छत्तीसगढ़ से कांग्रेस के कई विधायक एक बार फिर दिल्ली में, राज्य में चर्चा का दौर

Chhatisgarh Congress
प्रतिरूप फोटो

बुधवार को छत्त्तीसगढ़ से एक दर्जन से अधिक विधायक दिल्ली पहुंच गए। विधायकों ने कहा कि उनकी यात्रा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के राज्य के प्रस्तावित दौरे से जुड़ी हुई है। छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल सरकार को ढाई वर्ष पूरे होने के बाद से लगातार मुख्यमंत्री पद के ढाई—ढाई वर्ष के बंटवारे की चर्चा है।

छत्तीसगढ़ में बारी-बारी से मुख्यमंत्री बनाये जाने की चर्चा के बीच एक बार फिर सत्ताधारी कांग्रेस के एक दर्जन से अधिक विधायक दिल्ली पहुंच गए हैं।

राष्ट्रीय राजधानी में कांग्रेस विधायकों के दौरे ने राज्य में सियासी गर्मी बढ़ा दी है। छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल सरकार को ढाई वर्ष पूरे होने के बाद से लगातार मुख्यमंत्री पद के ढाई—ढाई वर्ष के बंटवारे की चर्चा है।

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इसी बीच एक बार फिर एक दर्जन से अधिक विधायक बुधवार को दिल्ली पहुंच गए। विधायकों के दिल्ली पहुंचने को लेकर राज्य में कयास लगाया जा रहा है कि विधायक मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के समर्थन में पहुंचे हैं।

हालांकि विधायकों ने कहा कि उनकी यात्रा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के राज्य के प्रस्तावित दौरे से जुड़ी हुई है। राज्य की रामानुजगंज विधानसभा सीट से विधायक बृहस्प​त सिंह ने बताया कि पार्टी के करीब 15-16 विधायक दिल्ली पहुंच चुके हैं और अलग-अलग जगहों पर ठहरे हुए हैं।

सिंह ने कहा राहुल जी का छत्तीसगढ़ दौरा प्रस्तावित है। हम अपने प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया जी के माध्यम से राहुल जी से अनुरोध करना चाहते हैं कि वह अपने दौरे की अवधि को थोड़ा बढ़ा दें जिससे सभी विधायकों को इसका लाभ मिल सके।

उन्होंने कहा कि वह सिर्फ यह अनुरोध करने के लिए दिल्ली आए हैं तथा इस संबंध में बृहस्पतिवार को प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया से बात करेंगे। सिंह ने कहा हमारी यात्रा को दूसरे तरीके से नहीं देखा जाना चाहिए। जब बृहस्पत सिंह ने पूछा गया कि क्या वह मुख्यमंत्री बघेल को अपना समर्थन व्यक्त करने आए हैं तब सिंह ने कहा हमारी पार्टी के 70 विधायक हैं (90 सदस्यीय राज्य विधानसभा में) जिनमें से 60 विधायकों ने पिछली बार पुनिया जी को सब कुछ बताया था।

जब आलाकमान का आशीर्वाद और विश्वास होता है, विधायकों का समर्थन होता है और मुख्यमंत्री अच्छा काम कर रहे होते हैं, तब ऐसा कोई (नेतृत्व परिवर्तन का) मुद्दा ही नहीं है। विधायक सिंह ने बघेल और राज्य के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के बीच कथित मनमुटाव से भी इनकार किया और कहा कि दोनों नेताओं ने हाल ही में एक साथ मंच साझा किया है, एक दूसरे को मिठाई खिलाई है तथा एक-दूसरे का सम्मान किया है।

सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ की स्थिति पंजाब की तरह नहीं है। किसी भी पार्टी का आलाकमान सिर्फ एक नेता को खुश करने के लिए पूरी सरकार को दांव पर नहीं लगाएगा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के करीबी माने जाने वाले सिंह ने इस वर्ष जुलाई माह में मंत्री सिंहदेव पर आरोप लगाया था कि सिंहदेव के ​इशारे पर उनके काफिले पर हमला किया गया है।

बाद में विधायक सिंह ने मामले को लेकर विधानसभा में खेद व्यक्त किया था। छत्तीसगढ़ में वर्ष 2018 में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से बघेल और सिंहदेव के बीच रिश्ते सहज नहीं है।

जून 2021 में मुख्यमंत्री के रूप में बघेल के ढाई वर्ष पूरे होने के बाद स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के खेमे ने दावा किया है कि आलाकमान ने ढाई—ढाई वर्ष मुख्यमंत्री पद की सहमति दी थी।

राज्य में मुख्यमंत्री पद को लेकर हुए विवाद के बाद कांग्रेस आलाकमान ने विवाद को सुलझाने के लिए अगस्त में बघेल और सिंहदेव को दिल्ली बुलाया था। जब बघेल दिल्ली में थे तब कांग्रेस के 70 में से 54 विधायकों ने उनके समर्थन में दिल्ली का दौरा किया था।

दिल्ली से लौटने के बाद मुख्यमंत्री बघेल ने संवाददाताओं से कहा था कि पार्टी नेता राहुल गांधी उनके निमंत्रण पर राज्य का दौरा करने के लिए सहमत हुए हैं। बघेल ने यह भी कहा था कि जो लोग ढाई—ढाई वर्ष की बात कर रहे हैं वह राज्य में राजनीतिक अस्थिरता को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं।

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राष्ट्रीय राजधानी में आलाकमान के साथ बैठक के बाद बघेल और सिंहदेव नेतृत्व के मुद्दे पर कुछ भी कहने से परहेज कर रहे हैं लेकिन राज्य में दोनों गुटों के मध्य झगड़ा कम नहीं हुआ है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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