मालेगांव विस्फोट: अधीनस्थ अदालत ने कहा, एनआईए भगोड़ों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल कर सकती है

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विस्फोट से एक साल से भी अधिक समय पहले से कलसांगरा और डांगे के पास यह मोटरसाइकिल थी। अदालत ने कहा कि एटीएस के अनुसार लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित ने आरोपी सुधाकर चतुर्वेदी के घर में बाइक में आरडीएक्स लगाया था।

महाराष्ट्र के मालेगांव में 2008 में हुए विस्फोट मामले में सभी सात आरोपियों को बरी करने वाली एक विशेष एनआईए (राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण) अदालत ने कहा है कि संघीय जांच एजेंसी फरार आरोपियों रामजी कलसांगरा और संदीप डांगे की गिरफ्तारी पर उनके खिलाफ अलग से आरोपपत्र दाखिल करने के लिए स्वतंत्र है।

अपने 1000 से अधिक पन्नों के फैसले में विशेष न्यायाधीश ए.के. लाहोटी ने महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) और एनआईए की जांच पर प्रकाश डाला, जिसमें आरोप लगाया गया था कि फरार आरोपियों ने बम तैयार किया था।

एनआईए के जांच अधिकारी ने रामजी उर्फ रामचंद्र कलसांगरा और संदीप डांगे की भी इस अपराध में संलिप्तता पाई, लेकिन उनके ठिकाने का पता नहीं चल पाया और एनआईए द्वारा दायर पूरक आरोपपत्र में वे फरार आरोपी बने हुए हैं।

एटीएस ने दावा किया था कि कलसांगरा ने ही मालेगांव में घटनास्थल पर विस्फोटकों से लदी मोटरसाइकिल खड़ी की थी, जबकि एनआईए ने कहा था कि विस्फोट से एक साल से भी अधिक समय पहले से कलसांगरा और डांगे के पास यह मोटरसाइकिल थी। अदालत ने कहा कि एटीएस के अनुसार लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित ने आरोपी सुधाकर चतुर्वेदी के घर में बाइक में आरडीएक्स लगाया था।

वहीं, एनआईए के अनुसार कलसांगरा ने इसे इंदौर में लगाया और फिर मालेगांव लाया। अदालत ने कहा कि दोनों जांच एजेंसियों के बीच कई तथ्यात्मक अंतर हैं और दोनों जांच एजेंसियां, विस्फोटक लगाने, ले जाने और आरोपियों की संलिप्तता जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं पर एक-दूसरे से सहमत नहीं हैं।

सितंबर 2017 में बेंगलुरु में 55 वर्षीय पत्रकार गौरी लंकेश की उनके घर के बाहर हुई हत्या की कर्नाटक पुलिस की जांच के दौरान भी दोनों फरार आरोपियों के नाम सामने आए थे।

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