ममता बनर्जी ने पीएम मोदी को भेजा मालदा आम, क्या आ पाएगी रिश्तों में मिठास?

Mamata Banerjee PM Modi
अंकित सिंह । Jul 1 2021 4:09PM

ममता बनर्जी ने यह आम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृह मंत्री अमित शाह को भी भेजा है। इसके अलावा ममता बनर्जी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी आम की पेटियां भेजी हैं।

रिश्तो में आई कड़वाहट निसंदेह समय के साथ मीठी हो जाती है। रिश्तों की कड़वाहट को मिठास में बदलने का सबसे अच्छा तरीका एक एक दूसरे को मीठा खिलाना होता है। यही चीज फिलहाल पश्चिम बंगाल में दिख रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच रिश्तो में जबरदस्त खटास पिछले दिनों देखने को मिली थी। हालांकि, अब ऐसा लगता है कि इस में मधुरता खोलने की तैयारी की जा रही है। दरअसल, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पश्चिम बंगाल की विशेष प्रजाति के आम भेजे हैं। ममता बनर्जी ने जो प्रधानमंत्री को आम की किस्में भेजी हैं उनमें हिमसागर, मालदा और लक्ष्मणभोग शामिल हैं। 

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ममता बनर्जी ने यह आम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृह मंत्री अमित शाह को भी भेजा है। इसके अलावा ममता बनर्जी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी आम की पेटियां भेजी हैं। आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच खूब कड़वाहट देखने को मिली थी। कड़वाहट का यह नतीजा रहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ममता बनर्जी के रिश्तो में भी खटास देखने को मिली। राजनीतिक हिंसा और नारदा घोटाले को लेकर दोनों ही पार्टियां एक-दूसरे पर हमलावर रही।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब चक्रवात तूफान से उत्पन्न हालात का जायजा लेने के लिए पश्चिम बंगाल दौरे पर थे तब ममता बनर्जी के रवैये को लेकर भाजपा ने खूब सवाल उठाए थे। मुख्य सचिव अल्पन बंधोपाध्याय को लेकर भी भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच दूरियां बढ़ती गई। अब देखना होगा कि यह आम दोनों ही नेताओं को कितना करीब ला पाता है। हालांकि यह बात भी सही है कि राजनीतिक मतभेदों के बावजूद ममता ने सियासी दलों के नेताओं को आम भेज कर एक सद्भावना का परिचय दिया है। साल 2011 से वह इस परंपरा को निभाते आ रही हैं।

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