महाराष्ट्र विवाद पर राजनाथ बोले- राज्यपाल का विशेषाधिकार है कि वह किसे आमंत्रित करते हैं

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रक्षा मंत्री ने स्टेडियम में लगाए गए विभिन्न स्टॉल देखें और पूर्व सैनिकों एवं शहीद सैनिकों की पत्नियों से बातचीत की। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश अब्दुल हमीद और मनोज पांडे जैसे योद्धाओं की जन्मस्थली रही है और पूरा देश इन योद्धाओं का ऋणी रहेगा।

लखनऊ। महाराष्ट्र में शिवसेना-राकांपा और कांग्रेस के बीच उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाये जाने को लेकर सहमति बनने के बाद नाटकीय ढंग से देवेन्द्र फडणवीस के मुख्यमंत्री और अजित पवार के उप मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को कहा कि यह राज्यपाल का विशेषाधिकार है कि वह किसे आमंत्रित करते हैं।

राजनाथ से एक कार्यक्रम से इतर जब संवाददाताओं ने महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर सवाल किया तो उन्होंने कहा, इस समय जिस कार्यक्रम में यहां आया हूं, कोई राजनीतिक बात नहीं कहना चाहता। यह राज्यपाल का विशेषाधिकार था। संतुष्ट होने पर राज्यपाल को जिसे आमंत्रित करना था, उन्होंने आमंत्रित किया। इससे पहले राजनाथ ने यहां एएमसी स्टेडियम में लोगों को संबोधित करते हुए कहा,  देश को अपनी सशस्त्र सेनाओं पर गर्व है और पूर्व सैनिकों पर भी गर्व है जो आवश्यकता पड़ने पर उसी विश्वास के साथ अभी भी अपने कर्तव्य का निर्वहन कर सकते हैं। मुझे पूरा विश्वास है। 

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रक्षा मंत्री ने स्टेडियम में लगाए गए विभिन्न स्टॉल देखें और पूर्व सैनिकों एवं शहीद सैनिकों की पत्नियों से बातचीत की। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश अब्दुल हमीद और मनोज पांडे जैसे योद्धाओं की जन्मस्थली रही है और पूरा देश इन योद्धाओं का ऋणी रहेगा। राजनाथ ने कहा कि जहां तक रक्षा पेंशन का प्रश्न है, स्वीकृति से पेंशन वितरित करने तक की प्रक्रिया पेचीदा है। हो सकता है कि आपको वह पेंशन ना मिले, जो मिलनी चाहिए। देश भर में पेंशन अदालतों के संचालन का फैसला इसलिए लिया गया ताकि हमारे सेवानिवृत्त हो चुके वरिष्ठों को पेंशन के मुददे पर किसी तरह का तनाव ना हो। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने गठन के कुछ महीने में ही ‘वन रैंक वन पेंशन’ की शुरूआत की, जो करीब 30-40 साल से अटका हुआ था।

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