बेटा हुआ था शहीद, पिता ने जनजातीय छात्रों को सुनाई वीरता गाथा

tarun vijay
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इस विद्यालय के प्रवेश द्वार से ही परम वीर चक्र विजेता सैनिकों के चित्रों से बच्चों को अवगत करवाया जाता है. श्री सजवाण अपने पुत्र की स्मृति में बच्चों के लिए फल और मिठाई भी लेकर आये थे जिनका उन्होंने वितरण किया.

अमर शहीद प्रमोद सजवाण के पिता श्री  बी एस सजवाण आज झाझरा स्थित जनजातीय विद्यालय आई टी आई टी आई दून  संस्कृति स्कूल में पढ़ रहे उत्तराखंड , एवं उत्तर पूर्वांचल के नन्हे नन्हे बच्चों से मिलने आये तथा उनको शहीद प्रमोद सजवाण की वीर गाथा से परिचित करवाया.

श्री बी एस सजवाण केंद्रीय विद्यालय के प्रधानाचार्य रह चुके हैं और उनके कार्यकाल में उनके सबसे छोटे पुत्र प्रमोद सजवाण ने भारत तिब्बत सीमा पुलिस में सेवा प्राप्त की  तथा कंपनी कमांडर बने. कश्मीर में  1998 में आतंकवादियों का मुकाबला करते हुए उन्होंने तीन आतंकवादी मार गिराए लेकिन उनके द्वारा फेंके गए हथगोले में उनका बलिदान हो गया. 

श्री बी एस सजवाण ने जनजातीय बच्चों से पूछा कि क्या वे भी सेना में भर्ती  होना चाहेंगे , तो लगभग सभी ने हाथ उठाकर कहा जी हाँ. उत्तर पूर्वांचल में अनेक स्थानों पर सेना पर आतंकवादी हमले किये जाते हैं. यहाँ उन्हीं गाँवों से बच्चे यहाँ पढ़ने आते हैं जिनको देशभक्ति और उच्च शिक्षा द्वारा भारत सेवा का पाठ पढ़ाया जाता है. 

इस विद्यालय के प्रवेश द्वार से ही  परम वीर चक्र विजेता सैनिकों के  चित्रों से बच्चों को अवगत करवाया जाता है. श्री सजवाण अपने पुत्र की स्मृति में बच्चों के लिए फल और मिठाई भी लेकर आये थे जिनका उन्होंने वितरण किया. 

श्री तरुण विजय ने उनका स्वागत किया और कहा कि  उनका यह आगमन बच्चों के लिए बहुत प्रेरणा का स्रोत बनेगा।  उन्होंने अपने महान बलिदानी पुत्र की गाथा सुनकर जनजातीय बच्चों को देश सेवा हेतु सेना में भर्ती होने की प्रेरणा दी है.

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