Mahua Moitra की बढ़ सकती है मुश्किलें, cash-for-query मामले में CBI ने शुरू की जांच
सीबीआई ने एक प्रारंभिक जांच दर्ज की है जो यह सुनिश्चित करने की दिशा में पहला कदम है कि क्या आरोप पूर्ण जांच के योग्य हैं। यदि पीई के दौरान पर्याप्त प्रथम दृष्टया सामग्री मिलती है, तो सीबीआई इसे एफआईआर में बदल सकती है।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने शनिवार को तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ कैश-फॉर-क्वेरी आरोपों के संबंध में प्रारंभिक जांच (पीई) दर्ज की। केंद्रीय जांच एजेंसी ने लोकपाल के निर्देश पर प्रारंभिक जांच दर्ज की है। सीबीआई ने एक प्रारंभिक जांच दर्ज की है जो यह सुनिश्चित करने की दिशा में पहला कदम है कि क्या आरोप पूर्ण जांच के योग्य हैं। यदि पीई के दौरान पर्याप्त प्रथम दृष्टया सामग्री मिलती है, तो सीबीआई इसे एफआईआर में बदल सकती है। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की शिकायत के आधार पर मोइता के खिलाफ सीबीआई जांच शुरू की गई है, जिन्होंने टीएमसी नेता पर "संसद में सवाल पूछने" के लिए एक व्यवसायी से रिश्वत लेने का आरोप लगाया था।
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दुबे ने पहले कहा था कि, लोकपाल ने 8 नवंबर को, "राष्ट्रीय सुरक्षा की कीमत पर भ्रष्टाचार में लिप्त होने के लिए आरोपी महुआ मोइत्रा के खिलाफ सीबीआई जांच का आदेश दिया।" दुबे ने अपनी शिकायत में मोइत्रा पर उपहार के बदले व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी के इशारे पर अडानी समूह और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाने के लिए लोकसभा में सवाल पूछने का आरोप लगाया। इस महीने की शुरुआत में, लोकसभा आचार समिति, जिसने टीएमसी नेता के खिलाफ आरोपों की जांच की थी, ने मोइत्रा को निचले सदन से अयोग्य ठहराने की सिफारिश करते हुए अपनी रिपोर्ट अपना ली थी।
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इससे पहले महुआ मोइत्रा ने दावा किया था कि नरेन्द्र मोदी सरकार अडाणी समूह के कथित कोयला घोटाले को उठाने वाले लोगों का मुंह बंद करना चाहती है। उन्होंने यह भी दावा किया कि लोकसभा से निष्कासित करने की आचार समिति की सिफारिश उसी दिशा में ‘‘हताशा भरा कदम’ है। उन्होंने कहा कि मुद्दा यह है कि किसी सांसद को सदन में सवाल उठाने की अनुमति कैसे नहीं दी जाए। उन्होंने कहा, “अडाणी 13,000 करोड़ रुपये के कोयला घोटाले में शामिल हैं। किसी भी अन्य देश में, इस वजह से सरकार गिर जाती। श्री मोदी दिल से यह जानते हैं। इसलिए वे लोग इसे अधिकतम समय तक दबाए रखने के लिए बेचैन हैं।’’
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