का हवाला देते हुए पूरे देश में आपातकाल की घोषणा की थी। राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद द्वारा संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत आधिकारिक तौर पर जारी किया गया आपातकाल, एक प्रचलित "आंतरिक अशांति" के कारण 25 जून 1975 से प्रभावी था और 21 मार्च 1977 को समाप्त हुआ। इस आदेश ने प्रधानमंत्री को डिक्री द्वारा शासन करने का अधिकार दिया, जिससे चुनाव रद्द किए जा सकें और नागरिक स्वतंत्रता को निलंबित किया जा सके।

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केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने आपातकाल को याद करते हुए मंगलवार को परोक्ष रूप से लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर निशाना साधा और कहा कि जो लोग संविधान की प्रति लेकर ‘‘घूमते’’ हैं, उस कांग्रेस के नेताओं से हर साल 25 जून को ‘‘पश्चाताप’’ करना चाहिए। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर पीठ के परिसर में संविधान निर्माता बाबासाहेब आंबेडकर की प्रतिमा लगाने की मांग को लेकर कांग्रेस नेताओं के विरोध प्रदर्शन के मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए सिंधिया ने राज्य के प्रमुख विपक्षी दल पर बाबासाहेब के नाम पर राजनीति करने का आरोप लगाया।

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उन्होंने कहा कि यह कांग्रेस ही थी, जिसने आंबेडकर के खिलाफ प्रत्याशी खड़ा कर उन्हें चुनाव में हराया था। मध्यप्रदेश क्रिकेट लीग (एमपीएल) का फाइनल मुकाबला देखने यहां पहुंचे सिंधिया ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘जिस राजनीतिक दल ने 25 जून 1975 (आपातकाल) को बाबासाहेब के संविधान को पैरों में रौंद दिया था और देश में काला अध्याय थोप दिया, वह दल संविधान की बात कर रहा है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘संविधान को हाथ में लेकर घूमने से कुछ नहीं होता। संविधान को आत्मा में जीवित रखना होगा।’’ सिंधिया ने कहा कि इस वर्ष 25 जून को आपातकाल की 50वीं बरसी है और कांग्रेस व उसके नेताओं को हर वर्ष 25 जून को पश्चाताप करना चाहिए। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 25 जून 1975 को देश में आपातकाल लगा दिया था। इस दौरान कई नेताओं, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और पत्रकारों को जेल में डाल दिया गया और प्रेस की आजादी पर भी अंकुश लगा दिया गया था।

कांग्रेस पर हमला जारी रखते हुए सिंधिया ने सवाल किया, ‘‘जिस दल ने आंबेडकर के खिलाफ प्रत्याशी खड़ा करके उन्हें हराया और जिस दल की सरकार ने बाबासाहेब को मंत्रिपरिषद से अलग कर दिया, वह दल बात करेगा बाबासाहेब की?’’ उन्होंने कहा कि यह उल्टा चोर कोतवाल को डांटे जैसा है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता 25 जून को ग्वालियर उच्च न्यायालय परिसर में बाबासाहेब आंबेडकर की प्रतिमा स्थापित करने की मांग को लेकर एकदिवसीय भूख हड़ताल करेंगे।

पार्टी के नेता पिछले दो दिन से देश के विभिन्न हिस्सों में इस मांग को लेकर जन-जागरण अभियान चला रहे हैं। पार्टी ने इस अभियान को ‘संविधान सत्याग्रह’ का नाम दिया है। राज्य सरकार के मंत्री विश्वास सारंग ने भी कांग्रेस पर हमला किया और कहा कि कांग्रेस द्वारा किया गया ‘संविधान सत्याग्रह’ सिर्फ ‘ढकोसला और वोटबैंक की राजनीति’ है। उन्होंने भोपाल में पत्रकारों से कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और कांग्रेस ने आंबेडकर का ‘ताउम्र अपमान’ किया और उन्हें लोकसभा में प्रवेश से भी वंचित रखा। उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस ने आपातकाल जैसे हठधर्मी निर्णय लेकर संविधान को तार-तार किया, जबकि आज भाजपा संविधान और लोकतंत्र की रक्षा के लिए प्रतिबद्धता के साथ काम कर रही है।

(PTI Information) 

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