नई दिल्ली अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता विधेयक लोकसभा से पास

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[email protected] । Jul 10 2019 7:24PM

चौधरी ने कहा कि सरकार को राष्ट्रीय मध्यस्थता नीति बनानी चाहिए ताकि विदेशी निवेशकों का भारत की न्यायिक संस्थाओं में विश्वास बढ़े। भाजपा की मीनाक्षी लेखी ने कहा कि 22 वर्षों से मध्यस्थता से जुड़ी एक संस्था काम कर रही थी, लेकिन इतने लंबे समय में उसके पास सिर्फ 23 मामले आए। हैरानी की बात है कि पिछली सरकारों का इस ओर ध्यान नहीं गया। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने इसकी खामियों का पता किया और फिर यह विधेयक लाई। इस संस्था के पूरे प्रशासनिक ढांचे में बदलाव किया जा रहा है। लेखी ने कहा कि देश और विदेश के औद्योगिक समूहों एवं निवेशकों का भारत की मध्यस्थता प्रक्रिया में विश्वास बढ़े, इसके लिए यह विधेयक महत्वपूर्ण है।

नयी दिल्ली। लोकसभा ने बुधवार को नयी दिल्ली अंतरराष्ट्रीय माध्यस्थम केंद्र को संस्थागत मध्यस्थता का केंद्र बनाने और उसे राष्ट्रीय महत्व की संस्था घोषित करने के प्रावधान वाले नयी दिल्ली अंतरराष्ट्रीय माध्यस्थम केंद्र विधेयक 2019 को मंजूरी दे दी। विधेयक पर हुयी चर्चा का जवाब देते हुए विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि यह विधेयक भारत को वैश्विक और घरेलू मध्यस्थता का बड़ा केंद्र बनाने के लिए लाया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘सरकार की सोच है कि देश में अच्छे युवा वकील होने चाहिए जो मध्यस्थों का काम करें, देश में अच्छे शिक्षक हों जो मध्यस्थता की शिक्षा दें।’ प्रसाद ने कहा कि अगर हम इस केंद्र को सफल बनाना चाहते हैं तो हमें ईमानदार होना पड़ेगा। उन्होंने केंद्र की स्वायत्तता की चिंता पर कहा कि यह केंद्र स्वायत्त होगा। मध्यस्थता केंद्र में जानेमाने न्यायाधीशों, तकनीक के जानकारों, बड़ी कंपनी के सीईओ आदि विभिन्न वर्गों के विशेषज्ञों को मध्यस्थ नियुक्त करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए।

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कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आईयूएमएल, तेदेपा और आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन समेत लगभग सभी सदस्यों ने विधेयक का समर्थन जताया। प्रसाद ने कहा कि खुशी की बात है कि इस विधेयक को सर्वसम्मति से सभी ने समर्थन दिया है। एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी की कुछ आपत्तियों पर प्रसाद ने कहा कि हम मानते हैं कि ओवैसी हमारी सरकार के कामों से इत्तेफाक नहीं रखते लेकिन उन्हें कभी तो अच्छाई देख लेनी चाहिए। मंत्री के जवाब के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा के पी पी चौधरी, इसी पार्टी की मीनाक्षी लेखी ने कुछ स्पष्टीकरण मांगे। प्रसाद के जवाब के बाद सदन ने विपक्ष के सभी संशोधनों एवं सांविधिक संकल्प को अस्वीकार करते हुए ध्वनिमत से विधेयक को मंजूरी दे दी।

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सदन में कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी, एन के प्रेमचंद्रन, डा. शशि थरूर, प्रो. सौगत राय ने इस विषय पर एक सांविधिक संकल्प पेश किया था जिसमें कहा गया कि यह सभा राष्ट्रपति द्वारा 2 मार्च 2019 को प्रख्यापित नई दिल्ली अंतरराष्ट्रीय माध्यस्थम केंद्र अध्यादेश 2019 का निरनुमोदन करती है। उक्त विधेयक में संस्‍थागत मध्‍यस्‍थता के लिए एक स्‍वतंत्र व स्‍वायत्‍त निकाय गठित करने का प्रस्‍ताव है। विधेयक पारित होने के बाद यह इस संबंध में लागू किये गये अध्यादेश का स्‍थान लेगा जो दो मार्च, 2019 को जारी हुआ था। विधेयक को पिछले साल लोकसभा में पारित किया गया था। लेकिन यह राज्‍यसभा में पारित नहीं हो सका। नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल के लिए प्रधानमंत्री बनने के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गत 12 जून को नयी दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केन्द्र विधेयक, 2019 को संसद में पेश करने की मंजूरी दी थी। इससे पहले विधेयक को चर्चा के लिये पेश करते हुए विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि मध्यस्थता की प्रक्रिया को तेज करना है और देश को मध्यस्थता का केंद्र बनाना है, इसे ध्यान में रखते हुए यह विधेयक लाया गया है। कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि इस विधेयक को लेकर सरकार का इरादा ठीक है और उनकी पार्टी इसका समर्थन भी करती है, लेकिन अध्यादेश का रास्ता अपनाने पर उनका विरोध है। उन्होंने सवाल किया कि ऐसी क्या आपात स्थिति आ गई थी कि अध्यादेश लाया गया।

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चौधरी ने कहा कि सरकार को राष्ट्रीय मध्यस्थता नीति बनानी चाहिए ताकि विदेशी निवेशकों का भारत की न्यायिक संस्थाओं में विश्वास बढ़े। भाजपा की मीनाक्षी लेखी ने कहा कि 22 वर्षों से मध्यस्थता से जुड़ी एक संस्था काम कर रही थी, लेकिन इतने लंबे समय में उसके पास सिर्फ 23 मामले आए। हैरानी की बात है कि पिछली सरकारों का इस ओर ध्यान नहीं गया। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने इसकी खामियों का पता किया और फिर यह विधेयक लाई। इस संस्था के पूरे प्रशासनिक ढांचे में बदलाव किया जा रहा है। लेखी ने कहा कि देश और विदेश के औद्योगिक समूहों एवं निवेशकों का भारत की मध्यस्थता प्रक्रिया में विश्वास बढ़े, इसके लिए यह विधेयक महत्वपूर्ण है। तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय ने भी अध्यादेश लाने का मुद्दा उठाया और कहा कि वह संसद से पहले अध्यादेश का रास्ता अपनाने के सरकार के कदम का विरोध करते हैं। विधेयक पर चर्चा में बीजद के पिनाकी मिश्रा, वाईएसआर कांग्रेस के रघुराम कृष्ण राजू, शिवसेना के विनायक राउत, तेदेपा के जयदेव गल्ला, आईयूएमएल के ई टी मोहम्मद बशीर और आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन ने भी भाग लिया।

 

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