आतंकवाद के खिलाफ Modi की मुहिम को मिला Trump का समर्थन, पाकिस्तानी TRF को आतंकवादी संगठन बताते हुए अमेरिका ने लगाया प्रतिबंध

हम आपको बता दें कि अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी करके यह जानकारी दी। बयान में विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा कि यह कार्रवाई पहलगाम हमला मामले में न्याय संबंधी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के रुख पर अमल की अमेरिका की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की जिम्मेदारी लेने वाले पाकिस्तानी आतंकी संगठन 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' (TRF) को अमेरिका ने आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया है। अमेरिका के इस फैसले को भारत की एक बड़ी कूटनीतिक सफलता माना जा रहा है। यह निर्णय न केवल भारत के सुरक्षा हितों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की लगातार मजबूत होती स्थिति और आतंकवाद के खिलाफ उसके प्रयासों को अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिलने का प्रमाण भी है।
हम आपको बता दें कि अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी करके यह जानकारी दी। बयान में विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा कि यह कार्रवाई पहलगाम हमला मामले में न्याय संबंधी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के रुख पर अमल की अमेरिका की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। हम आपको याद दिला दें कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए हमले में 26 लोग मारे गए थे। द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने इस हमले की ज़िम्मेदारी ली थी लेकिन बाद में भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ने पर उसने अपना बयान वापस ले लिया था। भारतीय एजेंसी एनआईए ने टीआरएफ प्रमुख शेख सज्जाद गुल को हमले का मास्टरमाइंड करार दिया है। मार्को रुबियो ने कहा कि विदेश मंत्रालय टीआरएफ को विदेशी आतंकवादी संगठन (एफटीओ) और विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी (एसडीजीटी) घोषित करता है। उन्होंने कहा, ‘‘टीआरएफ और इससे जुड़े अन्य संगठनों को लश्कर-ए-तैयबा के नाम के साथ विदेशी आतंकवादी संगठन (एफटीओ) और विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी (एसडीजीटी) के रूप में शामिल किया गया है। यह क्रमशः आव्रजन एवं राष्ट्रीयता अधिनियम की धारा 219 और शासकीय आदेश 13224 के तहत किया गया है। विदेश मंत्रालय ने लश्कर-ए-तैयबा की एफटीओ के रूप में स्थिति की भी समीक्षा की है और उसे बरकरार रखा है।’’ रुबियो ने कहा कि टीआरएफ के खिलाफ यह कार्रवाई ‘‘हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा हितों की रक्षा, आतंकवाद का मुकाबला करने और पहलगाम हमले में न्याय के राष्ट्रपति ट्रंप के रुख पर काम करने की प्रशासन की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह (पहलगाम हमला) 2008 में लश्कर-ए-तैयबा द्वारा किए गए मुंबई हमलों के बाद भारत में नागरिकों पर सबसे घातक हमला था। टीआरएफ ने भारतीय सुरक्षा बलों के खिलाफ कई हमलों की जिम्मेदारी भी ली है, जिनमें 2024 में किया गया हमला भी शामिल है।’’
क्या है 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' (TRF) यदि इसकी बात करें तो आपको बता दें कि 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' की पहचान एक ऐसे आतंकी संगठन के रूप में है, जिसे लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का ही प्रॉक्सी संगठन माना जाता है। कश्मीर में युवाओं को बहकाने, विदेशी आतंकियों को स्थानीय बताने और भारत विरोधी गतिविधियों को 'स्थानीय विद्रोह' के रूप में प्रचारित करने के लिए पाकिस्तान ने इस संगठन को खड़ा किया। वर्ष 2019 के बाद कश्मीर में आतंकी हमलों की एक नई श्रृंखला में TRF का नाम बार-बार सामने आया। इसके बाद इस संगठन ने पहलगाम हमले को अंजाम दिया।
हम आपको बता दें कि भारत लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय मंचों पर यह साबित करने का प्रयास करता रहा है कि पाकिस्तान द्वारा कश्मीर में 'हाइब्रिड टेरर' यानी आतंकवाद को बढ़ावा दिया जा रहा है। अमेरिका के इस कदम से अब यह साफ हो गया है कि दुनिया भी पाकिस्तान की इन रणनीतियों को पहचान चुकी है। हम आपको यह भी बता दें कि TRF को आतंकवादी संगठन घोषित करने के बाद अमेरिका के तहत इसके सभी फंडिंग स्रोत, बैंक खाते, हथियारों की सप्लाई और नेटवर्क पर रोक लगाई जाएगी। इससे पाकिस्तान और उसके पनाहगार आतंकी नेटवर्क पर वैश्विक दबाव और बढ़ेगा।
देखा जाये तो भारत ने बीते कुछ वर्षों में संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका और यूरोपीय देशों के समक्ष लगातार TRF जैसे संगठनों को 'सीधा आतंकी संगठन' सिद्ध करने के लिए दस्तावेज और प्रमाण दिए। यह फैसला दर्शाता है कि भारत की कूटनीति अब केवल क्षेत्रीय नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर असर डालने लगी है। अब अमेरिका समेत अन्य देश भी भारत के साथ मिलकर काउंटर टेररिज्म स्ट्रैटेजी बनाने में और अधिक सहयोग करेंगे। यह फैसला आतंकवाद के खिलाफ भारत-अमेरिका की साझेदारी को भी मजबूती देगा।
पहलगाम हमले में जिस प्रकार से TRF ने अपनी भूमिका निभाई और निर्दोषों की जान ली, उससे यह स्पष्ट हो गया कि कश्मीर में आतंकी नेटवर्क अब भी पूरी तरह खत्म नहीं हुए हैं। अमेरिका का यह निर्णय भारत को और अधिक सक्रिय और आक्रामक नीति अपनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय नैतिक समर्थन भी देता है।
निश्चित ही इस फैसले के दूरगामी प्रभाव देखने को मिलेंगे। इस फैसले से पाकिस्तान की 'डेनायबिलिटी' कमजोर होगी। FATF (फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स) में पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई के लिए नए आधार बनेंगे। कश्मीर में आतंक के नए नाम और चेहरे भी अब आसानी से वैश्विक रडार पर आएंगे। भारत की सुरक्षा एजेंसियों को अंतरराष्ट्रीय सहयोग से आतंकवाद के खिलाफ कार्यवाही में सहूलियत मिलेगी।
दूसरी ओर, भारत ने पहलगाम आतंकवादी हमले की जिम्मेदारी लेने वाले लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के मुखौटा संगठन टीआरएफ को अमेरिका द्वारा वैश्विक आतंकवादी संगठन घोषित किए जाने का स्वागत किया है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ‘द रजिस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ) को वैश्विक आतंकी संगठन घोषित करने के अमेरिका के इस फैसले को भारत-अमेरिका के बीच मजबूत आतंकवाद-रोधी सहयोग का प्रमाण बताया। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में पाकिस्तान में स्थित लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े संगठन को प्रतिबंधित घोषित करने के लिए अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो की विशेष रूप से सराहना की। विदेश मंत्री ने कहा, "लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के मुखौटा संगठन टीआरएफ को वैश्विक आतंकवादी संगठन (एफटीओ) और विशेष रूप से प्रतिबंधित वैश्विक आतंकवादी (एसडीजीटी) घोषित करने के लिए विदेश मंत्री मार्को रूबियो और अमेरिकी विदेश मंत्रालय की सराहना करता हूं। इस संगठन ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए हमले की जिम्मेदारी ली थी।"
बहरहाल, अमेरिका द्वारा TRF को आतंकवादी घोषित किया जाना केवल एक प्रतीकात्मक फैसला नहीं, बल्कि भारत की वर्षों पुरानी कूटनीतिक कोशिशों का ठोस परिणाम है। यह फैसला दुनिया को यह संदेश भी देता है कि अब आतंकवाद के खिलाफ दोहरा रवैया नहीं चलेगा। जहां एक ओर भारत की आवाज को वैश्विक स्तर पर गंभीरता से सुना जा रहा है, वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान जैसे देशों के छद्म आतंकी संगठनों की पहचान और उन्हें मिलने वाली छूट धीरे-धीरे खत्म होती जा रही है। आने वाले समय में यह भारत की आतंकवाद के खिलाफ रणनीति को और अधिक आक्रामक और आत्मविश्वासी बनाएगा।
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