मध्य प्रदेश उप चुनाव: राज्य में चुनाव से पहले एक्टिव हुए शिवराज सिंह चौहान, कर रहे ये काम

Madhya Pradesh by election shivraj singh chauhan getting active in state

मध्यप्रदेश में भाजपा ने उप चुनावों से पहले राज्य और केंद्र की उपलब्धियों को उजागर करने के प्रयास तेज कर लिए हैं। राज्य में लोकसभा और तीन विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा और कांग्रेस के दो दिग्गज नेताओं के निधन के बाद, उप चुनावों की रणनीति बनी है।

मध्यप्रदेश में भाजपा ने उप चुनावों से पहले राज्य और केंद्र की उपलब्धियों को उजागर करने के प्रयास तेज कर लिए हैं। राज्य में लोकसभा और तीन विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा और कांग्रेस के दो दिग्गज नेताओं के निधन के बाद, उप चुनावों की रणनीति बनी है। हालांकि रिक्त पदों को भरने के नियम के अनुसार छह माह के भीतर चुनाव कराना होता है, लेकिन महामारी के चलते चुनाव प्रक्रिया को स्थगित कर दिया गया था। 

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हाल ही में राज्य चुनाव आयोग ने राज्य में नगर निकायों के चुनाव कराने की योजना की घोषणा की है। इन्हीं कोशिशों के चलते अब सार्वजनिक रैलियों में शिवराज सिंह चौहान की हरकतें नई निचली नौकरशाही से खुद को दूर करने की दिख रही हैं। पिछले सप्ताह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ जिले में भ्रष्टाचार के आरोप में एक तहसीलदार को निलंबित करने के तुरंत बाद कहा कि -"अब मैं डंडा लेकर निकला हूं, गद्दारी करने वालों को नहीं छोडूंगा। जो गलत काम करेगा ,उनमें से मैं किसी को नहीं बकसने वाला।

अनिल तलैया निलंबित किए जाने वाले तीसरे अधिकारी थे, इससे पहले निवाड़ी जिले के दो नगर पालिका अधिकारियों को चौहान ने उनके खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतें मिलने के बाद निलंबित कर दिया था ।इसी तरह राय गांव के सिंहपुर में अपने दौरे के दौरान चौहान ने राज्य की नल जल योजना के तहत ग्रामीणों को जल का पानी कनेक्शन प्रदान करने में विफल रहने के लिए अधिकारियों की खिंचाई की है।राज्य के राय गांव ,जोबाट, पृथ्वीपुर और लोकसभा क्षेत्र खंडवा में उपचुनाव होने हैं। 12 सितंबर से शुरू हुई मुख्यमंत्री की जन दर्शन यात्रा में मुख्यमंत्री लोगों से सीधे बातचीत कर तालमेल बिठा रहे हैं। हालांकि राज्य में यह पहली बार नहीं है,चौहान अक्सर चुनाव से पहले इस तरह के कदम उठाने के लिए लोकप्रिय हैं। 

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पार्टी के कुछ अन्य नेताओं के अनुसार सार्वजनिक रैलियों में चौहान की हरकतें ने निचली नौकरशाही से खुद को दूर करने और जनता को यह संदेश देने का तरीका है कि वे भ्रष्ट शासन का हिस्सा नहीं थे। हालांकि कोई इसे चुनावी हथकंडा भी कह सकता है ,क्योंकि यह अप्रभावी नीचली नौकरशाही थी, जिसके चलते 2018 में चौहान को कीमत चुकानी पड़ी थी।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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