क्या कश्मीर में ''आग लगाने'' के लिए हुई मणिशंकर अय्यर की घर वापसी?

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रेनू तिवारी । Aug 27 2018 3:46PM

आपने एक कहावत सुनी होगी आ ''बैल मुझे मार'' कांग्रेस पर ये कहावत एक दम सटीक बैठती है। प्रधानमंत्री को ''नीच'' कहने के बाद पार्टी से निलंबित मणिशंकर अय्यर की जैसे ही पार्टी में दोबारा वापसी हुई.. वैसे ही नेता जी ने दुबारा आग उगल दी।

आपने एक कहावत सुनी होगी आ 'बैल मुझे मार' कांग्रेस पर ये कहावत एक दम सटीक बैठती है। प्रधानमंत्री को 'नीच' कहने के बाद पार्टी से निलंबित मणिशंकर अय्यर की जैसे ही पार्टी में दोबारा वापसी हुई.. वैसे ही नेता जी ने दुबारा आग उगल दी। मणिशंकर अय्यर ने अपने हाल ही के बयान में कहा कि, 35ए के साथ छेड़खानी का मतलब देशहितो के साथ खिलवाड़ करना है, मणिशंकर अय्यर ने ये भी कहा कि अनुच्छेद 35ए को अवश्य ही संविधान के अंग के रूप में रखा जाना चाहिए, ताकि कश्मीर के लोग भयभीत महसूस न करें। उन्होंने कहा, ‘कश्मीरियों को पिछले 90 साल से जो अधिकार मिला हुआ है, उसको कायम रखना चाहिए, ताकि वे भयभीत महसूस न करें। यह हमारे संविधान में है और किसी को इसे रद्द करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। कुछ लोग अनावश्यक रूप से इस मसले को उभार रहे हैं, जिसमें किसी का हित नहीं है।’

आगे बढने से पहले हम आप को बताना चाहेंगे की 35ए क्या हैं- 

जानिए क्या है अनुच्छेद 35ए

जम्मू एवं कश्मीर के बाहर का व्यक्ति राज्य में अचल संपत्ति नहीं खरीद सकता। दूसरे राज्य का कोई भी व्यक्ति यहां का नागरिक नहीं बन सकता। राज्य की लड़की किसी बाहरी लड़के से शादी करती है तो उसके सारे अधिकार समाप्त हो जाएंगे। 35-ए के कारण ही पश्चिम पाकिस्तान से आए शरणार्थी अब भी राज्य के मौलिक अधिकार तथा अपनी पहचान से वंचित हैं। 

जम्मू एवं कश्मीर में रह रहे लोग जिनके पास स्थायी निवास प्रमाणपत्र नहीं है, वे लोकसभा चुनाव में तो वोट दे सकते हैं लेकिन स्थानीय निकाय चुनाव में वोट नहीं दे सकते हैं।

यहां का नागरिक केवल वह ही माना जाएगा जो 14 मई 1954 को राज्य का नागरिक रहा हो या उससे पहले के 10 वर्षों से राज्य में रह रहा हो या इससे पहले या इस दौरान यहां पहले ही संपत्ति हासिल कर रखी हो।  

35ए पर क्यों हो रहा है इतना विवाद

देश में संविधान 26 जनवरी 1951 को लागू हुआ। इसमें अनुच्छेद 370 भी था जो जम्मू कश्मीर को एक विशेष दर्जा देता था। लेकिन 1954 में इसी अनुच्छेद में एक उपबंध के रूप में अनुच्छेद 35ए जोड़ दिया गया। यह मूल संविधान का हिस्सा ही नहीं है बल्कि परिशिष्ट में रखा गया है। इसीलिए कई सालों तक इसका पता ही नहीं चला। संस्था की वरिष्ठ सदस्य आभा खन्ना के अनुसार अनुच्छेद 35ए को न तो लोकसभा और न ही राज्यसभा में कभी पेश किया। इसे सिर्फ राष्ट्रपति के आदेश (प्रेसिडेंशियल आर्डर) के जरिए अनुच्छेद 370 में जोड़ दिया गया। संविधान के अनुच्छेद 368 के मुताबिक, चूंकि यह संसद से पारित नहीं हुआ, इसलिए यह एक अध्यादेश की तरह छह महीने से ज्यादा लागू नहीं रह सकता।

जम्मू एवं कश्मीर में अनुच्छेद 35ए को लेकर खुलेआम खून खराबे की धमकियां

ऐसे राजनीतिक बयानों से जम्मू एवं कश्मीर में एक बार फिर आग लगाने की साजिशें रची जा रही है, अनुच्छेद 35ए के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में तीन याचिकाओं पर सुनवाई होनी है लेकिन उससे पहले ही घाटी में धमकियों का सिलसिला भी शुरू हो गया है, अलगाववादियों से लेकर जम्मू-कश्मीर के मुख्य सियासी दल भी इस मुद्दे को लेकर केद्र सरकार को आंखे दिखा रहे हैं, एक ओर जहां अनुच्छेद 35ए को लेकर खुलेआम खून खराबे की धमकियां दी जा रही है तो वहीं दूसरी ओर ये सवाल खड़ा हो गया है कि 70 साल से जम्मू में रह रहे शरणार्थियों से लेकर जम्मू-कश्मीर की महिलाओं के साथ भेदभाव बरतने वाले इस कानून पर सुप्रीम कोर्ट क्या रुख अपनाएगा..

मणिशंकर अय्यर कर रहे है हुर्रियत से बात करने की भी वकातल

इसके हलावा मणिशंकर अय्यर ने कश्मीर मुद्दे पर हुर्रियत से बात करने की भी वकालत की। मणिशंकर अय्यर ने कहा है 'अगर मैं यहां आया हूं तो इसका मतलब है कि मैं कश्मीरियों को अपने आप में से एक के रूप में मानता हूं। अगर कोई अलग होना चाहता है तो हमें उनसे बात करनी चाहिए। बातचीत का रास्ता हर किसी के लिए खुला होना चाहिए। मैं ऐसे कई कश्मीरियों को जानता हूं जो भारत के साथ रहना चाहते हैं।' साथ ही अय्यर ने कहा कि अगर हुर्रियत को बातचीत करनी है तो हम उनसे भी बात करने के लिए तैयार हैं। यासीन मलिक से भी बातचीत का मैंने न्योता दिया है लेकिन उन्होंने कहा कि वो मुझसे दिल्ली में मिलेंगे यहां वो किसी से नहीं मिल रहे। हुर्रियत से बातचीत के प्रश्न पर अय्यर ने जवाब दिया कि बातचीत में हुर्रियत को भी शामिल करना चाहिए।

कांग्रेस की कश्मीर बांटने की राजनीति 

मणिशंकर अय्यर के इस बयान के बाद बीजेपी कांग्रेस पर ये आरोप लगा रही है कि राहुल गांधी के इशारे पर मणिशंकर अय्यर को कश्मीर में आग लगाने के लिए भेजा गया हैं। हुर्रियत नेताओं से बातचीत का मतलब है कश्मीर को तोड़ना। हुर्रियत नेता लंबे समय से कश्मीर को भारत से अलग करने की मांग कर रहे हैं ऐसे में मणिशंकर अय्यर का हुर्रियत नेताओं से गले लगाकर बातचीत करने की पहल करना कश्मीर में एक बार फिर हालात बिगाड़ सकती है। और इन बिगड़े हालात का राहुल गांधी चुनाव में फायदा उठाना चाहते हैं। 

बता दें कि अय्यर अपने विवादित बयानों के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने गुजरात चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक बयान देने पर पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया गया था। लेकिन बीते सप्ताह कांग्रेस ने उनका निलंबन वापस ले लिया। 

गौरतलब है कि मोदी सरकार ने पिछले चार वर्षों में हुर्रियत के किसी भी नेता से औपचारिक संवाद नहीं किया है। हालांकि कई मौकों पर सरकार की तरफ से बातचीत की पेशकश की गई है तो वहीं हुर्रियत कॉन्फ्रेंस की तरफ से बातचीत से पहले कुछ शर्तों को मानने की बात कही गई।

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