PNB मामले में PM मोदी ने तोड़ी चुप्पी, कहा- जनता के धन की लूट नहीं होगी बर्दाश्त
[email protected] । Feb 24 2018 1:51PM
पंजाब नेशनल बैंक में 11,400 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले में अपनी चुप्पी तोड़ते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि उनकी सरकार वित्तीय अनियमितताओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी
नयी दिल्ली। पंजाब नेशनल बैंक में 11,400 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले में अपनी चुप्पी तोड़ते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि उनकी सरकार वित्तीय अनियमितताओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी और जनता के धन की लूट बर्दाश्त नहीं की जाएगी। हीरा कारोबारी नीरव मोदी द्वारा पंजाब नेशनल बैंक को कथित तौर पर चूना लगाए जाने की बात सामने आने के कुछ दिन बाद प्रधानमंत्री मोदी ने वित्तीय संस्थानों के प्रबंधन व निगरानी निकायों से कहा है कि वे अपना काम पूरी कर्मठता से करें ताकि इस तरह के घपलों को रोका जा सके।
उल्लेखनीय है कि देश का दूसरा सबसे बड़ा सार्वजनिक बैंक पीएनबी इन दिनों 11,400 करोड़ रुपये के धोखाधड़ी मामले के कारण चर्चा में है। अरबपति हीरा कारोबारी नीरव मोदी इस मामले में मुख्य आरोपी है। अनेक जांच एजेंसियां इस मामले की जांच में लगी हैं। दैनिक अखबार ‘इकनॉमिक टाइम्स’ द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि यह सरकार वित्तीय अनियमितताओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर रही है और कड़ी कार्रवाई करती रहेगी।’
मोदी ने कहा, ‘प्रणाली (सरकार) सार्वजनिक धन की लूट को बर्दाश्त नहीं करेगी।’ प्रधानमंत्री ने हालांकि अपने संबोधन में नीरव मोदी या पंजाब नेशनल बैंक का नाम नहीं लिया। उन्होंने कहा कि वित्तीय संस्थानों के प्रबंधन, आडिटरों व नियामकों को अपना काम पूरे समर्पण से करना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘जिन लोगों को नियम व नीतियां बनाने तथा उच्च आचार कायम रखने का काम मिला है, मैं उन लोगों से अपील करना चाहूंगा वे अपना काम पूरे समर्पण व कर्मठता से करें।’
प्रमुख उद्योगपतियों की मौजूदगी में प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी सरकार के आर्थिक एजेंडे को ‘रोजगारोन्मुखी’ बताया। उन्होंने अपनी सरकार के अंतिम पूर्ण बजट के दौरान की गयी घोषणाओं का भी जिक्र किया। इसमें किसानों को लागत से 50 प्रतिशत अधिक मूल्य देने जैसे कृषि समर्थित कदम भी शामिल हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘कुछ अर्थशास्त्री (इस फैसले के कारण) मूल्य वृद्धि की अटकलें लगा रहे हैं। इन अर्थशास्त्रियों को हमारे अन्नदाताओं के प्रति हमारे कर्तव्य पर भी गौर करना चाहिए।’
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