MP Cold Syrup death case: डॉ. प्रवीण सोनी को जमानत नहीं, जांच जारी

Cold Syrup death case
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Ankit Jaiswal । Oct 13 2025 10:34PM

मध्य प्रदेश में कॉल्डरिफ सिरप से हुई बच्चों की मौत के मामले में अदालत ने डॉ. प्रवीण सोनी को जमानत से इनकार कर दिया है। SIT जांच कर रही है। मामले में दवा निर्माता Sresan Pharmaceuticals के मालिक को भी गिरफ्तार किया गया। डॉक्टर और दवा निर्माता की जिम्मेदारी पर सवाल उठ रहे हैं।

मध्य प्रदेश की परासिया सिविल कोर्ट में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश गौतम कुमार गुझरे ने हाल ही में गिरफ्तार डॉक्टर प्रवीण सोनी को जमानत देने से इनकार कर दिया है। बता दें कि डॉ. सोनी पर आरोप है कि उन्होंने चिल्ड्रन के लिए कॉल्डरिफ कफ सिरप लिखी थी, जिसके सेवन से कई बच्चों की मौत हो गई थी। अदालत ने यह भी कहा कि मामले की जांच अभी पूरी नहीं हुई है और आरोपी पर गंभीर आरोप लगे हैं, इसलिए उन्हें नियमित जमानत नहीं दी जा सकती।

मौजूदा जानकारी के अनुसार, छिंदवाड़ा जिले में कम उम्र के बच्चों को यह सिरप देने के बाद कम से कम 24 बच्चों की मौत हो गई। राज्य सरकार ने मामले की जांच के लिए विशेष जांच टीम (SIT) का गठन किया है। इसके अलावा, तमिलनाडु स्थित Sresan Pharmaceuticals के मालिक गोविंदन रंगनाथन को भी गिरफ्तार किया गया है।

गौरतलब है कि बच्चों की मौत के बाद भारत के कई राज्यों ने कॉल्डरिफ सिरप पर बैन लगा दिया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, इस सिरप में डाइएथिलीन ग्लाइकोल की उच्च मात्रा पाई गई थी, जो विषैला है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी भारत में दवा सुरक्षा नियमों में मौजूद खामियों पर गहरी चिंता व्यक्त की है।

डॉ. सोनी के वकील ने अदालत में यह दलील दी कि सरकार के बैन से पहले यह सिरप केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) से मान्य और चिकित्सीय उपयोग के लिए प्रमाणित था। वकील ने यह भी कहा कि डॉ. सोनी सरकारी डॉक्टर हैं और पिछले 35-40 वर्षों से चिकित्सा क्षेत्र में काम कर रहे हैं। उनके अनुसार, सिरप में मिलावट की जिम्मेदारी पूरी तरह से दवा निर्माता और नियामक एजेंसियों पर है।

हालांकि पुलिस का दावा है कि डॉ. सोनी को सिरप लिखने पर 10 प्रतिशत कमीशन मिला था और उनके रिश्तेदार के नाम की दवा की दुकान, जो उनके निजी क्लिनिक के पास स्थित है, वहां यह सिरप बेचा गया। अदालत ने सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद जमानत देने से इनकार कर दिया है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 10 अक्टूबर को इस मामले में स्वतंत्र, कोर्ट-निगरानी वाली जांच की मांग वाली PIL को भी स्वीकार नहीं किया।

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