महुआ मोइत्रा ने कहा- हमें आपातकाल के दौर से लेना चाहिए सबक

Mahua Moitra

टीएमसी सांसद ने कहा ओबामा ने कहा था कि डर लोकतंत्र का सबसे बड़ा खतरा है। आज यही हो रहा है। लोकतंत्र में बहुमत जरूरी होता है, लेकिन बहुमतवाद बहुत घातक होता है। बहुमतवाद के दम पर विरोधी आवाजों को पूरी तरह दबाना गलत है।

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल 5 मार्च को शुरू हुआ और आज इसका अंतिम दिन है। इसी के एक सेशन में ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी की सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा- नए नेता के आने के बाद लोगों को पहले वाला नेता उदार लगता है। आडवाणी अपने जमाने में कठोर अतिवादी माने जाते थे। मोदी के आने के बाद वो उदार दिखते हैं। उन्होंने कहा क्या पता 10 साल बाद योगी जी प्रधानमंत्री बन जाए। तब मोदी जी ज्यादा उदार नजर आएं। यह लोगों की आदत है।

उन्होंने कहा आज जो लोग सत्ता में हैं उनमें से कई आपातकाल के समय जेल भी गए थे। आज भी आपातकाल वाला सिस्टम बना दिया है। हमें आपातकाल के दौर से सबक सीखना चाहिए था। आपातकाल में इंदिरा गांधी ने गलत किया तो लोगों ने उन्हें सजा भी दी। कई लोग कहते हैं यह पहले भी होता था। उस समय क्यों नहीं बोले? इंदिरा गांधी ने किया, तो आज मोदी क्या कर रहे हैं? इंदिरा गांधी ने गलत किया तो इसका यह मतलब नहीं कि मोदी भी वैसा ही करेंगे। हमें जनता के साथ किसी भी दौर में वैसा नहीं होने देना चाहिए। उन्होंने कहा असहमति का अधिकार लोकतंत्र में सबसे पवित्र अधिकार है।

 

संसद में बिल पास कराने का तरीका हुआ अलोकतांत्रिक

टीएमसी सांसद ने कहा ओबामा ने कहा था कि डर लोकतंत्र का सबसे बड़ा खतरा है। आज यही हो रहा है। लोकतंत्र में बहुमत जरूरी होता है, लेकिन बहुमतवाद बहुत घातक होता है। बहुमतवाद के दम पर विरोधी आवाजों को पूरी तरह दबाना गलत है। हम संसद में कृषि बिल पर बहस चाहते थे, लेकिन बहस नहीं करवाई गई। जब संसद में बिल पास कराने का तरीका ही अलोकतांत्रिक हो तो चिंता होना स्वाभाविक है।

राजनीतिक परिवार से नहीं होने का मुझे फायदा

महुआ ने कहा मेरा कोई पारिवारिक राजनीतिक बैकग्राउंड नहीं है। कोई बिजनेस के हित नहीं जुड़े हैं। यह दोनों बातें मेरी राह आसान करती हैं। असहमति होने पर किसी को ईडी का डर दिखाया जाता है। उन्होंने कहा मुझे इस बात का डर दिखाकर नहीं दबा सकते।

पूर्व राज्यसभा सांसद पवन वर्मा ने कहा सियासी दलों में असहमति और आंतरिक लोकतंत्र के लिए जगह नहीं है। उन्होंने कहा भाजपा ही नहीं किसी भी पार्टी में सहमति या विरोध की जगह नहीं है। सीए एनआरसी के मुद्दे पर मैंने पार्टी से अलग लाइन लेते हुए नीतीश कुमार के सामने असहमति जताई। नीतीश कुमार का आज भी मैं सम्मान करता हूं, लेकिन जेडीयू से मुझे बाहर जाना पड़ा। यह व्हिप क्यों है? कई देशों की संसद में व्हिप का प्रावधान नहीं है।

उन्होंने कहा कई लोग इमरजेंसी के वक्त भी कहते थे कि सब ठीक ही तो है। ट्रेन समय पर चल रही है। ट्रेन में बेटिकट पकड़े जाने पर जब कठोरता से जुर्माना वसूला गया और शक्ति की गई तो बोलने लगे यह कैसा राज है। कानून का राज है या नहीं। उन्होंने कहा सहमत होने का अधिकार हर नागरिक को है। हमारे समाज में जब तक खुद के साथ दिक्कत नहीं होती, तब तक कोई परवाह नहीं करता। यह भारतीय समाज का सबसे खतरनाक पहलू है।

All the updates here:

अन्य न्यूज़