राज्यसभा में PM मोदी बोले- MSP है, MSP था और MSP रहेगा, जानिए दिनभर सदन में क्या कुछ हुआ ?

PM Modi

प्रधानमंत्री ने किसानों को भरोसा दिलाया कि मंडियां और अधिक आधुनिक बनेंगी तथा इसके लिए इस बार के बजट में व्यवस्था भी की गई है। उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) है, एमएसपी था और एमएसपी रहेगा।’’

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत किसानों, खासकर पंजाब के किसानों के लिए इस्तेमाल की गई ‘‘भाषा’’ की कटु आलोचना की और कहा कि इससे किसी का भला नहीं होगा। उन्होंने किसानों से अपना आंदोलन समाप्त कर कृषि सुधारों को एक मौका देने का आग्रह करते हुए कहा कि यह समय खेती को ‘‘खुशहाल’’ बनाने का है और देश को इस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर पेश धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने कृषि सुधारों पर ‘‘यू-टर्न’’ लेने के लिए कांग्रेस को आड़े हाथों लिया और कहा कि पिछले कुछ समय से इस देश में ‘‘आंदोलनजीवियों’’ की एक नई जमात पैदा हुई है जो आंदोलन के बिना जी नहीं सकती। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हम आंदोलन से जुड़े लोगों से लगातार प्रार्थना करते हैं कि आंदोलन करना आपका हक है, लेकिन बुजुर्ग भी वहां बैठे हैं। उनको ले जाइए, आंदोलन खत्म करिए। आगे मिल बैठ कर चर्चा करेंगे, सारे रास्ते खुले हैं। यह सब हमने कहा है और आज भी मैं इस सदन के माध्यम से निमंत्रण देता हूं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह, खेती को खुशहाल बनाने के लिए फैसले लेने का समय है और इस समय को हमें नहीं गंवाना चाहिए। हमें आगे बढ़ना चाहिए, देश को पीछे नहीं ले जाना चाहिए।’’ मोदी ने आंदोलनरत किसानों के साथ ही विपक्षी दलों से भी आग्रह किया कि इन कृषि सुधारों को मौका देना चाहिए। 

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उन्होंने कहा,‘‘हमें एक बार देखना चाहिए कि कृषि सुधारों से बदलाव होता है कि नहीं। कोई कमी हो तो हम उसे ठीक करेंगे, कोई ढिलाई हो तो उसे कसेंगे। पक्ष, विपक्ष, आंदोलनरत साथियों को इन सुधारों को मौका देना चाहिए और एक बार देखना चाहिए कि इस परिवर्तन से हमें लाभ होता है कि नहीं। ऐसा तो नहीं है कि सब दरवाजे बंद कर दिए गए हैं।’’ प्रधानमंत्री ने किसानों को भरोसा दिलाया कि मंडियां और अधिक आधुनिक बनेंगी तथा इसके लिए इस बार के बजट में व्यवस्था भी की गई है। उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) है, एमएसपी था और एमएसपी रहेगा।’’ प्रधानमंत्री ने माना कि कृषि क्षेत्र में समस्याएं हैं और कहा कि इन समस्याओं का समाधान सबको मिलकर करना होगा। उन्होंने कहा, ‘‘मैं मानता हूं कि अब समय ज्यादा इंतजार नहीं करेगा, नये उपायों के साथ हमें आगे बढ़ना होगा।’’ विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सदन में किसान आंदोलन को लेकर भरपूर चर्चा हुई तथा ज्यादा से ज्यादा समय जो बातें बताई गईं, वह आंदोलन के संबंध में थी। उन्होंने कहा, ‘‘अच्छा होता कि कानूनों की मूल भावना पर विस्तार से चर्चा होती।’’ मोदी ने कहा कि सरकारें किसी की भी रही हों, सभी कृषि सुधारों के पक्ष में रहीं लेकिन यह अलग बात है कि वे इन्हें लागू नहीं कर सकीं।

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन मैं हैरान हूं कि आपने (कांग्रेस ने) अचानक यू-टर्न ले लिया। ऐसा क्यों किया? ठीक है, आप आंदोलन के मुद्दों को लेकर सरकार को घेर लेते लेकिन साथ-साथ किसानों को भी कहते कि भाई, बदलाव बहुत जरूरी हैं। बहुत साल हो गए। अब नयी चीजों को आगे लाना पड़ेगा। लेकिन मुझे लगता है राजनीति इतनी हावी हो जाती है कि अपने ही विचार पीछे छूट जाते हैं।’’ किसानों के आंदोलन का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसी समस्याओं के समाधान की ताकत भारत में है लेकिन कुछ लोग हैं जो भारत को अस्थिर और अशांत करना चाहते हैं। मोदी ने कहा कि जब देश का बंटवारा हुआ और जब 1984 के दंगे हुए तो सबसे ज्यादा खामियाजा पंजाब को भुगतना पड़ा। उन्होंने कहा, ‘‘इन सारी चीजों ने देश को किसी न किसी रूप में बहुत नुकसान पहुंचाया है। इसके पीछे कौन है, यह हर सरकार ने देखा है, जाना है। इसलिए हमें इन सारी समस्याओं के समाधान के लिए आगे बढ़ना चाहिए।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि सिख समुदाय ने देश के लिए जो किया, उस पर देश गर्व करता है। उन्होंने कहा, ‘‘कुछ लोग, खासकर पंजाब के सिख भाईयों के दिमाग में गलत चीजें भरने में लगे हैं। उन्होंने कहा ‘‘ये देश हर सिख पर गर्व करता है। उन्होंने देश के लिए क्या कुछ नहीं किया। उनका जितना हम आदर करें, वो कम होगा। जो उनके लिए कुछ लोग बोलते हैं, जो लोग उनको गुमराह करने की कोशिश करते हैं, उससे देश का कभी भला नहीं होगा।’’ मोदी ने कहा कि देश श्रमजीवी और बुद्धिजीवी जैसे शब्दों से परिचित है लेकिन पिछले कुछ समय से इस देश में एक नई जमात पैदा हुई है और वह है ‘‘आंदोलनजीवी’’।

उन्होंने कहा, ‘‘वकीलों का आंदोलन हो या छात्रों का आंदोलन या फिर मजदूरों का। ये हर जगह नजर आएंगे। कभी परदे के पीछे, कभी परदे के आगे। यह पूरी टोली है जो आंदोलन के बिना जी नहीं सकती। हमें ऐसे लोगों को पहचानना होगा। वह हर जगह पहुंच कर वैचारिक मजबूती देते हैं और गुमराह करते हैं। ये अपना आंदोलन खड़ा नहीं कर सकते और कोई करता है तो वहां जाकर बैठ जाते हैं। यह सारे आंदोलनजीवी परजीवी होते हैं।’’ प्रधानमंत्री ने कोविड-19 महामारी के प्रबंधन को लेकर विपक्षी दलों द्वारा की गई केंद्र सरकार की आलोचनाओं का जवाब देते हुए कहा कि भारत ने इससे जुड़ी तमाम आशंकाओं को निर्मूल साबित किया है। उन्होंने कहा, ‘‘भारत के लिए दुनिया ने बहुत आशंकाएं जतायी थीं। विश्व बहुत चिंतित था कि अगर कोरोना वायरस की इस महामारी में भारत अपने आप को संभाल नहीं पाया तो न सिर्फ भारत के लिए बल्कि पूरी मानव जाति के लिए बहुत बड़ा संकट आ जाएगा।’’ उन्होंने कहा कि ऐसी आशंकाएं भी जताई गईं कि करोड़ों लोग इससे प्रभावित होंगे और लाखों लोग मर जाएंगे। उन्होंने कहा, ‘‘एक अनजान दुश्मन क्या कर सकता है, इसका किसी को अंदाज नहीं था। यह भी पता नहीं था कि ऐसी स्थिति आने पर किस तरह इससे निपटा जा सकता है। आज समूचा विश्व भारत की सराहना कर रहा है। भारत ने मानव जाति को बचाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। कोरोना महामारी की लड़ाई जीतने का यश किसी सरकार को नहीं जाता है, किसी व्यक्ति को नहीं जाता है। लेकिन हिंदुस्तान को तो जाता है।’’ कोरोना काल के दौरान दीये जलाने और ताली-थाली बजाने जैसे कार्यक्रमों की आलोचना के लिए उन्होंने विपक्षी दलों को भी आड़े हाथों लिया। 

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मोदी ने कहा कि आलोचना होनी चाहिए लेकिन ऐसा काम नहीं किया जाना चाहिए जिससे देश का आत्मविश्वास कमजोर हो। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में भी भारत विश्व की फार्मेसी के रूप में उभरा और आज देश में तेजी से टीकाकरण अभियान भी जारी है। प्रधानमंत्री ने कम समय में कोरोना वायरस का टीका ईजाद करने के लिए वैज्ञानिकों की सराहना भी की। राष्ट्रपति के अभिभाषण को उन्होंने विश्व में एक नयी आशा जगाने वाला और आत्मनिर्भर भारत की राह दिखाने वाला करार दिया। उन्होंने कहा, ‘‘पूरा विश्व आज अनेक चुनौतियों से जूझ रहा है। शायद ही किसी ने सोचा होगा कि मानव जाति को ऐसे कठिन दौर से गुजरना होगा, ऐसी चुनौतियों के बीच....। इन चुनौतियों के बीच इस दशक के प्रारंभ में ही राष्ट्रपति ने संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में जो अपना उद्बोधन दिया, वह अपने आप में इस चुनौती भरे विश्व में एक नई आशा जगाने वाला, नयी उमंग पैदा करने वाला और नया आत्मविश्वास पैदा करने वाला है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह आत्मनिर्भर भारत की राह दिखाने वाला और और इस दशक के लिए मार्ग प्रशस्त करने वाला है।’’ धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेने वक्ताओं का धन्यवाद करते हुए प्रधानमंत्री ने अभिभाषण का बहिष्कार करने पर विपक्षी दलों पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, ‘‘अच्छा होता, राष्ट्रपति जी का भाषण सुनने के लिए सब होते... तो लोकतंत्र की गरिमा और बढ़ जाती।’’ प्रधानमंत्री ने पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सीमा पर गतिरोध का भी उल्लेख किया और कहा कि भारत के रुख को सारे देश ने देखा। उन्होंने कहा कि सीमाओं की अवसंरचना विकास में कोई कमी नहीं आएगी। प्रधानमंत्री ने जम्मू एवं कश्मीर में स्थानीय चुनाव कराए जाने की नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद की सराहना करने के लिए उनकी प्रशंसा की और उम्मीद जताई कि कांग्रेस इस प्रशंसा को उचित भावना से लेगी। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लाए गए विभिन्न संशोधनों को खारिज करते हुए सदन ने धन्यवाद प्रस्ताव को ध्वनिमत से पारित कर दिया।

सीमा पर संघर्षविराम उल्लंघन की 5133 घटनाएं हुईं

सरकार ने सोमवार को संसद में कहा कि पिछले साल जम्मू कश्मीर सीमा पर पाकिस्तान की ओर से गोलीबारी और संघर्षविराम उल्लंघन की 5133 घटनाएं हुयी जिनमें सुरक्षाबलों के कुल 46 जवान हताहत हुए। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस साल 28 जनवरी तक संघर्षविराम के उल्लंघन की कुल 299 घटनाएं हुयी हैं। उन्होंने कहा कि इस साल एक फरवरी तक एक सैन्यकर्मी के हताहत होने की सूचना है। सिंह ने कहा कि संघर्ष-विराम के उल्लंघनों का सुरक्षा बलों द्वारा उचित प्रतिकार किया गया है। इसके अलावा संघर्षविराम के सभी उल्लंघनों को हॉट लाइनों के स्थापित तंत्र, फ्लैग बैठकों के साथ-साथ दोनों देशों के सैन्य परिचालन महानिदेशालय के बीच साप्ताहिक वार्ताओं के जरिए पाकिस्तानी अधिकारियों के साथ समुचित स्तर पर उठाया जाता है। इसके अलावा सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) भी अपने समकक्ष पाकिस्तानी रेंजरों के साथ विभिन्न स्तरों पर वार्ता करता है।

महामारी के दौरान कोई बच्चा ऑनलाइन शिक्षा से वंचित नहीं रहा

केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने सोमवार को लोकसभा में कहा कि महामारी के दौरान कोई बच्चा ऑनलाइन शिक्षा से वंचित नहीं रहा क्योंकि सरकार ने इस दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाये थे। निचले सदन में प्रश्नकाल में एक पूरक प्रश्न के उत्तर में जावड़ेकर ने कहा कि ऑनलाइन शिक्षा प्रदान करने में भारत ने अनेक देशों को पीछे छोड़ दिया। उन्होंने कहा कि 5 वर्ष के बच्चों से लेकर विश्वविद्यालय स्तर तक एक तरह से हर चीज ऑनलाइन हो गयी। जावड़ेकर ने कहा कि वंचित वर्ग के बच्चों तक मोहल्ला स्कूलों के जरिये पहुंचा गया। मंत्री ने कहा कि अभी 34 शैक्षणिक चैनल हैं जिनमें से 22 उच्च शिक्षा और 12 स्कूली शिक्षा के स्तर पर हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ इसलिये महामारी में कोई बच्चा ऑनलाइन शिक्षा से वंचित नहीं रहा।’’ लोकसभा की बैठक सोमवार को जब चार बजे शुरू हुई तो प्रश्नकाल में कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों ने तीन नये कृषि कानूनों के मुद्दे पर सदन में नारेबाजी की। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने शोर-शराबे में ही प्रश्नकाल चलाने का प्रयास किया और 10 मिनट बाद ही कार्यवाही शाम पांच बजे तक स्थगित करनी पड़ी। 

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कोरोना वायरस महामारी के पर्यटन पर प्रभाव का अध्ययन करा रही है सरकार

सरकार ने सोमवार को बताया कि ‘भारत में कोरोना वायरस महामारी: पर्यटन उद्योग से जुड़े परिवारों की आर्थिक क्षति एवं बहाली से संबंधित नीतियां’ विषयक अध्ययन करने के लिये राष्ट्रीय अनुप्रयुक्त आर्थिक अनुसंधान परिषद (एनसीएईआर) को नियुक्त किया है। लोकसभा में कल्याण बनर्जी के प्रश्न के लिखित उत्तर में पर्यटन मंत्री प्रह्लाद पटेल ने कहा कि इस अध्ययन का मकसद पर्यटन क्षेत्र पर कोरोना वायरस महामारी के प्रभाव के कारण क्षेत्रवार नुकसान तथा अर्थव्यवस्था में आय के समग्र नुकसान एवं रोजगार संबंधी क्षति की मात्रा निर्धारित करने का आकलन करना है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा अध्ययन के जरिये विभिन्न हितधारकों से प्राप्त प्रतिक्रिया के आधार पर सामान्य रूप से पर्यटन क्षेत्र और विशेष रूप से पर्यटन संबंधी कार्यकलापों से जुड़े परिवारों को राहत प्रदान करने के लिये उचित नीतिगत उपाय प्रस्तावित करना है। पटेल ने कहा कि ‘भारत में कोरोना वायरस महामारी : पर्यटन उद्योग से जुड़े परिवारों की आर्थिक क्षति एवं बहाली से संबंधित नीतियां’ संबंधी अध्ययन करने के लिये राष्ट्रीय अनुप्रयुक्त आर्थिक अनुसंधान परिषद (एनसीएईआर) को नियुक्त किया गया है। तृणमूल कांग्रेस सांसद कल्याण बनर्जी ने पूछा था कि क्या यह सच है कि कोविड-19 के कारण देश में पर्यटन से जुड़े 8.5 करोड़ रोजगार पर खतरा मंडरा रहा है। क्या संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन ने विश्वभर में एवं भारत में पर्यटन में 58 से 78 प्रतिशत तक की कमी आने का अनुमान लगाया है। इस पर पर्यटन मंत्री प्रह्लाद पटेल ने कहा कि मई 2020 के लिये यूएनडब्ल्यूटीओ वर्ल्ड टूरिज्म बैरोमीटर के अनुसार यूएनडब्ल्यूटीओ ने विश्वभर के पर्यटन आवागमन में 58-78 प्रतिशत तक कमी आने का अनुमान लगाया है।  

पूर्वी लद्दाख संघर्ष के मद्देनजर सशस्त्रबलों ने खरीदे हथियार

सरकार ने सोमवार को कहा कि सशस्त्र बलों ने पूर्वी लद्दाख सीमा गतिरोध के मद्देनजर युद्धक क्षमताओं को बढ़ाने के लिए कुछ हथियारों एवं उपकरणों की आपात खरीद की है। रक्षा राज्य मंत्री श्रीपद नाइक ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में राज्यसभा को चीन का नाम लिये बिना बताया कि सशस्त्र बल भारत के ‘‘उत्तरी विरोधियों’’ द्वारा उत्पन्न संभावित खतरों को विफल करने के लिए भौगोलिक परिस्थितियों एवं मौसम के अनुरूप उपकरण खरीद रहे हैं। एक अन्य प्रश्न के लिखित उत्तर में उन्होंने कहा कि चीन के साथ लगने वाली सीमा पर तैनात सशस्त्र बल कर्मी के परिवार को कोई विशेष भत्ता नहीं दिया जाता है। उन्होंने कहा, ‘‘खतरे की अवधारणा और उपलब्ध प्रौद्योगिकी के आधार पर सशस्त्र बल भारत के ‘‘उत्तरी विरोधियों’’ द्वारा उत्पन्न संभावित खतरों को विफल करने के लिए भौगोलिक परिस्थितियों एवं मौसम के अनुरूप उपकरण खरीद रहे हैं।’’ नाइक ने कहा, ‘‘मौजूदा गतिरोध में सशस्त्र बलों ने अपनी युद्धक क्षमताओं को बढ़ाने के लिए कुछ हथियारों एवं उपकरणों की आपात खरीद की।’’ उन्होंने कहा कि पूर्वी लद्दाख में करीब 10 हजार भारतीय एवं चीनी सैनिक अपने अपने क्षेत्रों में तैनात हैं और लंबे समय तक चलने वाली गतिरोध की स्थिति में अपनी तैनाती पर मजबूती से टिके रहने को तैयार हैं। इस बीच परस्पर रूप से स्वीकार्य समाधान निकालने के लिए राजनयिक एवं सैन्य वार्ता जारी है। उनके अनुसार, पिछले साल मई में पेंगांग झील के पास दोनों पक्षों के सैनिकों के बीच संघर्ष के बाद गतिरोध बना था। एक अन्य प्रश्न के उत्तर में नाइक ने बताया कि पिछले तीन साल में जवानों को दिये जाने वाले भोजन को लेकर सेना मुख्यालय को कोई शिकायत नहीं मिली। 

राज्यसभा में आजाद ने जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा देने की मांग की

वरिष्ठ कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने राज्यसभा में सोमवार को जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा जल्द से जल्द बहाल करने की मांग की और कहा कि केंद्रशासित प्रदेश बनने के बाद वहां विकास ठप्प हो गया है और बेरोजगारी में भारी वृद्धि हुयी है। जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और सदन में नेता प्रतिपक्ष आजाद ने आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अधिकारियों के जम्मू कश्मीर कैडर को अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम, केंद्रशासित प्रदेशों के कैडर में विलय करने के सरकार के कदम पर भी सवाल उठाया। आजाद जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2021 पर सदन में हुयी चर्चा में भाग ले रहे थे। यह विधेयक अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों के कैडर से संबंधित है। उन्होंने कहा कि सदन में यह शायद उनका आखिरी भाषण है और ऐसे में वह कोई तीखी टिप्पणी नहीं करना चाहते हैं। ‘‘लेकिन संविधान का अनुच्छेद 370 हटाए जाने और जम्मू कश्मीर को केंद्रशासित प्रदेश बनाने के बाद वहां विकास के कई वायदे किए गए थे। लेकिन वहां विकास ठप्प हो गया है और बेरोजगारी में भारी वृद्धि हुयी है।’’ आजाद ने कहा कि सरकार ने जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने की बात की थी लेकिन इस विधेयक से ऐसी आशंका बन रही है कि वह जम्मू कश्मीर को स्थायी रूप से केंद्रशासित बनाए रखना चाहती है। अगर जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा देना ही है तो कैडरों के विलय की क्या जरूरत है। उन्होंने कहा ‘‘अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद उद्योगों की संख्या में करीब 60 प्रतिशत की कमी आयी है। वहां पहले ही उद्योगों की संख्या कम थी और बाद में उनमें से भी बड़ी संख्या में उद्योग बंद हो गए, जिससे रोजगार पर असर पड़ा।’’ आजाद ने कहा कि वहां कोई नया उद्योग नहीं आ रहा है और जो पहले से थे, वे बंद हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि जम्मू में 12,997 उद्योग थे उनमें से 60 प्रतिशत बंद हो गए। आजाद ने कहा ‘‘जम्मू कश्मीर में विकास होने का दावा वास्तविक नहीं है और यह ‘सिर्फ टीवी’ पर है, जमीन पर विकास नहीं दिखता। सड़कें बदहाल हैं और जलापूर्ति एवं बिजली की स्थिति भी अच्छी नहीं है।’’ 

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उन्होंने कहा कि संघर्षविराम उल्लंघन की घटनाओं में वृद्धि होने से भी काफी नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि महीनों तक कर्फ्यू रहने और बाद में कोरोना वायरस के कारण स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय बंद हो गए और शिक्षकों को वेतन नहीं मिला। उन्होंने कहा कि अगर वहां निर्वाचित सरकार होती तो कुछ समाधान निकल सकता था। उन्होंने हाल ही में स्थानीय चुनाव कराए जाने का स्वागत करते हुए कहा कि विधानसभा के भी चुनाव कराए जाने चाहिए क्योंकि विधायक कानून निर्माता भी हैं। भाजपा सदस्य दुष्यंत गौतम ने कहा ‘‘ अनुच्छेद 370 के कारण आजादी के 70 साल बाद भी वहां विभिन्न लोगों की मौलिक जरूरतें पूरी नहीं हुयीं। ऐसा लगता है कि उस अनुच्छेद से कहीं न कहीं लोगों का शोषण हो रहा था। लेकिन उसके हटने के बाद लोगों की मौलिक जरूरतें पूरी हो रही हैं।’’ उन्होंने कहा कि विगत में जम्मू कश्मीर में राष्ट्रविरोधी ताकतें मौजूद थीं और उस दौरान सुरक्षाबलों पर पथराव जैसी घटनाएं भी होती रहती थीं। अन्नाद्रमुक के नवनीत कृष्णन ने विधेयक के प्रावधानों का स्वागत करते हुए कहा कि इससे जम्मू कश्मीर में अधिकारियों की कमी दूर हो सकेगी। राजद के मनोज कुमार झा ने सवाल किया कि कैडरों का मौजूदा बदलाव स्थायी होगा या अस्थायी। मोबाइल फोन सेवा के संबंध में उन्होंने कहा कि अब वहां 4जी सेवा शुरू हो गयी है लेकिन इसके बाधित होने से विगत कुछ महीनों में वहां के छात्रों पर इसका प्रतिकूल पड़ा और कई छात्र विभिन्न पाठ्यक्रमों में दाखिला नहीं ले पाए। आप के नेता सुशील कुमार गुप्ता और पीडीपी सदस्य मीर मोहम्मद फैयाज ने जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा शीघ्र बहाल करने की मांग की, वहीं भाजपा के शमशेर सिंह मन्हास ने रोजगार बढ़ाने की जरूरत पर बल दिया और कहा कि अधिक संख्या में अधिकारियों की नियुक्ति से विकास की गति को बल मिलेगा। चर्चा में बसपा के अशोक सिद्धार्थ, बीजद के अमर पटनायक ने भी भाग लिया।  

ग्यारह राफेल भारत आ चुके, मार्च तक 17 और आ जाएंगे

सरकार ने सोमवार को बताया कि अब तक 11 राफेल विमान भारत आ चुके हैं तथा मार्च तक 17 और ऐसे विमान भारत को मिल जाएंगे। यह जानकारी राज्यसभा को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने प्रश्नकाल के दौरान एक पूरक प्रश्न के उत्तर में दी। उन्होंने बताया, ‘‘अब तक 11 राफेल विमान भारत आ चुके हैं तथा मार्च तक 17 और ऐसे विमान भारत को मिल जाएंगे। अप्रैल 2022 तक भारत को पूरे राफेल मिल जाएंगे। ’’ रक्षा मंत्री ने बताया, ‘‘फ्रांस से राफेल को भारत के सुपुर्द किए जाने के बाद उन्हें वायु सेना में शामिल करने के लिए राष्ट्रीय महत्व का आयोजन किया गया था। पहले भी खरीदे गए विमानों को वायु सेना में शामिला करने के लिए इस तरह के कार्यक्रम हुए हैं लेकिन इस बार यह कार्यक्रम बड़ा था क्योंकि द्विपक्षीय वार्ता भी हुई थी। फ्रांसीसी पक्ष का नेतृत्व वहां के रक्षा मंत्री ने और भारतीय पक्ष का नेतृत्व मैंने किया था।’’ एक अन्य पूरक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने सदन को बताया कि 101 सामग्रियां चिह्नित की गई हैं जिन्हें दूसरे देशों से आयात न करने और स्वदेश में ही इनका निर्माण करने का फैसला किया गया है। राजनाथ ने यह भी बताया कि सरकार स्वदेशीकरण पर पूरा जोर दे रही है।

तमिल को आधिकारिक भाषा बनाया जाए : द्रमुक

तमिल को भारत की आधिकारिक बनाने की मांग उठाते हुए द्रमुक के एक सांसद ने सोमवार को लोकसभा में कहा कि केंद्र सरकार को ‘आग से नहीं खेलना’ चाहिए और तमिल को लेकर उचित निर्णय लेने चाहिए। निचले सदन में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुए द्रमुक के नेता टी आर बालू ने कहा कि तमिल को देश की आधिकारिक बनाया जाना चाहिए लेकिन सरकार इस ओर ध्यान क्यों नहीं दे रही है। उन्होंने कहा कि श्रीलंका, सिंगापुर जैसे देशों में भी तमिल आधिकारिक है तो भारत जैसे बड़े देश में क्या दिक्कत है। बालू ने दावा किया कि तमिलनाडु में 49 केंद्रीय विद्यालय हैं, लेकिन एक में भी तमिल नहीं पढ़ाई जाती। उन्होंने कहा, ‘‘सरकार इन केंद्रीय विद्यालयों में तमिल की पढ़ाई नहीं होने देना चाहती।’’ बालू ने सरकार को आगाह करते हुए कहा कि उसे ‘आग से नहीं खेलना’ चाहिए और तमिल को उचित स्थान देना चाहिए। द्रमुक नेता ने कोरोना वायरस का टीका लाने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका की प्रशंसा की और कहा कि इस कार्य में देश के वैज्ञानिक भी प्रधानमंत्री के साथ खड़े रहे। इस दौरान सदन में प्रधानमंत्री मोदी उपस्थित थे। बालू ने कहा कि दिल्ली की सीमाओं पर 70 दिन से अधिक समय से किसान आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन सरकार उनकी मांग नहीं सुन रही। सरकार को इस पर किसी भी तरह का ‘अहम’ छोड़कर सकारात्मक तरीके से जवाब देना होगा। बालू ने कहा कि सरकार को तत्काल तीन नये केंद्रीय कानूनों को वापस लेकर विवाद का हल निकालना चाहिए। उन्होंने नये संसद भवन और सचिवालयों संबंधी निर्माणाधीन सेंट्रल विस्टा परियोजना पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि मौजूदा संसद भवन में क्या कमी है और सेंट्रल विस्टा के लिए 20 हजार करोड़ रुपये खर्च करने की क्या जरूरत है। बालू ने तमिलनाडु के मछुआरों की समस्याओं के लिए भी सरकार से सुधारात्मक कदम उठाने का अनुरोध किया और महिला आरक्षण विधेयक पर भी ध्यान देने की बात कही।  

सरकार ने किसानों के खिलाफ जंग छेड़ी: कांग्रेस 

कांग्रेस ने सोमवार को सरकार पर किसानों के खिलाफ जंग छेड़ने का आरोप लगाया, साथ ही बालाकोट एयर स्ट्राइक से पहले कथित तौर पर जानकारी लीक किये जाने और गत गणतंत्र दिवस पर कुछ उपद्रवी तत्वों के लाल किले में घुसने एवं धार्मिक ध्वज लगाने से जुड़े घटनाक्रम की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच कराने की मांग की। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि सरकार को किसानों से बातचीत करके विवादित कृषि कानूनों से जुड़े मामले का समाधान निकालना चाहिए क्योंकि इसके कारण देश की छवि धूमिल हो रही है। चौधरी ने एक वरिष्ठ पत्रकार की कथित व्हाट्सऐप बातचीत सार्वजनिक होने का उल्लेख किया और कहा कि बालाकोट एयर स्ट्राइक से पहले जानकारी को लीक किया जाना सरकारी गोपनीयता कानून का उल्लंघन है और इसकी संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच करानी चाहिए। कांग्रेस नेता ने स्वीडिश पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग के किसान आंदोलन का समर्थन करने और इसको लेकर विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया का भी हवाला दिया और कहा कि जिस तरह से पूरी सरकार 18 साल की एक लड़की के खिलाफ खड़ी हो गई है, उससे देश की छवि धूमिल हो रही है। किसान आंदोलन का जिक्र करते हुए कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया, ‘‘ आप एक तरफ मुसलमान और दूसरी तरफ किसान के खिलाफ जंग छेड़े हुए हैं।’’ उन्होंने सवाल किया, ‘‘ संसद से कुछ किलोमीटर की दूरी पर हजारों किसान दो महीने से बैठे हैं। 200 से ज्यादा किसानों की जान चली गई। प्रधानमंत्री को किसानों के साथ बातचीत करने की फुर्सत नहीं है क्या? इतना अहंकार क्यों है?’’  

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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